Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास ख़ाम रात

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ख़ाम रात द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैंने नींद से जाग कर फ़ोन हाथ में उठाया ही था कि उस व्हाट्सएप मैसेज पर नज़र पड़ी। लिखा था- जब फ़्री हों बात करें। मैसेज...
ख़ाम रात द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैं लॉन में चलता हुआ महिला की ओर कुछ दूर बढ़ा ही था कि शायद कुछ आहट पाकर महिला ने पीछे मुड़कर देखा। मैं चौंक गया। अरे, य...
ख़ाम रात द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
अभी हमारी बातचीत में कुछ आत्मीयता आई ही थी कि उन्होंने दूर से गुज़र रहे एक वेटर को आवाज़ दे ली। वो बोलीं - चलिए जूस पीते...
ख़ाम रात द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
- उसे ज़रूर किसी की नज़र लग गई। मैडम ने कुछ सहज होकर कहा। मैं अपनी पलकें मूंद कर बैठ गया और उनकी बात सुनने लगा। वो कहती...
ख़ाम रात द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
रस तो दोनों में अनार का ही था मगर एक ग्लास थोड़ा डार्क और दूसरा बिल्कुल ब्राइट रेड। मलेशियन लड़के ने गिलास रखे ही इस तरह...