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मेरे दिल का हाल - उपन्यास
Shaihla Ansari
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
क्या बात है अम्मी ये सब किसके लिए बनाया जा रहा है.... खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है मायरा ने रसोई में आते हुए एक लंबी सांस लेते हुए कहा !! तुम्हारे एजाज अंकल आए हैं उनके लिए बना रही हूं एज।ज़ अंकल आए हैं... बाबा के तो वारे न्यारे हो गए होंगे मायरा ने अपनी अम्मी के गले में बाहें डालते हुए कहा!! चल हट परे जब देखो बच्ची बनी रहती है... चल जाकर ड्रेस चेंज कर नहीं तो हल्दी का दाग लग जाएगा मायरा कॉलेज से आते ही किचन में चली आई थी मायरा की अम्मी ने उसकी व्हाइट ड्रेस
क्या बात है अम्मी ये सब किसके लिए बनाया जा रहा है.... खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है मायरा ने रसोई में आते हुए एक लंबी सांस लेते हुए कहा !! तुम्हारे एजाज अंकल आए हैं उनके ...और पढ़ेबना रही हूं एज।ज़ अंकल आए हैं... बाबा के तो वारे न्यारे हो गए होंगे मायरा ने अपनी अम्मी के गले में बाहें डालते हुए कहा!! चल हट परे जब देखो बच्ची बनी रहती है... चल जाकर ड्रेस चेंज कर नहीं तो हल्दी का दाग लग जाएगा मायरा कॉलेज से आते ही किचन में चली आई थी मायरा की अम्मी ने उसकी व्हाइट ड्रेस
मायरा अली के साथ दिल्ली आ गई। अली ने मायरा का सारा काम करा दिया था। कॉलेज में एडमिशन, हॉस्टल में रहने का इंतजाम अली ने सारा काम बखूबी करवा दिया था। दिल्ली से चलते वक्त अली ने मायरा ...और पढ़ेहिदायत दी थी कभी भी किसी भी तरह की मदद की जरूरत हो तो मुझसे कहना।"थैंक्स अली... तुमने मेरी इतनी हेल्प की" मायरा अली को उसके नाम से ही बुलाती थी।"बस बस थैंक्स की जरूरत नहीं है.. ये तो मेरा फर्ज था"मायरा को कॉलेज आए हुए 4 महीने हो गए थे। वो मेहनत से पढ़ाई कर रही थी। कॉलेज से
"मै भला क्यों छुपूंगी...वो भी तुम्हारे भाई से" मायरा ने झूठ बोला!!"आपी... अब आप मुझसे तो झूठ मत बोलो.. बहुत दिन से मैं नोट कर रहा हूं जब भाई घर में होते हैं तो आप अपने कमरे से बाहर ...और पढ़ेनिकलती""हां छूप रही हूं मैं तुम्हारे भाई से.... मैं तुम्हारे भाई के सामने नहीं आना चाहती क्योंकि उसने मेरे बारे में" मायरा बोलते बोलते रुक गई उसकी आंखों में आंसू आ गए थे "अगर ज़ईम को मुझसे शादी नहीं करनी थी तो वो सही तरह से मना कर सकता था... मुझ में वो बुराईयां क्यों निकाली जो मुझ में थी
ज़ईम के जाते ही शायान सोफे पर बड़ी ज़ोर से गिरा था। "भाई की शक्ल देखने लायक थी" शायान ने अपना पेट पकड़ा हंसते हंसते उसका पेट दुख गया था।"तुम हंस रहे हो और यहां मेरी जान निकली जा ...और पढ़ेथी" मायरा वही ज़मीन पर बैठ गई।।"सच में आपी... भाई आपको सिर से पैर तक ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अनहोनी चीज देख ली हो""हां ये तो है.... ज़ईम का मुंह ऐसे खुला था" मायरा ने मुंह बना कर दिखाया। दोनों एक साथ जोर से हंस दिए।"आपी मैं जरा भाई से मिलकर आता हूं देखूं तो सही अब उनका
ज़ईम कुछ कहे बिना वहां से चला गया और वो दोनों एक दूसरे का मुंह देखते रह गए।............. . .........................................अगले कुछ दिन मायरा इंतज़ार करती रही कि ज़ईम उसे डाटेेेगा लेकिन उसने कुछ नही कहा हाँ अलबत्ता मायरा ने ...और पढ़ेआँखों मे ज़रूर कुछ पढ़ा था।वो कहते है ना औरत किसी भी मर्द की आँँखों को बखूबी पढ़ सकती है।।"क्या हुआ मायराा... इतनी उदास क्यों हो""कुछ नही अंकल,,,,,,,,,,बस ज़रा घर की याद आ रही है""तो कुछ दिनों के लिए घर हो आओ बेटा""1 महीने बाद पेपर है,,,, तारीख भी आ चुकी है अब कुछ दिनों के लिए घर जा कर