Bhooto ka Dera - 4 books and stories free download online pdf in Hindi भूतों का डेरा - 4 (2) 3.5k 6.8k " सिपाही बोला लो फौरन इस अखरोट को तोड़ कर दिखाओ सरदार ने अखरोट समझ कर गोली मुंह में डाल ली वह उसे चबाता रहा चबाता रहा यहां तक कि गोली चपटी हो गयी मगर वह टूटी नहीं उधर सिपाही एक के बाद दूसरा ओर दूसरे के बाद तीसरा अखरोट मुंह में डाल कर कड़ा कड़ तोड़ता जा रहा था। अब सभी भूतों के अंदर मानो एक डर सा छा गया सब भूत निगाहें नीची किए हुए खड़े थे और बड़ी परेशानी और घबराहट के साथ सिपाही की तरफ देख रहे थे। कुछ देर संत रहने के बाद सिपाही बोला "मैने सुना है कि तुम लोग खूब अच्छे जादू के खेल दिखाते हो," , "तुम छोटे से बड़े ओर बड़े से छोटे बन जाते हो ओर बारीक से बारीक सुराख में से निकाल जाते हो।" "हां हां ,यह हम कर सकते है " सारे भूत चिल्लाये ।"तो आओ जरा मेरे इस झोले में तो सब के सब घुसकर दिखाओ!"सिपाही के इतना कहते ही सारे भूत प्रेत झोले पर टूट पड़े और जल्दी जल्दी एक दूसरे को धक्का देते हुए झोले में घुस गये । एक मिनट के अंदर पूरा मकान खाली हो गया अब सारे भूत झोले में बंद थे सिपाही ने झोले का मुंह बंद करके उसको फीते से कसकर बांध दिया । "अब में चेन से सो सकता हूं ।" उसने कहा।वह सिपाहियों के ढंग से अपने बड़े कोट को आधा बिछाकर , आधा ओढ़कर लेट गया और लेटते ही उसे नींद आ गई । अगले दिन व्यापारी ने अपने नौकरों से कहा, "जाओ, और जाके देखो की वह सिपाही जिन्दा भी है या मर गया अगर मर गया हो तो उसकी लाश उठा लाना "और कहीं जाकर दबा आना , व्यापारी मन ही मन ये सोच रहा था कि रात तो वो उन भूतों के हाथो से जरूर मारा गया होगा, पता नहीं कहा कहा से आ जाते है ये व्यापारी ये सब सोच ही रहा था और दूसरी तरफ जब वह नौकर हवेली में आये तो अपनी आँखों के सामने ये सब देख कर दंग रह गए उन्होंने देखा कि सिपाही अपने सिगार के कश लगाता हुआ कमरों में टहल रहा है ये सब देख कर उन नौकर के मन मे सिपाही के प्रती काफी सम्मान आ गया और जाकर सिपाही से कहा "नमस्कार सिपाही जी हमे तो उम्मीद ही नही थी कि आप जिंदा भी मिलोगे |हमे तो सहाब जी ने आपका मरा शरीर उठाने के लिए यह भेजा था और हम तो साथ में बक्शा भी लाये थे आपका मरा शरीर उठाने के लिए सिपाही ने हंसकर जवाब दिया, "मुझे मारना बच्चों का खेल नहीं है अब आ ही गए हों तो मेरी थोड़ी मदत करो जी सिपाहीजी बोलिए नौकरो ने कहा ठीक है लो इस झोले को उठा कर किसी लोहार की दुकान तक ले चलो "सिपाही ने पूछा लोहारखाना यहां से जादा दूर है क्या ?To be continue...क्या लगता है आपको क्या होगा आगे comment करके जरूर बताना और आगे जानने के लिए पढ़ते रहे भूतों का डेरा अगर आपको स्टोरी अच्छी लग रही होतो Like,Comment, Shere and follow जरूर करे Thank you ‹ पिछला प्रकरणभूतों का डेरा - 3 › अगला प्रकरणभूतों का डेरा - 5 Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Rahul Kumar फॉलो उपन्यास Rahul Kumar द्वारा हिंदी डरावनी कहानी कुल प्रकरण : 14 शेयर करे आपको पसंद आएंगी भूतों का डेरा - 1 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 2 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 3 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 5 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 6 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 7 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 8 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 9 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 10 द्वारा Rahul Kumar भूतों का डेरा - 11 द्वारा Rahul Kumar NEW REALESED Adventure Stories शशशशश...... धुंध में कोई राज है?? - भाग 3 Mini Fiction Stories प्यार हुआ चुपके से - भाग 6 Kavita Verma Love Stories पागल - भाग 25 कामिनी त्रिवेदी Love Stories द मिस्ड कॉल - 5 vinayak sharma Horror Stories द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 35 Jaydeep Jhomte Moral Stories उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti Adventure Stories एक गाँव की कहानी दिनेश कुमार कीर Moral Stories हरसिंगार Bharati babbar Fiction Stories अमावस्या में खिला चाँद - 2 Lajpat Rai Garg Love Stories मेरे हमदम मेरे दोस्त - भाग 2 Kripa Dhaani