khabt book and story is written by Mangi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. khabt is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. ख़ब्त - उपन्यास Mangi द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 3.2k Downloads 9.9k Views Writen by Mangi पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें उपन्यास विवरण " विजय के बापू मैंने तो आपसे पहले ही कहा था, पर आपकी जिद्द के सामने मेरी चलती कहा है ? अब देख लिया ना, और जोड़ो सड़कछाप बिरादरी वालो से रिस्ता "..... " सुलोचना अपने कमरे में चली जाओ, वरना चिंगारी को हवा लगते वक्त नही लगता " ! " बस यही दिन देखना बाकी रह गया था, लीजिए और मार डालिये, और अपनी यह भी हसरत पूरी कर लीजिए " ! मेन बाजार पास जगमगाती पुस्तैनी हवेली, लोगो की 24 क्लॉक चहल पहल, मेंन बाजार में रोज अलग-अलग चेहरे, कदम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने को होते पर More Interesting Options लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी Load More Best Novels of 2025 Best Novels of 2025 Best Novels of January 2025 Best Novels of 2024 Best Novels of 2024 Best Novels of January 2024 Best Novels of February 2024 Best Novels of March 2024 Best Novels of April 2024 Best Novels of May 2024 Best Novels of June 2024 Best Novels of July 2024 Best Novels of August 2024 Best Novels of September 2024 Best Novels of October 2024 Best Novels of November 2024 Best Novels of December 2024 //= $best_novels_two_yr_ago_links; ?> नए एपिसोड्स : Every Tuesday Episodes Novels ख़ब्त - 1 New " विजय के बापू मैंने तो आपसे पहले ही कहा था, पर आपकी जिद्द के सामने मेरी चलती कहा है ? अब देख लिया ना, और जोड़ो सड़कछाप बि... Read Free Novels ख़ब्त - 2 New " आ जुबान रख, भरोसो कोनी के ? न मैं मुकरूँगा और ना मेरा विजया..." अरे, भानु कर दी न छोटी बात, बिस्वास है तेरी जुबां पे,... Read Free //= $best_novels_links; ?> //= $best_novels_prev_links; ?> //= $best_novels_two_yr_ago_links; ?>