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वो पहली बारिश - उपन्यास
Daanu
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
अगर किस्से कहानियों की माने तो बारिश वो साधन है, जो मुश्किल सी मुश्किल प्रेम की नैया को पार लगा दे, पर वहीं हमारे ध्रुव की माने तो बारिश प्यार को बढ़ाती नहीं मिटाती है। ऐसी ही एक बारिश में ध्रुव की जिंदगी में दस्तक देती है, परेशान सी निया। क्या निया ध्रुव की बातों को मान, बारिश को कसूरवार ठहराएगी या ये बारिश उनकी जिंदगी में कुछ अलग उथल पुथल मचाएगी।
वो पहली बारिश कहानी है ध्रुव और निया की। ध्रुव जिसे पहली बारिश को कोई शिकायतें लेकर है, और निया जिसे किसी भी बारिश से ज्यादा अपने प्यार की फ़िक्र है।
"सिमरन.. यार बारिश वारिश को छोड़.. ...और पढ़ेपता नहीं ठीक है भी या नहीं, फोन ही नहीं उठा रहा यार वो मेरा, मुझे मिलना ही होगा आज उससे।", निया अपनी बिल्डिंग से बाहर निकलते हुए बोली। वहीं दूसरी ओर बिल्डिंग में जाता हुआ ध्रुव फोन पे बोल रहा था, "मैं तेरे लिए बहुत खुश हूं, इसलिए कह रहा हूं, आज बाहर मत निकलियो बिलकुल भी। थोड़ी देर में तेज़ बारिश आने....
अंकित के जाने के बाद निया कुछ देर तक वहीं बैठी रहीऔर आखिरकार जब उसने उठ कर वहां से जाने की हिम्मत करी तो देखा की जैसे कयास लग रहे थे, वैसी ही तेज़ बारिश बाहर आ रही थी।बाकी ...और पढ़ेजहाँ उस बारिश के मज़े ले रहे थे, वहीं निया बिना कुछ सोचे बारिश में बिन छाते के ही अपने घर की और रवाना हो गई।अपनी इस हालत के लिए बारिश को कोसते हुए कुछ दूर चली ही थी कि उसका पैर मूड गया और वो गिर गई।पहले से ही काफी परेशान निया पर, बारिश अचानक से बढ़ने पे और
“तू देखिओ वो कल शाम से पहले ना सॉरी बोलते हुए कॉल करेगा। मैं जानती हूं ना अंकित को, कभी कभी गुस्से में कुछ कह देता है, पर बाद में माफी मांग लेता है”, निया फोन पे अपनी सहेली ...और पढ़ेसे बोलती हैं। वैसे तो उसे सिमरन को बताना था, कि सब ठीक जाएगा, पर ऐसा लग रहा था की जैसे वो खुद से कह रही थी, की सब ठीक है।“यार.. दिन ही खराब था मेरा कल, ये तो जो हुआ सो हुआ उसके बाद एक पागल मेरे पीछे पड़ गया, पता नहीं कैसे कैसे ठग हो गए आजकल..." निया अभी
"क्या मुसीबत है ये, जिसके लिए यहाँ वाले प्रोजेक्ट में आई, वो तो मेरे आते ही, मुझे छोड़ कर भाग गया । अगर मुझे पता होता तो ऐसी बेवकूफी कभी नहीं करती", ऑटो से उतरती हुई निया, खुद से ...और पढ़ेरही होती है। वो गेट से अंदर पहुंचती ही है की उसे पता लगता है की यहाँ उसके पुराने ऑफिस वाला कार्ड नहीं चलेगा। "अरे भैया.. देखो ना, असली कार्ड है, ऑफिस तो सेम ही है ना, खोल दो अभी, वरना मुझे लेट हो जाएगा, मैं आज ही नई आई हूं", निया गार्ड भैया से कहती है, पर अपनी नौकरी के लिए
"ओए.. तुमने तो बताया भी नहीं, की तुम आते ही बड़े कांड कर के आई हो।", निया की नई टीम वाली सहेली ने उनके कॉफी के लिए जाते टाइम पूछा। "कांड.. मुझे तो सच में समझ ही नहीं आ ...और पढ़ेकी ऐसा भी क्या कर दिया है मैंने।" "कोई ना.. कोई ना.. थोड़े दिन रुक जाओ तुम, फिर सब पता लग जाएगा।" "ऐसा भी क्या ही है?" "वो क्या है ना.. ओह.. ध्रुव..तुम.. बड़े दिन बाद दिखे हो, कैसे हो?" वो सहेली वहाँ आए ध्रुव को देखते हुए बोली।"मैं ठीक, आप सुनाओ कैसे हो? काम ठीक चल रहा है?" ध्रुव ने उससे पूछा। "हम्म.." ध्रुव