(7)
क्लोक रूम में पहुंच कर उसने कपडे बदले और फिर रेखा के साथ उस ओर आई जहां झरने के पास बहुत सी मेजें लगी हुई थी।
एक मेज पर रेखा और सरला आमने सामने बैठ गई। उनके बगल की दो कुर्सियां खली थी।
मेजों के मध्य तीन अर्ध नग्न लड़कियाँ थिरक रही थी। वह तीनों विदेशी थीं।
एक बेरा तीर के समान रेखा की मेज पर आया ।
“एक बोतल व्हाइट हार्स ?” रेखा ने आर्डर दिया।
बेरा सर झुका कर चला गया।
“तुम जानती हो कि मैं शराब नहीं पीती” सरला ने कहा।
“शराब तो मैं भी नहीं पीती” रेखा ने मुस्कुरा कर कहा।
“फिर व्हाइट हार्स का ऑर्डर क्यों दिया ?”
“हम एक पैग गिलास में डालेंगे और फिर लोगों की निगाहें बचाकर जमीन पर डालते रहेंगे। ”
“मगर तुम्हारे मुख से शराब की गंध आ रही है !”
सरला ने कहा।
“मैंने शराब पी नहीं है “ रेखा ने हंस कर कहा “बल्कि अपनी गर्दन पर एक पेग डालकर उसे पोंछ दिया है। वही गंध उठ रही है। ”
“मगर क्यों ?”
“यह तो मैं भी नहीं जानती” रेखा ने कहा”कर्नल साहब ने आज्ञा दी थी कितुझे फेयरिज में एक शराबी औरत का अभिनय करना है और मिस रोबी पर नजर रखनी है। बस इसी लिये यह सब करना पडा है। ”
“कर्नल साहब की कार्य प्रणाली भी संसार से निराली है। ”
“निराली नहीं, अनोखी” रेखा हंस पड़ी।
बेरे ने ट्रे में बोतल, गिलास और बर्फ के टुकड़े ला कर रख दिए।
“सोडा कहां है?” रेखा ने पूछा।
“अभी लाया मेंम साहब। ” बेरे ने बोखला कर कहा और वापस चला गया।
“कर्नल साहब ने मुझे यह भी आद्सेश दिया था कि सरला अपनी असली सूरत में रहेगी। अत: उसे मदिरा पीने के लिये विवश न करना। मगर मेरे लिये यही आज्ञा दी थी कि मैं एक शराबी औरत का पार्ट अदा करूँ। ”
फिर रेखा ने बोतल से गिलास में मदिरा उन्देली और गिलास उठा कर होठों तक ले गई। ऐसा लग रहा था जैसे वह पुरानी पीने वाली है। मगर मदिरा कंठ में पहुंचने के बजाय जमीन पर गिर रही थी।
अब गिलास खली हो गया तो रेखा ने रुमाल से मुंह साफ़ किया और भर्राई हुई आवाज में कहने लगी।
“अब तुम आरंभ हो जाओ”
सरला ने भी वही किया जो रेखा ने किया था।
“अधिक कडुवी तो नही थी ?” रेखा ने हस कर पूछा ।
सरला हसने लगी फिर बोली।
“यह मेकअप तुमने किया है?”
“नहीं, कर्नल साहब ने किया है। ”
“क्या वह तुम्हारे साथ थे?”
“नहीं तो “रेखा हंसी...”यह मेकअप तो कल ही का किया हुआ है। ”
अचानक सरला चोंक उठी, फिर उसने रेखा का हाथ दबा दिया। रेखा भी चोंक कर उसी ओर देखने लगी जिधर सरला देख रही थी।
मिस रोबी हंस के समान क़दम बढ़ाती हुई चली अ रही थी। वह नगर के सब से बड़े स्टाल ब्रोकर की लड़की थी और ऊँची सुषाईटी का हर व्यक्ति उसे भली भांति जानता पहचानता था। रोबी के दाहिनी ओर एक सुंदर जवान था और बाँई ओर कासिम था।
“यह मोटा कहां से आ गया—” रेखा बडबड़ाई –”तुम रोबी को पहचानती हो”
“अच्छी तरह!”
