Pyar Kiya Nahi Jata book and story is written by Manish Sidana in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyar Kiya Nahi Jata is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार किया नही जाता - उपन्यास
Manish Sidana
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
"हे भगवान!इस कोच में और भी कोई यात्री आएगा,या मुंबई से अमृतसर का लंबा सफर मुझे अकेले ही तय करना होगा।"....खुशी मन ही मन बुदबुदा रही थी।
गाड़ी के चलने का समय हो गया था।खुशी की बैचैनी बढ़ती जा रही थी। खुशी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और मुंबई की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है।हालांकि इस ट्रेन से खुशी पहली बार सफर नहीं कर रही थी।वो छुट्टियों में इसी ट्रेन से अपने घर अमृतसर जाती थी।हवाई यात्रा से उसे डर लगता था,इसलिए ट्रेन ही एकमात्र विकल्प बचता था।पर हर बार उसके साथ दिल्ली तक उसकी सहेली रिया साथ जाती थी।पर इस बार लॉक डाउन खुलने के बाद बहुत कम लोग सफर कर रहे थे।उसकी भी मम्मी की तबीयत खराब ना होती तो ,इस माहौल में खुशी भी सफर करने का रिस्क ना लेती।भीड़ भाड़ से बचने के लिए इस बार खुशी ने वातानुकुलित तृतीय श्रेणी के बजाय वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी का टिकट कराया।पर ये निर्णय लगता है,उल्टा पड़ गया था।क्योंकि पूरे कोच में खुशी अकेली यात्री थी।36 घंटे का सफर उसे इस कोच में अकेले करना होगा,ये सोचकर उसकी जान निकले जा रही थी।
प्यार किया नहीं जाता भाग - 1 तन्हा सफ़र "हे भगवान!इस कोच में और भी कोई यात्री आएगा,या मुंबई से अमृतसर का लंबा सफर मुझे अकेले ही तय करना होगा।"....खुशी मन ही मन बुदबुदा रही थी। गाड़ी के चलने ...और पढ़ेसमय हो गया था।खुशी की बैचैनी बढ़ती जा रही थी। खुशी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और मुंबई की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है।हालांकि इस ट्रेन से खुशी पहली बार सफर नहीं कर रही थी।वो छुट्टियों में इसी ट्रेन से अपने घर अमृतसर जाती थी।हवाई यात्रा से उसे डर लगता था,इसलिए ट्रेन ही एकमात्र विकल्प बचता था।पर हर बार उसके
भाग -2 हमसफ़र ट्रेन पूरी गति से भाग रही थी।उसी गति से खुशी का दिमाग भी चल रहा था।अगला स्टेशन 2 घंटे बाद यानि रात के 12बजे के आस पास आएगा।उस समय एक अनजान स्टेशन पर उतरना भी सुरक्षित ...और पढ़ेहै।आजकल स्टेशन पर भीड़ भाड़ भी नहीं होती।अगली गाड़ी भी वहां से सुबह आठ बजे है।होटल में रुकना भी ठीक नहीं है,क्योंकि होटल भी सारे खाली पड़े है।खुशी ने जी भरकर कोरोंना को कोसा।जिसकी वजह से ये अजीब परिस्थिति बन गई थी।वरना तो स्टेशन और गाड़ियों में इतनी भीड़ रहती थी कि सांस भी ना ली जाए।शायद अगले स्टेशन पर
भाग -3 ना बोले तुम ना मैने कुछ कहा गाड़ी भागे जा रही थी।डिब्बे में घनघोर अंधेरा था।कदमों की आहट पास आकर रुक गई थी।खुशी की आंखे अब अंधेरे में थोड़ा थोड़ा देख पा रही थी।एक साया सीट के ...और पढ़ेआकर रुक गया।खुशी ने चाकू खोल लिया और अटैकिंग पोज में बैठ गईं। "मैम, आप ठीक हो?" कोई रिप्लाइ नहीं मिला।साया अंधेरे में देखता रहा ।फिर उसकी सीट पर बैठ गया।फिर उसके हैंड बैग की चेन खोलने लगा।खुशी को कुछ नहीं सूझा तो उसने पूरी ताक़त से साए के पैर पर चाकू से आक्रमण कर दिया। एक चीख कि आवाज़
अन्तिम भाग - खुशी को अमृतसर आए हुए 2 महीने हो गए थे।पर उसका घर में मन ही नही लग रहा था।मम्मी ने दो लड़को से भी मिलवाया।दोनो अच्छे पड़े लिखे थे।दोनो अच्छी खासी जॉब कर रहे थे ।पर ...और पढ़ेका मन कुछ डिसाइड नही कर पा रहा था। "बात क्या है खुशी,इस बार जब से आई है, तू कुछ उदास है.".खुशी की खास दोस्त रिया ने पूछा "नही..ऐसी कोई बात नही"..खुशी ने जबरन मुस्कुराते हुए कहा। "बचपन से जानती हूं तुझे..मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती..जल्दी बता कौन है वो लड़का..जिसके चक्कर में तू बावरी हो रही है?",रिया ने खुशी