Kusum Bhatt लिखित उपन्यास नदी बहती रही..

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नदी बहती रही.. द्वारा  Kusum Bhatt in Hindi Novels
‘‘सलोनी!’’
किवाड़ तो बन्द थे..., अन्दर कैसे घुस गई...! मैंने ही किये थे इन्हीं हथेलियों से .... तुम रोई थी... छटपटाई थी....
नदी बहती रही.. द्वारा  Kusum Bhatt in Hindi Novels
सलोनी-शेखर को एक साथ जाते देखती तो प्रश्नों के तीर मारती, उनके चेहरे की भाव भंगिमा देखकर रचना धीरे से कहती दोनों बचपन से...