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ज़िन्दगी जिंदाबाद - इंट्रो



नमसकार मे आज आपके लिए पेश करते है. एक नई धारावाहिक रचना तो चलो आगे बढते है.

अक्सर मेरे देख है. लोगो को लड़ते हुए की जिन्दगी मे सब कुच करो लेकिन गलत काम मत करो किसीको दुखी मत करो क्यू की भुकत ना तो खुद्को ही है. लेकिन लोग ये क्यू भुल जाते है. की गलती तो इंसानो से ही होती है. वो तो कभी भी कही भी हो सकती है.

लेकिन लेकिन ऐसी ही ढेर सारी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने आ रहे है. हमारे इस °वेल पुलिस स्टेशन° के ईक्सपेक्टर मोहन प्रसाद. और उनकी टीम के साथ पधार रहे है. तो चलो देखते है. आखिर कार हमारे इस पुलिस स्टेशन की टीम. इस °वेल शहर° का नाम कैसे रोशन करते है..

सबसे पहले मिलते है °हैड कौन्स्टेबल राघव सिंग° से... ये गाड़िया इतनी सारी यहा पुलिस स्टेशन के आगे किसने पार्क की है. नियम नाम की भी कौइ चिज होती है. भला ऐसे कैसे कौइ भी पुलिस स्टेशन के आगे गाडिया पार्क करके चला जायेगा. रुको अब ये गाडी यहा से नही मिलेगी अब ये गाडिया डायरेक्ट पुलिस मे जकर मिलेगी कानूनी कागजो के साथ. राघव ये कहते हुए पुलिस स्टेशन के अंदर चाल गया. अंदर राजू साफ सफाई का काम कर रहा था और उसने बोला की...

गुड मॉर्निंग राघव सर इतने गुस्से मे वो भी सुबह सुबह. क्या हुआ बतायेंगे जरा. ये सुन ते ही राघव बोल पडा...

अरे ये गाड़ियां किसने पार्क कर रखी है. देखो तो अभी हमारे सीनियर आयेंगे तो क्या कहेंगे उनको. की ये सब होता है. हमारे इस वेल नगर के पुलिस स्टेशन मे. राजू ने बडे ही हसी के मूड़ मे कहा...

हाहाहा अरे बूड़थल इन्सान अगर इस थाने मे सिर्फ अयाइसी ही होती है. तो हया पे जो सीनियर आयेंगे वो तो ये कहेंगे. की ये पुलिस थाना है या कोई कबाडी खंडर. और क्या पता इस पुलिस स्टेशन को सुधार भी दे. राघव ने बोला...

तुम अपना काम करो ना अब आये बडे हमारा मजाक उड़ाने वाले. चलो चलो जल्दी काम खतम करो और जाओ अब सर आने वाले है. ये सुनते ही राजू चिड गया और पुलिस स्टेशन मे जो भी चीजे थी उसको इधर उधर करने लगा. राघव चिलाते हुए बोला राजू को की...

राजू कसमे कम तुम तो इस थाने मे ढंग से रह लो. अगर हम मे कुच कह क्या दिया तुमने तो पुरा पुलिस ही अपने सर पे उठा लिया कमाल है. अब ये अब ये सारी चीजे जैसी थी वैसी कर दो. राजू हस्ते हस्ते सब समेट ने लगा और बोला की...

अब वापस हम से गुस्ताकी करोगे राघव सर हेहेहे. राघव ने कहा की...

तुम्हे तो हम बाद मे देख लेंगे. देखना मेने तुम्हारी टाँगे नही काट दी ना तो मेरा नाम भी राघव सिंह नही. ये कहते हुए राजू को बोला की...

अब सारी बाते छोडो और सुनो वो रहा दरवाजा और निकलो वहा से ठीक है. राजू ने कहा की...

ठीक है सर अभी तो हम जा रहे है. लेकिन बहुत जल्द वापस आयेंगे. और फिर से हंगामा मचाएंगे देखना आप हाहाहा. राजू ये कहते हुआ चला गया.

राजू चला गया उसके बाद राघव के सर यानी वेल पुलिस स्टेशन के इंचार्ज आ गए. उन्के आते ही राघव हड़बड़ाते हुए अपने बारे मे बोल और सेल्यूट किया. और बताया की...

जय हिन्द सर हैड कौन्स्टेबल राघव सिंह सर. मोहन ने कहा...

जय हिन्द अच्छा बाकि लोग कहा गई यहा पे कोन कोन है. अभी तक आये नही क्या. राघव ने कहा...

सर आ. आप यहा पर बैठिये ना. वो आते ही होंगे. मोहन ने कहा...

ओके ठीक है अब हमे उनका वेट भी करना पडेगा यहा पर कौइ रुल्स वगेरा भी है या नही..

मोहन के इतना कहते ही कौन्स्टेबल रवि शर्मा. और सायबर एक्सपर्ट तमंन्ना साह. और आते ही मोहन को सेल्यूट किया और अपने बारे मे बताते हुए कहने लगे की...

आगे जान्ने के लिए पढते रहे जिन्दगी जिन्दाबाद. और जुडे रहे मेरे साथ.

⚠️ यह कहानी एक पुलिस स्टेशन से बीलोंग करती है ]

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