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भूमिजा - उपन्यास
Meena Pathak
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
फुलमतिया अपने गाँव की इकलौती नाउन ठकुराइन है गाँव भर में किसी के घर भी जचकी होती तो जच्चा-बच्चा की मालिश वही करती है अपने गाँव ही क्या, वह आस-पास के गाँवों में भी मालिश के लिए बुलाई जाती है निडर और जबर महिला है फुलमतिया रात-बिरात कहीं भी जाना हो, वह निधड़क चल देती है उसका पति हज्जामत बनाने का काम करता है और वह गाँव भर के शुभ-अशुभ हर कार्य में जा कर रीति-रिवाज संपन्न कराती है
फुलमतिया अपने गाँव की इकलौती नाउन ठकुराइन है गाँव भर में किसी के घर भी जचकी होती तो जच्चा-बच्चा की मालिश वही करती है अपने गाँव ही क्या, वह आस-पास के गाँवों में भी मालिश ...और पढ़ेलिए बुलाई जाती है निडर और जबर महिला है फुलमतिया रात-बिरात कहीं भी जाना हो, वह निधड़क चल देती है उसका पति हज्जामत बनाने का काम करता है और वह गाँव भर के शुभ-अशुभ हर कार्य में जा कर रीति-रिवाज संपन्न कराती है
फुलमतिया उर्मिला देवी की खास परजा थी वह लगभग रोज ही आती और घर के अनेक छोटे बड़े कार्यों के साथ उनकी सेवा भी कर जाती बदले में ढेरों इनाम ले जाती
भूधर राय के ...और पढ़ेअपार संपत्ति तो थी पर उनके बाद इस संपत्ति का कोई वारिस नहीं था उन्होंने पत्नी उर्मिल देवी का इलाज लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद सभी शहरों के बड़े डॉक्टरों से करा लिया था पर निराशा ही हाथ लगी थी ना जाने कितने नीम-हकीम, ओझा-सोखा और देवी-देवता मना चुके थे पर कुछ भी काम नहीं आया था