सरला मुस्कुरा पड़ी—”नगर में अपरी नित नई हरकतों के कारण रोबी चुडेल के समान प्रसिद्द है। अभी कल ही की बात है। आर्लेक्च्नु में यह किसी बात पर बिगाड़ गई थी और फिर चप्पल उतार कर इसने एक जवान की इस प्रकार मरम्मत की किउस बेचारे को छठी का दूध याद आ गया होगा। वह युवक एक धनी बाप का बेटा था।
फिर दोनों मौन हो गई, क्योंकि रोबी समीप आ चुकी थी। उसके शरीर पर लिबास ही नहीं था जो यहाँ आने वालों के लिये अनिवार्य था। उसने लाल रंग की साडी पहिन रखी थी और कासिम से ख़ूब हंस हंस कर बातें कर रही थी। कासिम भी बहुत मुड़ में था। वह कह रहा था।
“का बताऊँ मिस रोबी आंकन! मैं तो घड़ा सामने रख कर पीता हूं..अल्ला कसम ...इतनी पी गया था कि ---अर र र हिप –”
उसने जल्दी से अपने मुंह पर हाथ रख लिया।
हुआ यह था किउसकी नजर सरला पर पड़ गई थी।
“आप शायद कुछ सोचने लगे मिस्टर कासिम—”रोबी ने टोका।
“किया .नहीं तो ..कुश नहीं” कासिम बौखला कर बोला –”आप ठहरिए जरा .मैं अभी आता हूं। ”
“हम आप की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जाईये । ”
“ज़रूर कीजिए ..मैं अभी आता हूं—” कासिम ने कहा और लुडकता हुआ सरला की मेज पर आया।
“अल्ला कसम !” वह चहक कर बोला –”आप को देख कर जी खुश हो गया...क्या बताऊँ ..आप से इतनी महुबत हो गई है कि...वह कौन है ?”
“मेरी एक सहेली ..” सरला ने हंसी दबाते हुए कहा –”इनका नाम मिस गिबन है । ”
“ओह मिस गबन ...” कासिम ने दांत निकाल दिये और झुक कर रेखा को सलाम करने लगा।
उधर रोबी अपने सुबक साथी को लेकर मेज पर बैठ गई थी । वह दोनों आंखें बचा कर बराबर कासिम की ओर देख रहे थे।
“यह मोटा कोई गड़बड़ न कर बैठे!” रोबी के साथी ने कहा ।
“क्या गड़बड़ कर सकता है। ”
“मूर्ख आदमी है और थोड़े से नशे के बाद उसका बहक जाना असंभव नहीं है । ”
“तुम इस बात का ध्यान रखना कि यह दो पैग से अधिक न पीने पाये । ”
अचानक डान्स के लिये साज बजने लगे ।
आज स्टार लाइट पिकनिक डान्स का प्रोग्राम था । पश्चिम सभ्यता के लोग नृत्य और संगीत में प्रगति करने के बाद उस स्थान पर पहुंचे थे जहां आज से सहस्त्रों वर्ष पहले का आदमी तारों के छाँव में दिन भर की थकावट दूर करने के लिये उछल कूद मचाया करता था । मगर अब उसी नृत्य को स्टार लाइट पिकनिक का मोटा सा नाम देकर महत्वपूर्ण बना दिया गया था ।
संगीत के साथ ही तमाम जोड़े थिरकने लगे । यद्यपि इस थिरकने का नाम नृत्य था मगर इस नृत्य का कोई ढंग नहीं था । जंगलियों के समान उछलना कूदना था । इस नृत्य में न तो कोई कला थी न कोई आकर्षण था । बस यह नृत्य ऐयाशी का एक सहारा थी । सुंदर औरतें एक की भुजा से निकल कर दुसरे की भुजाओं में फिसल रही थीं, नशे में चूर, लडखडाती हुई मदहोश औरतें, जिनके नेत्रों में प्यास और होठों में भूक की लहरें नाच रही थीं ।
रोबी और उसका साथी भी नृत्य कर रहे थे । सरला, रखा और कासिम भी इसी भीड़ में आ गये थे ।
“तुम इन लोगों के साथ कैसे हो ?” सरला ने कासिम से पूछा । वह उसी के साथ नाच रही थी । नाच क्या रही थी, बस थिरक रही थी, क्योंकि वह विचित्र नाच था ।
“अगे..अगे यह क्या करते हो ?” कासिम ने उस आदमी को हटाते हुये कहा जो सरला को अपनी ओर खींच रहा था !
उस आदमी ने कासिम को इस प्रकार घूरा जैसे कह रहा हो,”तुम बड़े असभ्य हो । ”
और फिर वह आगे बढ़ गया और कासिम सरला से कहने लगा ।
“मिस रोबी को आप पूछ रही है ?”
“हां । ” सरला ने कहा ।
“अरे होगी कोई....ठेंगे की नहीं तो । ” कासिम ने कहा”पत्ता नहीं अपने को क्या समझती है । चिड़िया जैसी तो है । ”
“रोबी के साथ जो आदमी है वह कौन है ?”
“मिस रोबी । ” कासिम ने ही ही करके दांत निकाल दिये”वह उसका आदमी है । मतलब उसका वह है । ”
“पागल हुये हो । रोबी तो अभी मिस है, उसकी शादी कहां हुई है ?”
