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हर्जाना - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
आज की यह रात अमावस की काली अंधियारी रात थी। इस रात के बीच में बिजली की चमक अँधेरे का सीना चीरती हुई धरती पर आ गिरती कभी मद्धम कभी भीषण। बादल नाराज़ लग रहे थे, ऐसा लग रहा था इस भयानक गरज के साथ वह कहीं फट ना जाएँ। इस तरह ध्वनि और बिजली का आवागमन जारी था, यूँ लग रहा था मानो तेज तूफ़ान आने वाला है। अनाथाश्रम में रात के सन्नाटे को रौंदता हुआ यह मौसम अपने साथ कुछ और भी लेकर आया था; लेकिन क्या जिसकी आवाज़ को वह किसी और तक पहुँचने ही नहीं दे रहा था पर दस्तक देकर किसी को बाहर बुला ज़रूर रहा था। तभी मौसम के भयानक मिज़ाज के कारण अनाथाश्रम की मैनेजर गीता मैडम की नींद खुल गई। वह उठीं और तेज कदमों से बाहर की खिड़की की तरफ़ जाकर उन्होंने झांका। वह देखने तो गई थीं मौसम का मिज़ाज लेकिन इससे पहले कि वह चारों तरफ़ अपनी नज़र घुमाएँ उन्हें नीचे अनाथाश्रम के दरवाजे के बाहर खून से लथपथ एक नन्हा बालक दिखाई दे गया। उन्होंने दौड़ कर दरवाज़ा खोला और बच्चे को उठाकर अपनी गोद में लिया। उसके बाद उन्होंने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई लेकिन इस तरह बच्चे को छोड़कर जाने वाले रुकते कहाँ हैं। गीता मैडम ने समय व्यर्थ गंवाए बिना अंदर जाना ही बेहतर समझा।
आज की यह रात अमावस की काली अंधियारी रात थी। इस रात के बीच में बिजली की चमक अँधेरे का सीना चीरती हुई धरती पर आ गिरती कभी मद्धम कभी भीषण। बादल नाराज़ लग रहे थे, ऐसा लग रहा ...और पढ़ेइस भयानक गरज के साथ वह कहीं फट ना जाएँ। इस तरह ध्वनि और बिजली का आवागमन जारी था, यूँ लग रहा था मानो तेज तूफ़ान आने वाला है। अनाथाश्रम में रात के सन्नाटे को रौंदता हुआ यह मौसम अपने साथ कुछ और भी लेकर आया था; लेकिन क्या जिसकी आवाज़ को वह किसी और तक पहुँचने ही नहीं दे
गीता मैडम के उठने के तुरंत बाद ही उनकी दो सह कर्मी महिमा और माया भी मौसम की भीषण गर्जना के कारण उठ गई थीं। उन्होंने गीता मैडम की गोद में रोते हुए बच्चे को देखते ही तैयारी शुरू ...और पढ़ेदी। गीता मैडम ने कहा, “महिमा जल्दी गर्म पानी लेकर आओ और माया तुम दूध की बोतल तैयार करो।” बच्चे की टूटती साँसों को देखकर माया ने कहा, “मैडम इसकी हालत तो काफ़ी खराब लग रही है। मुझे नहीं लगता कि यह बच्चा टूटती साँसों के बिखराव को समेट पाएगा।” “ऐसा मत कहो माया, जितना कह रही हूँ उतना करो।
लिव इन रिलेशनशिप के बारे में गीता मैडम की बात सुनते ही माया ने कहा, “हाँ मैडम आप सही कह रही हैं। अरे मैडम अब तो ऐसी माँ भी हैं, जो भगवान का दिया आँचल में छुपा हुआ उपहार ...और पढ़ेउसे भी अपनी सुंदरता के साथ जोड़ लेती हैं और बच्चे को उस सुख से वंचित रखती हैं। भगवान ने इसलिए यह उपहार नहीं दिया है। यह उपहार तो दुनिया में जन्म लिए बालक का पेट भरने का साधन है।” महिमा ने कहा, “अरे यह बदलाव तो अब यहाँ से बहुत आगे तक अपने पैर पसार चुका है। जिनके पास
आयुष्मान की मेहनत, इच्छा शक्ति, दृढ़ निश्चय और महत्वाकांक्षा ने उसे इस अनाथाश्रम का पहला डॉक्टर बना दिया। उसे यह डिग्री मिलते से ही पूरे अनाथाश्रम में ख़ुशी ने डेरा डाल दिया। वहाँ के बच्चे, आयुष्मान के साथी उसके ...और पढ़ेऔर सबसे ज़्यादा गीता मैडम की ख़ुशी का ठिकाना ना था। आज वहाँ सभी अपने अनाथाश्रम को गर्व से भरा हुआ महसूस कर रहे थे। आयुष्मान के बढ़ते क़दम अब भी रुकने को तैयार नहीं थे। उसने गीता मैडम से कहा, “गीता माँ मुझे अभी और आगे पढ़ाई करना है। एम डी करना है। माँ मैं भी आप ही की
आज अचानक सुहासिनी के अनाथाश्रम आने से गीता मैडम के मन में खलबली मची हुई थी। वह सोचने लगीं, सुहासिनी आज अचानक कैसे और क्यों? 25 साल पहले सोलह साल की उम्र में अनाथाश्रम से भाग जाने वाली सुहासिनी ...और पढ़ेआख़िर यहाँ क्यों आई है? कितनी बदनामी हुई थी उसके कारण अनाथाश्रम की, इस पावन घर की। उसे इस घर ने बचपन से पाला था और उसने क्या सिला दिया? यह सोचते हुए उनका चेहरा गुस्से में तमतमा रहा था, आँखें आग उगल रही थीं, लग रहा था मानो सुहासिनी के ऊपर तो आज सवालों का वज्रपात ही होने वाला