Harshad Molishree लिखित उपन्यास बेवजह...

बेवजह... द्वारा  Harshad Molishree in Hindi Novels
बेवजह....भाग १....राजस्थान की जलाने देने वाली गर्मी मैं... एक लड़का जो महज १४ - १५ साल का होगा, सुनसान रास्ते पर लडखडाते...
बेवजह... द्वारा  Harshad Molishree in Hindi Novels
 बेवजह...भाग २...इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक...
बेवजह... द्वारा  Harshad Molishree in Hindi Novels
बेवजह... भाग ३इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित...
बेवजह... द्वारा  Harshad Molishree in Hindi Novels
अब तक....देखते ही देखते नौ महीने बीत गए... सरला को बहोत तेज़ दर्द होरहा था, किसीभी वक़्त प्रसर्ग हो सकता था, सभी लोग बहोत...
बेवजह... द्वारा  Harshad Molishree in Hindi Novels
अब तक...ठक ठक की आवाज़ स सरला जाग गयी, सरला समझ गयी कि दरवाज़े पर ठाकुर होगा... मारे घबराहट के सरला पसीने मैं लटपट होचुकीथ...