नदी बहती रही.... - 1 Kusum Bhatt द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Nadi bahti rahi द्वारा  Kusum Bhatt in Hindi Novels
‘‘सलोनी!’’
किवाड़ तो बन्द थे..., अन्दर कैसे घुस गई...! मैंने ही किये थे इन्हीं हथेलियों से .... तुम रोई थी... छटपटाई थी.... तड़फ कर कितना कुछ कह रही थी...

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