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एक देशभक्त सन्यासी - उपन्यास
संदीप सिंह (ईशू)
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
एक विदेश यात्रा और विश्व के मानसपटल पर भारत और सनातन, अध्यात्म को कीर्तिमान कर दिया।
आज ऐसे ही देशभक्त सन्यासी को याद करना चाहूँगा।
एक बालक "सत्य" की तलाश में जगह-जगह जाता था, व्याख्याताओं से एक सरल, लेकिन कठिन सवाल पूछता था, "क्या आपने भगवान को देखा है?"
जबकि अधिकांश लोग चकित होते उस बच्चे को देख कर कई तो नास्तिक समझते।
पर कहते है ना जब आप कुछ खोजने के लिए प्रतिबद्ध होता है तो ऊपर वाला मार्गदर्शन को एक गुरु बराबर उपलब्ध कराते है, सो उस बच्चे को भी किसी को गुरु के रूप मे मार्गदर्शक को लाते है।
सो लोगों की भीड़ मे से एक ने सकारात्मक उत्तर दिया, और यह हिंदू रहस्यवादी भीड़ मे से एक रामकृष्ण परमहंस जी थे। जिन्होंने न केवल विवेकानंद को एक छाप के साथ छोड़ दिया, बल्कि उन्हें भगवान को देखने के मार्ग पर भी रखा।
ऐसा प्रचलित लोक जनसूक्तियों मे भी उल्लेखनीय है कि इस देश भक्त सन्यासी को स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने साक्षात माता काली के दर्शन कराए थे।
एक विदेश यात्रा और विश्व के मानसपटल पर भारत और सनातन, अध्यात्म को कीर्तिमान कर दिया। आज ऐसे ही देशभक्त सन्यासी को याद करना चाहूँगा। एक बालक "सत्य" की तलाश में जगह-जगह जाता था, व्याख्याताओं से एक सरल, लेकिन ...और पढ़ेसवाल पूछता था, "क्या आपने भगवान को देखा है?" जबकि अधिकांश लोग चकित होते उस बच्चे को देख कर कई तो नास्तिक समझते। पर कहते है ना जब आप कुछ खोजने के लिए प्रतिबद्ध होता है तो ऊपर वाला मार्गदर्शन को एक गुरु बराबर उपलब्ध कराते है, सो उस बच्चे को भी किसी को गुरु के रूप मे मार्गदर्शक को
.............. संसद के अध्यक्ष जॉन हेनरी बैरो ने जल्द ही टिप्पणी की, "धर्मों की जननी,भारत, का प्रतिनिधित्व ऑरेंज-भिक्षु (भगवा वस्त्रधारी सन्यासी) द्वारा किया गया था, जिसने अपने लेखा परीक्षकों पर सबसे अद्भुत प्रभाव डाला।" पश्चिम में वेदांत और हिंदू ...और पढ़ेके दर्शन को प्रतिपादित करने के लिए जाने जाने वाले, उन्होंने एक विशिष्ट हिंदू शिक्षा का नेतृत्व किया, जब औपनिवेशिक दुनिया अभी भी सांस्कृतिक हीनता की धारणा से जूझ रही थी। यह मान लेना कि भिक्षु के ज्ञान का विस्तार दार्शनिक तक सीमित था, एक गंभीर भूल होगी। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी महारत हासिल की - विवेकानंद ने
................. आइए आपके बीच जब चर्चा चल ही रही है तो उस भाषण को आपके लिए प्रस्तुत करने का प्रयास करूँ। इसे (भाषण लेख) विकिपीडिया से लिया है।विश्व धर्मसभा (शिकागो) का भाषण प्रस्तुत है - " मेरे अमरीकी ...और पढ़ेऔर भाइयों! " आपने जिस सम्मान सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया हैं उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा हैं। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ; धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ;
........ पर अब उनका समय आ गया हैं और मैं आन्तरिक रूप से आशा करता हूँ कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होनेवाले ...और पढ़ेउत्पीड़नों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्पारिक कटुता का मृत्यु निनाद सिद्ध हो।" -स्वामी विवेकानंद इसी भाषण के पश्चात संपूर्ण अमेरिकी प्रेस मे विवेकानंद को "भारत के चक्रवर्ती भिक्षु " के रूप में जाना जाने लगा।स्वामी विवेकानंद के 15 अनमोल वचन जो प्रत्येक युवा को सचमुच प्रेरित करेंगे। आज हमे इसे जीवन और
....... उनके अनुसार, “यदि शिक्षा का अर्थ सूचनाओं से होता, तो पुस्तकालय संसार के सर्वश्रेष्ठ संत होते तथा विश्वकोष ऋषि बन जाते।” उनके अनुसार, “शिक्षा उस सन्निहित पूर्णता का प्रकाश है, जो मनुष्य में पहले से ही विद्यमान है। ...और पढ़ेस्वामी विवेकानन्द भारतीय दर्शन के पण्डित और अद्वैत वेदान्त के पोषक थे। ये वेदान्त को व्यावहारिक रूप देने के लिए प्रसिद्ध हैं। स्वामी जी अपने देशवासियों की अज्ञानता और निर्धनता, इन दो से बहुत चिन्तित थे और इन्हें दूर करने के लिए इन्होंने शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया था। ये अपने और अपने साथियों को केवल वेदान्त के प्रचार