Zindagi Zindabaad book and story is written by Mehul Pasaya in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Zindagi Zindabaad is also popular in थ्रिलर in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ज़िन्दगी जिंदाबाद - उपन्यास
Mehul Pasaya
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
नमसकार मे आज आपके लिए पेश करते है. एक नई धारावाहिक रचना तो चलो आगे बढते है.
अक्सर मेरे देख है. लोगो को लड़ते हुए की जिन्दगी मे सब कुच करो लेकिन गलत काम मत करो किसीको दुखी मत करो क्यू की भुकत ना तो खुद्को ही है. लेकिन लोग ये क्यू भुल जाते है. की गलती तो इंसानो से ही होती है. वो तो कभी भी कही भी हो सकती है.
लेकिन लेकिन ऐसी ही ढेर सारी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने आ रहे है. हमारे इस °वेल पुलिस स्टेशन° के ईक्सपेक्टर मोहन प्रसाद. और उनकी टीम के साथ पधार रहे है. तो चलो देखते है. आखिर कार हमारे इस पुलिस स्टेशन की टीम. इस °वेल शहर° का नाम कैसे रोशन करते है..
सबसे पहले मिलते है °हैड कौन्स्टेबल राघव सिंग° से... ये गाड़िया इतनी सारी यहा पुलिस स्टेशन के आगे किसने पार्क की है. नियम नाम की भी कौइ चिज होती है. भला ऐसे कैसे कौइ भी पुलिस स्टेशन के आगे गाडिया पार्क करके चला जायेगा. रुको अब ये गाडी यहा से नही मिलेगी अब ये गाडिया डायरेक्ट पुलिस मे जकर मिलेगी कानूनी कागजो के साथ. राघव ये कहते हुए पुलिस स्टेशन के अंदर चाल गया. अंदर राजू साफ सफाई का काम कर रहा था और उसने बोला की...
नमसकार मे आज आपके लिए पेश करते है. एक नई धारावाहिक रचना तो चलो आगे बढते है.अक्सर मेरे देख है. लोगो को लड़ते हुए की जिन्दगी मे सब कुच करो लेकिन गलत काम मत करो किसीको दुखी मत करो ...और पढ़ेकी भुकत ना तो खुद्को ही है. लेकिन लोग ये क्यू भुल जाते है. की गलती तो इंसानो से ही होती है. वो तो कभी भी कही भी हो सकती है.लेकिन लेकिन ऐसी ही ढेर सारी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने आ रहे है. हमारे इस °वेल पुलिस स्टेशन° के ईक्सपेक्टर मोहन प्रसाद. और उनकी टीम के साथ पधार रहे है.
।। एफ.आई.आर की फ़ाईल गायब ।।माफ किजीये सर दरअसल आने मे देरी हो गई. मोहन ने कहा की... लेकिन आप लोगो ने आने की तकलीफ ही क्यू की वही पे ही रह जाते. केसेस हम देख लेंगे जो भी ...और पढ़ेरवि ने कहा की... सॉरी सर क्या करे ये ट्राफीक है ना. उसमे हम लेट हो गई अगली बार ऐसा ना हो इसका ध्यान रखेंगे. तमन्ना ने भी ये बोलते हुए अपनी बात रखी की... हा सर सच मे रास्ते मे ट्राफीक बहुत था. तो उसकी वजह से लेट हो गई. हम भी आपसे वादा करते है. की आगे से
क्या सर आप अब शान्त हो जाईये ना. और अब आप आ गए हो तो ऑफ़ कोर्स कुच ना कुच करेंगे. ईक्स पेक्टर मोहन ने कहा की... चलो भाई कुच कर देने की क्षमता जागी है. देखते है. क्या ...और पढ़ेहो तुम लोग.. { वेल नगर के हाल चाल } अरे उदेसिंग भाई क्या हुआ कहा जा रहे हो. इस छोटे से बच्चे को लेकर. और इत्ना लेट भाई थोडा संभाल कर जाना शहर मे दंगे बहुत होते है. आपको तो पता ही है. हमे बताने की जरूरत भी नही पड़ेगी. लेकिन फिर भी हम अपना फर्ज निभा रहे ये