Sone Ke Kangan book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sone Ke Kangan is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सोने के कंगन - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
रात के लगभग बारह बज रहे थे कि तभी कुशल को उसकी पत्नी अनामिका के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत ही उठा और लाइट जलाई। उसने देखा कि अनामिका दर्द के कारण तड़प रही थी।
यह देखते ही कुशल ने पूछा, “अनामिका बहुत दर्द हो रहा है क्या?”
“नहीं बहुत तो नहीं लेकिन जब भी होता है ज़ोर से ही होता है, फिर रुक जाता है फिर…!”
“हाँ-हाँ डरो नहीं, मैं माँ को बुलाकर लाता हूँ,” कहते हुए वह अपनी माँ के कमरे में आ गया।
दरवाजे पर दस्तक देते हुए उसने आवाज़ लगाई, “माँ …माँ देखो ना अनामिका को दर्द हो रहा है।”
यह सुनते ही कुशल की माँ सोनम उठ बैठी।
उसने लपक कर दरवाज़ा खोला और कहने लगी, “अभी तो समय है कुशल, अभी से दर्द…? चलो जल्दी से हम अस्पताल चले चलते हैं। डॉक्टर को दिखाना ही बेहतर होगा।”
रात के लगभग बारह बज रहे थे कि तभी कुशल को उसकी पत्नी अनामिका के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत ही उठा और लाइट जलाई। उसने देखा कि अनामिका दर्द के कारण तड़प रही थी। यह देखते ...और पढ़ेकुशल ने पूछा, “अनामिका बहुत दर्द हो रहा है क्या?” “नहीं बहुत तो नहीं लेकिन जब भी होता है ज़ोर से ही होता है, फिर रुक जाता है फिर…!” “हाँ-हाँ डरो नहीं, मैं माँ को बुलाकर लाता हूँ,” कहते हुए वह अपनी माँ के कमरे में आ गया। दरवाजे पर दस्तक देते हुए उसने आवाज़ लगाई, “माँ …माँ देखो ना
कुशल बड़े ही भारी मन से अपनी माँ के सोने के कंगन लेकर साहूकार के पास पहुँचा। साहूकार को कंगन दिखाते हुए उसने पूछा, “क्या इन कंगनों को गिरवी रखकर आप मुझे तीन लाख रुपये दे सकते हैं? जब ...और पढ़ेमेरे पास पैसे की व्यवस्था होगी मैं यह कंगन वापस ले जाऊंगा।” वज़न दार सोने के सुंदर कंगनों को देखकर साहूकार की आँखों में चमक आ गई। उसने कंगनों की शुद्धता और वज़न देखने के बाद कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें तीन लाख रुपये दे रहा हूँ पर इसका ब्याज तुम्हें देते रहना होगा।” कुशल ने दुखी मन से कंगन
धीरे-धीरे वक़्त गुजरता रहा लेकिन कंगन वापस लाने का इंतज़ाम ना हो पाया। आर्थिक परिस्थिति के कारण उस कंगन के जोड़े को उनके परिवार ने सच में भुला दिया और उन्हें साहूकार को बेच दिया। अब तक ब्याज इतना ...और पढ़ेचुका था कि कुछ पैसे भी इन लोगों के हाथ नहीं लगे। कुशल ने कहा, “माँ मुझे माफ़ कर देना मैं आपके कंगन ना छुड़ा पाया।” “कुशल यह क्या कह रहा है तू? आगे से ऐसे शब्द कभी मुँह से नहीं निकालना। हम सब साथ-साथ हैं, इतने प्यार से रहते हैं, वही तो हमारी असली पूंजी है। दौलत का क्या
सारिका का रिश्ता पक्का होने से इस समय घर में ख़ुशी का माहौल था, सब बेहद खुश थे। सोनम ने अपनी बहू अनामिका से कहा, “अनामिका अब हमें वह गहने जो हमने सारिका के लिए बनवाए हैं, बैंक के ...और पढ़ेसे निकाल कर सारिका को दिखा देना चाहिए।” “हाँ माँ वह तो इन गहनों के बारे में जानती ही नहीं है। उसके लिए तो यह बहुत बड़ा सरप्राइज होगा।” “हाँ वह बहुत ख़ुश हो जाएगी।” सारिका अपनी शादी को लेकर बहुत ख़ुश थी। अनामिका ने गहने लाकर सारिका को दिखाते हुए उसकी ख़ुशी को दुगना कर दिया। गहने देखते से
सारिका और उसका पूरा परिवार आज रजत के घर मिलने आया था। घर के बाहर टैक्सी से उतरते ही उन्होंने आलीशान बंगला और उसके बाहर खड़ी दो-दो कारें देखीं। कुशल के मुँह से निकल गया, “वाह यह लोग तो ...और पढ़ेरईस लगते हैं। घर बाहर से इतना सुंदर है तो अंदर से तो और भी बढ़िया होगा, है ना अनु?” “हाँ तुम ठीक कह रहे हो।” सारिका की तरफ़ देखते हुए कुशल ने कहा, “राज करेगी हमारी बिटिया।” सारिका ने शर्माते हुए कहा, “क्या पापा आप भी …!” तब तक रजत और उसके मॉम डैड उन्हें लेने घर के बाहर