Vishal Chhaya book and story is written by Ibne Safi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Vishal Chhaya is also popular in जासूसी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
विशाल छाया - उपन्यास
Ibne Safi
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
रमेश ने कमरा सर पर उठा रखा था । उसकी आँखे लाल थी मुंह से कफ निकल रहा था । बाल माथे पर बिखरे हुए थे । कमीज़ आगे पीछे से फट कर झूल रही थी और वह पागलो के समान कमरे की एक एक वस्तु उठाकर फेंक रहा था ।
सरला आवाज़ सुन कर अपने कमरे से निकली और जैसे ही रमेश के कमरे का द्वार खोला –एक पुस्तक तीर के समान आकर उसके मुंह पे पड़ी और वह बौखला कर पीछे हट गई । कुछ क्षण तक खडी रमेश को घूरती रही, फिर घायल शेरनी के समान कमरे में दाखिल हुई और तीव्र स्वर में बोली ----
“ यह क्या उत्पात मचा रखा है तुमने ?”
“ तुम भी मुझे मिस खटपट ही मालूम पड़ती हो । ”
“ बंद करो बकवास -----” सरला कंठ फाड़कर चीखी ।
“ बकवास नहीं मिस खटखट ---” रमेश ने कहा और दो पुस्तकें उठा कर उसकी ओर फेंकी ।
“ मैं तुम्हारे कान उखाड़ लुंगी ----”
“और मैं तुम्हें खटखट बना दूंगा ---” रमेश ने भी आंखें निकलकर कहा ।
इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश (1) रमेश ने कमरा सर पर उठा रखा था । उसकी आँखे लाल थी मुंह से कफ निकल रहा था । बाल माथे पर बिखरे हुए थे । कमीज़ आगे पीछे से फट ...और पढ़ेझूल रही थी और वह पागलो के समान कमरे की एक एक वस्तु उठाकर फेंक रहा था । सरला आवाज़ सुन कर अपने कमरे से निकली और जैसे ही रमेश के कमरे का द्वार खोला –एक पुस्तक तीर के समान आकर उसके मुंह पे पड़ी और वह बौखला कर पीछे हट गई । कुछ क्षण तक खडी रमेश को घूरती
(2) मगर विनोद अपनी धुन में चलता रहा । हमीद ने कई बार रुक रुक कर उन आंखों को घूरा, किसके कारण वह विनोद से पीछे रह गया । विनोद ने कार की पिछली सीट पर रमेश को लिटा ...और पढ़े। सरला भी पिछली ही सीट पर बैठी, और विनोद अगली सीट पर बैठा । हमीद जैसे ही कार के समीप पहुंचा, कार स्टार्ट हो गई । “अरे ---अरे –सुनिये तो –रोकिए –” हमीद चिल्लाता हुआ दौड़ा मगर कार स्पीड में आ चुकी थी । हमीद ओर तेजी से दौड़ा, मगर उसके चेहरे पर धूल पड़ी और वह आंखें मलने
(3) हमीद की आंख खुल गई । उसने चारों ओर आँखे फाड़ फाड़ कर देखा । यह एक बड़ा सुंदर कमरा था, जिसमें दीवारों पर राग रागनियों की तस्वीरें बनी हुई थीं । कमरे के चारों कोनों पर संगमरमर ...और पढ़ेप्रतिमाएं थीं । फर्श पर ईरानी कालीन बिछी हुई थी और हमीद उसी पर लेटा हुआ था । कमरे में इतने रंगों का प्रकाश था कि उनसे तबियत खुश होने के बजाय भारी मालूम होने लगी थी । रंगों वाले बल्ब जाल रहे थे । एक कोने पर स्टेंडर्ड लें था जिसके पीछे कटलाख के काम का प्रतिबिम्ब डालने वाले
(4) हमीद ने दो एक बार सर को झटका दिया और फिर उठ कर दबे पाँव केबिन से बाहर निकला। उसका अनुमान गलत सिद्ध हुआ। यह लांच नहीं बल्कि एक छोटा सा स्टीमर था, जिसके शीशे चढ़े हुए थे। ...और पढ़ेने शीशों से झांक कर देखा। उसे यह अनुमान लगाना कठिन हो रहा था कि वह संसार के किस भाग में है, क्योंकि नदी के दोनों ओर ऊँची ऊँची पहाड़ियां थीं, जिस पर लम्बी नोक दार पत्तियों वाले वृक्ष दिखाई दे रहे थे। भौगोलिक ज्ञान के आधार पर हमीद इस नतीजे पर पहुंचा था कि ऐसे वृक्ष अपने देशों में
(5) “हेलो ! कर्नल विनोद स्पीकिंग ?” “इट इज सिक्स नाईन सर !” “हां हां ...कहो क्या रिपोर्ट है ?” विनोद ने कलाई घडी कि ओर देखा। समय एक घंटे से अधिक हो गया था। “केप्टन साहब सड़क पर ...और पढ़ेरहे थे कि तरबी ने लिली और उसकी माँ से यह कहा कि गुप्तचर विभाग का एक आदमी उसकी निगरानी कर रहा है। उन लोंगों ने खिड़की से झाँका मगर उन्हें कोई नहीं दिखाई पड़ा। मगर फिर केप्टन साहब उनके सामने आ गए । फिर टेबि उनको फ्लैट में ले गया और फिर ...” उसकी आवाज भर्रा उठी। “टेबि ने