Bhooto ka Dera book and story is written by Rahul Kumar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bhooto ka Dera is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
भूतों का डेरा - उपन्यास
Rahul Kumar
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
आज तक अपने बहुत से किस्से कहानियां सुनी होंगी और आप जानते भी होंगे जिंदगी को हम जिस तरह से दिशा देते हैं वो उस तरह से ही ढल
जाति है हम जिस इंसान के बारे मे बात करने जा रहे है वो ना तो किसी तरह की शक्तियों का मालिक है और नहीं कोई सुपर स्टार है वो तो सिर्फ एक मामूली सा इंसान है जिसको अपना घर चलाने के लिए सिपाही की नौकरी करनी पड़ती है जिसके चलते वह कुछ सालो तक अपने घर नहीं जा पाता है उसके घर मे उसकी काफी बुढ़ी माँ होती है जिसको उसने बहुत सालो से देखा नहीं था इसी बीच उससे छोटी सी गलती होने पर उसको नौकर से निकाल देते है ये कह कर के "तुम्हारी नौकरी का समय पूरा हो गया है अब तुम आजाद हो जहां चाहो जा सकते हो।"
बेचारा सिपाही वहां से कुछ सोचता हुआ चलता जा रहा था ," मैने इतने साल तक देश की सेवा की और इसके लिए मुझे खाने के लिए कुछ अच्छा सा भी नहीं दिया गया बदले में मुझे क्या मिला ?
बस रास्ते के लिए सिर्फ तीन रोटी अब मै क्या करूं ? कहां जाऊं ? मेरे लिए सिर छिपाने को भी कोन सी जगह है?
आज तक अपने बहुत से किस्से कहानियां सुनी होंगी और आप जानते भी होंगे जिंदगी को हम जिस तरह से दिशा देते हैं वो उस तरह से ही ढलजाति है हम जिस इंसान के बारे मे बात करने जा ...और पढ़ेहै वो ना तो किसी तरह की शक्तियों का मालिक है और नहीं कोई सुपर स्टार है वो तो सिर्फ एक मामूली सा इंसान है जिसको अपना घर चलाने के लिए सिपाही की नौकरी करनी पड़ती है जिसके चलते वह कुछ सालो तक अपने घर नहीं जा पाता है उसके घर मे उसकी काफी बुढ़ी माँ होती है जिसको उसने
" शहर के सबसे धनी व्यापारी ने यह मकान अपने रहने के लिए बनवाया था मगर वह लाख चाहते हुए भी रह नहीं सकता ।"ढाबे वाले ने जबाव दिया"क्यों?""उस मकान में भूतो का डेरा है समझ लो कि वह ...और पढ़ेभूतों प्रेतों से भरा हुआ है रात को वे चीखते चिल्लाते है , नाचते हैं और बड़ा शोर मचाते है । अंधेरा हो जाने के बाद मकान के पास जाते हुए भी लोगों को डर लगता है । " सिपाही ने ढाबे वाले से पूछा ," उस व्यापारी से कहां मुलाकात हो सकती है में उससे मिलकर दो बातें करना
कि मुर्दे भी सुनते हो घबराकर कब्रों से बाहर आ जाते पूरे मकान में मानो भूचाल आ गया । लेकिन सिपाही इस तरह शांत बैठा हुआ अखरोट खा रहा था और सिगार के कश लगा रहा था , जैसे ...और पढ़ेकुछ हुआ ही न हो।अचानक दरवाजा खुला एक भूत ने कमरे के अंदर झांककर सिपाही को देखा और देखते ही चिल्लाया " यहां तो एक आदमी बैठा है आ जाओ , दोस्तो , आज तो हमारी दावत का समान तैयार है !"सारे भूतप्रेत धम धम करते उसी कमरे में घुस आये , जिसमे सिपाही बैठा था। वे दरवाजे के पास
" सिपाही बोला लो फौरन इस अखरोट को तोड़ कर दिखाओ सरदार ने अखरोट समझ कर गोली मुंह में डाल ली वह उसे चबाता रहा चबाता रहा यहां तक कि गोली चपटी हो गयी मगर वह टूटी नहीं उधर ...और पढ़ेएक के बाद दूसरा ओर दूसरे के बाद तीसरा अखरोट मुंह में डाल कर कड़ा कड़ तोड़ता जा रहा था। अब सभी भूतों के अंदर मानो एक डर सा छा गया सब भूत निगाहें नीची किए हुए खड़े थे और बड़ी परेशानी और घबराहट के साथ सिपाही की तरफ देख रहे थे। कुछ देर संत रहने के बाद सिपाही बोला
"नहीं, दूर नहीं है, "दुकान के नौकरों ने जवाब दिया वे लोग झोले को उठा कर लोहार की दुकान तक ले आये | सिपाही ने लोहार से कहा, " अच्छा भाई जरा इस झोले को अहरन पर रखकर जोर ...और पढ़ेसे हथौड़े तो चालाओ, इस झोले पर लुहार और उसके हेल्परों ने झोले को अहरन पर रखकर धड़ाधड़ घन ओर हथौड़ा चलाना शुरू कर दिया ।उन भूतों का क्या हाल हुआ होगा यह तो आप खुद ही सोच सकते हैं । "हम पर दया करो भैया हमारी जान बख्श दो !"वे सब एक साथ एक आवाज में चिल्लाये।लेकिन लुहार अपना