Ek Add Flat book and story is written by Arpan Kumar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek Add Flat is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक अदद फ्लैट - उपन्यास
Arpan Kumar
द्वारा
हिंदी लघुकथा
नंदलाल यादव दिल्ली में नौकरी करते हैं और साहिबाबाद में किराए के एक फ्लैट में रहते हैं। लोकल ट्रेन से आना-जाना करते हैं। आई.टी.ओ. पर उतर कर बस से आर.के.पुरम जाते हैं।सुबह शाम सप्ताह में पूरे पाँच दिन उनकी यही दिनचर्या रहती है। किसी दिन छुट्टी हो गई तो उस दिन बल्ले-बल्ले। नंदलाल शायरी पढ़ने के शौकीन हैं और जब तब किसी पसंदीदा शे’र को गुनगुनाते रहते हैं। जो शे’र उनके मनोभावों को जम जाए या जिसका निहितार्थ उनकी ज़िंदगी पर फिट हो जाए, वह उनका पसंददा शे’र बन जाया करता था।
नंदलाल यादव दिल्ली में नौकरी करते हैं और साहिबाबाद में किराए के एक फ्लैट में रहते हैं। लोकल ट्रेन से आना-जाना करते हैं। आई.टी.ओ. पर उतर कर बस से आर.के.पुरम जाते हैं।सुबह शाम सप्ताह में पूरे पाँच दिन उनकी ...और पढ़ेदिनचर्या रहती है। किसी दिन छुट्टी हो गई तो उस दिन बल्ले-बल्ले। नंदलाल शायरी पढ़ने के शौकीन हैं और जब तब किसी पसंदीदा शे’र को गुनगुनाते रहते हैं। जो शे’र उनके मनोभावों को जम जाए या जिसका निहितार्थ उनकी ज़िंदगी पर फिट हो जाए, वह उनका पसंददा शे’र बन जाया करता था।
इन दिनों दिन-रात नंदलाल का मस्तिष्क इन्हीं धन-राशि के इंतज़ाम में लगा हुआ रहता था। वे बिल्डर द्वारा दिए गए एक-एक मद को बड़े ध्यान से देखते। चश्मे की आँख से वे मद उन्हें ख़ूब बड़े दिखते। कुछ ऐसे ...और पढ़ेहर मद अपने आप में जलकुंभियों से भरा कोई विशालकाय तालाब हो और वे उसमॆं गिरकर उलझनेवाले हो। वे चिल्ला रहे हों और कोई उन्हें बचाने के लिए उनके पास नहीं आ रहा हो। फ्लैट की क़ीमत 3700 रुपए प्रति वर्गफीट।
नंदलाल ऊषा की बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उन्हें अपनी माँ से कुछ ऐसी ही शुष्कता की उम्मीद थी। उन्हें हमेशा यह मलाल रहा कि उन्हें कभी भी समय पर अपने घर से कोई मदद नहीं मिली। ...और पढ़ेमदद तो ख़ैर बिल्कुल ही नहीं। एक वक़्त था जब नंदलाल अपने दो छोटे भाइयों को अपने साथ रखकर पढ़ाते-लिखाते थे। अपने मामूली से वेतन में उनके लिए जितना हो सका, सब कुछ किया। मगर आज हालात ये हैं कि दोनों भाई अपने कार्य में सफल होकर नंदलाल को भूल चुके हैं। किसी ‘इमरजेंसी’ में नंदलाल उनसे किसी मदद की उम्मीद नहीं रख सकते थे।
नंदलाल बैठे हुए सोचने लगे...ये बुज़ुर्ग कोई पैंसठ साल के होंगे। व्यास जी पचपन के और वे स्वयं भी तो पचास पार कर ही गए हैं। अलग अलग उम्र के ये तीनों अधेड़ लोग अपने अपने हिसाब से अपना ...और पढ़ेजी रहे हैं। हर व्यक्ति अपने तरीके से और अपने दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है। अपने अनुभवों से अपने परिवार-वृक्ष को सींचता आगे बढ़ता चला जा रहा है।