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प्लेटफार्म पर खड़ी औरत - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी रोमांचक कहानियाँ
वह साहित्य का शौकीन कभी नही रहा।उपन्यास और मैगज़ीन को वह छूता तक नही था।कभी कभी समाचारों के लिए अखबार पर सरसरी नज़र जरूर डाल लेता था।
साहित्य से चाहे उसे एलर्जी हो पर एक साहित्यकार से बड़ा लगाव था।अंग्रेजी के विदेशी साहित्यकार जान किट्स का वह प्रशंसक था।
ब्यूटी इज जॉय फ़ॉर एवर-किट्स के इन शब्दों का वह कायल था।सचमुच उसे सुंदरता से बहुत प्रेम था।पाकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ ईश्वर की अनुपम देन नारी के मद का वह पुजारी था।
वह साहित्य का शौकीन कभी नही रहा।उपन्यास और मैगज़ीन को वह छूता तक नही था।कभी कभी समाचारों के लिए अखबार पर सरसरी नज़र जरूर डाल लेता था।साहित्य से चाहे उसे एलर्जी हो पर एक साहित्यकार से बड़ा लगाव था।अंग्रेजी ...और पढ़ेविदेशी साहित्यकार जान किट्स का वह प्रशंसक था।ब्यूटी इज जॉय फ़ॉर एवर-किट्स के इन शब्दों का वह कायल था।सचमुच उसे सुंदरता से बहुत प्रेम था।पाकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ ईश्वर की अनुपम देन नारी के मद का वह पुजारी था।औरत से उसे जन्म से ही आकर्षण था।बचपन मे हमउम्र लड़कियों के साथ खेलना उसकी आदत थीं।जब वह बड़ा हुआ तो
"""दिल्ली,"उदास नज़रो से उसकी तरफ देखते हुए रुंधी सी आवाज में बोली,"शायद आज नही जा पाऊंगी।""क्यो?उस युवती की तरफ आश्चर्य से देखते हुए वह बोला,"आप जाने के लिए ही आयी है फिर क्यों नही जा पाएंगी?क्या कोई काम याद ...और पढ़ेगया।""जी नही,"उसकी आवाज से निराशा झलक रही थी,"देख नही रहे कितनी भीड़ है।मुझ अकेली औरत को कैसे जगह मिलेगी।"" ओ हो इतनी सी भीड़ देखकर आप घबरा गयीं।आप चिंता मत करे।मैं भी दिल्ली जा रहा हूं।मैं आपको लेकर चलूंगा।""शुक्रिया।"कुछ ही देर बाद स्पीकरों पर उद्धघोसना हुई-दिल्ली जाने वाली ट्रेन कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म पर प्रवेध करने वाली है।"अपना टिकट
"आप कानपुर क्यो गयी थी?'"मेरी सहेली रहती है।उससे मिलने गयी थी।"अंधेरे को चीरती हुई ट्रेन आगे बढ़ी जा रही थी।।कुछ यात्री बातो में लगे थे तो कुछ सो रहे थे।माया के बदन से उठती भीनी ...और पढ़ेखुश्बू उसे मदहोश कर रही थी।"कल सन्डे है।कल तो आपकी छुट्टी होगी।'"हा""कल मैं भी दिल्ली में रहूंगा।होटल नटराज।आप वहाँ आ जाये।कल का दिन साथ गुज़ारेंगे।"",क्या कोई विशेष प्रोग्राम है?""आप साथ होगी तो प्रोग्राम तो विशेष ही होगा।"उसने अपनी नज़र माया के चेहरे पर जमा दी थी।अब भी वह उदास लग रही थी।उसकी उदासी में भी कशिश थी।उसे उस पर प्यार आ रहा था।कोई और
"यस।व्हाई नॉट।श्योर।"टेक्सी में बैठकर वह बोली थी।और वह तब तक माया की टेक्सी को देखता रहा जब तक आंखों से ओझल न हो गयी।फिर उसने अपने लिए टेक्सी की थी।माया उसके साथ नही थी।लेकिन उसको याद करके वह रोमांचित ...और पढ़ेकर रहा था।उसके साथ गुज़ारे कुछ घण्टे ही ऐसे लग रहे थे मानो वर्षो का साथ हो।होटल पहुंचा लेकिन माया की याद ने उसका पीछा नही छोड़ा।उसका कुछ समय का सान्निध्य उसे रोमांचित कर रहा था।रात को बिस्तर में पड़ने के बाद उसने बहुत कोशिश की लेकिन नींद न जाने कहाँ चली गयी थी।वह चाहकर भी सो नही सका था।सुबह