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रिमझिम गिरे सावन - उपन्यास
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
शायद दुनिया का सबसे सुन्दर शब्द है प्रेम, निस्वार्थ प्रेम किसी के भी जीवन को बदल सकता है, निस्वार्थ प्रेम में वो शक्ति होती है कि कितनी बड़ी से बड़ी मुश्किल या दुख हो तो वो उसे भी झेल जाता है, प्रेम के दम पर इन्सान किसी भी असम्भव कार्य को सम्भव में परिवर्तित कर सकता है।।
यही कार्य कर दिखाया था झुम्पा ने अपने जतिन्दर के लिए, मैं झुम्पा से जब मिला, तब उसके चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ चुकीं थीं, उसकी आँखें धँस गई थीं और उसके बाल सफेद हो गए थे लेकिन तब भी उस उम्र में उसके चेहरे पर ग़जब का आकर्षण और मासूमियत थी, उसके सभी दाँत अब भी सही सलामत थे, वो हँसती थी तो उसके दाँत मोतियों जैसे लगते थे, आज अचानक बारिश देखकर मुझे झुम्पा की याद आ गई।।
भाग(१) शायद दुनिया का सबसे सुन्दर शब्द है प्रेम, निस्वार्थ प्रेम किसी के भी जीवन को बदल सकता है, निस्वार्थ प्रेम में वो शक्ति होती है कि कितनी बड़ी से बड़ी मुश्किल या दुख हो तो वो उसे भी ...और पढ़ेजाता है, प्रेम के दम पर इन्सान किसी भी असम्भव कार्य को सम्भव में परिवर्तित कर सकता है।। यही कार्य कर दिखाया था झुम्पा ने अपने जतिन्दर के लिए, मैं झुम्पा से जब मिला, तब उसके चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ चुकीं थीं, उसकी आँखें धँस गई थीं और उसके बाल सफेद हो गए थे लेकिन तब भी उस उम्र
भाग (२) और बाबा उस नवयुवक को घर के भीतर ले आएं, फिर उसका ओवरकोट उतरवा कर बोले.... बाबूसाहब!, ये रही अँगीठी, आप हाथ पैर सेंक लीजिए, फिर बोले... झुम्पा! जरा कटोरे में गरम दाल तो ले आ, ...और पढ़ेका गला सिंक जाएगा, ठण्ड लग रही होगी।। तब घरों में बिजली नहीं हुआ करती थी जैसे कि अभी मेरे खेत में नहीं है, लेकिन नीचे तो अब बिजली आ गई है, ऊपर पहाडों पर नहीं आई है, तब उस जमाने में दिए और लालटेन का सहारा लेना पड़ता था, लालटेन की रोशनी में मैने उसका चेहरा देखा, गोरा रंग,
(अन्तिम भाग) जब झुम्पा घर आई तो उसके बाबा ने उससे पूछा..... क्या जतिन्दर तुझे पसंद करता है?झुम्पा पलकें झुकाए और गरदन नीचे करके खड़ी हो गई लेकिन बोली कुछ नहीं... तब बाबा ने फिर से तेज आवाज़ ...और पढ़ेपूछा.... जवाब दे...झुम्पा! वो तुझे पसंद करता है या नहीं.... हाँ! बाबा! और कहता है कि मुझसे शादी करेगा, झुम्पा डरते हुए बोली... उसने कहा और तूने उसकी बातों पर यकीन कर लिया...., बाबा बोले।। बाबा! वो एक अच्छा इंसान है, झुम्पा बोली।। बेटा! कोई भी परदेशी अच्छा नहीं होता, ये यहाँ पहाड़ो पर आते हैं और यहाँ की भोली-भाली