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अब नहीं सहुंगी... - उपन्यास
Sayra Ishak Khan
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
हल्लो दोस्तों...मैं एक बार फिर से आप लोगो के सामने एक नई कहानी लेकर हाजिर हूं ! मुझे उम्मीद है ,आप सभी को मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी! मेरी कहानी ऐसी फिमेल पर है जो ऑफिस वर्क करती है! ओर उनको कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं !कहानी का शिर्षक है...! "अब नहीं सहुंगी"... अब नहीं सहुंगी...भाग 1ये कहानी दो सहेलियों की है !शैली ओर नूर जो स्कूल टाइम से दोस्त है!उनकी दोस्ती बहुत प्यारी ओर सच्ची है ! अपने सारे सुख़ दुःख एक दूसरे से बाट लेती है! उनको किसी तीसरे दोस्त की जरूरत ही नहीं पड़ती थी! हर
हल्लो दोस्तों...मैं एक बार फिर से आप लोगो के सामने एक नई कहानी लेकर हाजिर हूं !मुझे उम्मीद है ,आप सभी को मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी!मेरी कहानी ऐसी फिमेल पर है जो ऑफिस वर्क करती है! ओर ...और पढ़ेकैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं !कहानी का शिर्षक है...! "अब नहीं सहुंगी"... अब नहीं सहुंगी...भाग 1ये कहानी दो सहेलियों की है !शैली ओर नूर जो स्कूल टाइम से दोस्त है!उनकी दोस्ती बहुत प्यारी ओर सच्ची है !अपने सारे सुख़ दुःख एक दूसरे से बाट लेती है!उनको किसी तीसरे दोस्त की जरूरत ही नहीं पड़ती थी! हर
शैली कि बातो से वो सहमत थी, लेकिन उसने यही कहा कि पापा की मर्ज़ी बिना तुझे जॉब नहीं करनी है , क्यू की मां-बाप हमारा अच्छा सोचते है, ओर रही बात घर की परेशानी की तो वो तो ...और पढ़ेऔर में बचपन से समझते है! और वैसे भी तुझे पता है, हम दोनों कुछ सोचे तो कर के ही दम लेते है! थोड़ा टाइम होने दे पापा मान जाएंगे!फिर दोनो बातो में उलझ गई!और हसी मज़ाक चलता रहा.!अब आगे...!!!थोड़ी देर में नूर अपने घर चली गई ! लेकिन उसके मन में बार बार शैली की बाते घूम रही थी
शैली ने बताया !"पापा के ऑफिस से फोन आया था !पापा शारदा हॉस्पिटल में है ! हमें जल्दी वहां पहुचना है! बेटी की बात सुन कर उसके जैसे पैरो तले जमीन हट गई ! सुधा की आंखो से बस ...और पढ़ेसैलाब उमड पडा ..!अब आगे...!शैली और सुधा शारदा हॉस्पिटल जैसे ही पहुंची, बाहर अनिल मिल गया ! सुधा ने अनिल को देखते ही कहा!" भैया राणाजी कहा है? उनको क्या हुआ है ? वो ठीक तो हैं ना..?"अनिल बोला !"आप लोग अंदर चलिए , राणाजी आई .सी. यू में है!ईतना सुनते ही शैली बोली!"पापा को आखिर क्या हुआ है? बोलो
अब नहीं सहुंगि...भाग 4तब सामने से आवाज उभरी! "आप कल सुबह 9 बजे बस स्टॉप पे मिलो! आपकी जॉब का इंतजाम हो गया है! शैली को अब कुछ राहत मिली! लेकिन उसने जॉब की जरूरत के आगे ये भी ...और पढ़ेकी कोशिश नहीं की के जॉब कहां ओर कैसी है..? अब आगे। भाग 4रात भार भूख के मारे करवट लेती शैली ओर गुनगुन को सुधा देख रही थीं !लेकिन करती भी तो क्या करती?रात तडपकर कटी !सुबह के 6 बजे शैली कि आंख खुली तो बोली !"मां
पिछले पार्ट में देखा....शैली अपने काम में बिजी हो गई तभी उसे ऐसा लगा कि उसके कंधे पर किसी का हाथ था उसने मूड के देखा तो उसका बॉस बोला क्या हुआ डरो नही अपना काम करो में बस ...और पढ़ेरहा हूं तुम काम ठीक से कर सकती हो या नहीं ओर वो शैली को अन चाहे तरीके से छू रहा था...!ये कहानी ऐसी महिलाओं की है जिसे ऑफिस में उन लोगो के सामने समझौता करना पड़ता है जो हवस अपनी आंखो में ले कर चलते है ओर लड़की उनकी नजर में लड़कियां हवस मिटाने की चीज होती है..!अब आगे.....!