“तुम...ख़ुद....पग....ला..। ”
कासिम शायद पागल कहने जा रहा था । मगर तत्काल ही उसे यह याद आ गया कि वह सरला से बातें कर रहा है । इसलिये जल्दी से बात बदल कर बोला ।
“पियारी ! अल्ला कसम !”
“डफर । ” सरला ने डाँटा”मैं खान बहादुर आसिम साहब से तुम्हारी शिकायत करूंगी । ”
“आगे बाप रे....मर गया । ” कासिम जल्दी से हकला कर बोला”म म...मेरा मतलब यह नहीं था ! अल्ला कसम मैं आपकी बड़ी इज्ज़त करता हूँ, पियारी वालिदा साहिबा समझता हूँ...धत तेरे की....किया कहना चाहता हूँ और किया निकल रहा है । अल्लाह केरे मैं मर जाऊं । ”
सरला ने सोचा कि यह इसी प्रकार बकता चले जायेगा, इसलिये जल्दी से बोली ।
“उस आदमी का नाम क्या है ?”
“उसका नाम हारिस है । ” कासिम ने कहा ।
अचानक किसी ने कासिम के कंधे पर हाथ रखा । कासिम ने चौंक कर पीछे की ओर देखा, उसके पास ही हारिस खड़ा था और हारिस के साथ लम्बे कद तथा भारी शरीर वाली एक लड़की थी, जिसकी बाईं भुजा हारिस के भुजाओं में थी और उसके दाहिने हाथ में शराब से भरा हुआ गिलास था ।
सरला ने वहां से खिसक जाना ही उचित समझा, अब उसे रेखा की चिंता हो गई थी जो आस पास कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, इधर लड़की ने कासिम को देखते ही मुस्कुराकर हारिस से कहा”ओह डार्लिंग ? यह जवान कितना सुंदर है जैसे इंगलैंड के ड्यूक या फ्रांस के नाइट । ”
फिर उसने कासिम की ओर मुड़कर कहा ।
“क्यों डार्लिंग पिओगे ?”
कासिम की खोपड़ी हवा से बातें करने लगी, उसने सर हिलाकर कहा ।
“काहे नहीं पीऊंगा....ज़रूर पीऊंगा....जब तुम पिलाओगी तो ज़रूर पीऊंगा । ”
“मगर तुम नशे में बहकने लगते हो दोस्त । ” हारिस ने कहा ।
“अमे जाओ....बहकते होंगे कोई साले...मैं नहीं बहकता...मैं एक सांस में बीस बोतल पिता हूँ.....मुझे क्या समझते हो । ”
औरत ने कासिम के अधरों से गिलास लगा दिया और कासिम ने एक ही सांस में गिलास खाली कर दिया और फिर उस औरत की कमर में हाथ डालकर नाचने लगा ।
फिर थोड़ी ही देर में सारे लोगों की निगाहें उसी पर पड़ने लगी । उसने लड़की को एक हाथ पर अपने सर से इस प्रकार ऊँचा कर रखा था जैसे वह औरत एक बच्चा हो, यह कासिम की अपनी मूर्खता थी, मगर देखने वाले इसे आर्ट समझ रहे थे ।
कुछ लोग हँसने लगे थे इसलिये कि कासिम रह रह कर गाने लगा था”अजी मस्तों पर अंगुली मत उठाओ बहार मैं...बहार मैं अंगुली न उठाओ प्यारे, फिर चाहे अंगुली हलक में डाल लो । ”
औरत ने कासिम के सर पर चपत जमाने आरंभ कर दिये थे ।
अचानक बिल्कुल सन्नाटा छा गया, साज बंद हो गये और लोग चौंककर वहीँ के वहीँ खड़े हो गये थे । कासिम ने भी बौखला कर लड़की को नीचे उतार दिया ।
नकली पहाड़ी पर परछाइयाँ नाच रही थीं, तीव्र प्रकाश में नहाई हुई पहाड़ियों पर वह परछाइयाँ बड़ी विचित्र लग रही थीं और आज एक नहीं बल्कि कई थी ।
वहां जितने लोग थे सब ही बौखला गये थे, यह परछाइयाँ वैसी ही थीं जैसी इससे पहले दीवारों पर देखी जा चुकी थी अर्थात चौपाये के सर पर फेल्ट !
तमाम लोग अब धीरे धीरे खिसकने लगे थे, उन्हीं लोगों में सरला भी थी, मगर वह भागने के बजाय रेखा को तलाश कर रही थी, परछाइयों के कारण वह भी भयभीत हो गई थी, मगर अब जैसा भी नहीं था कि वह भी दुसरे लोगों के समान डर कर सर पर पैर रखकर भागती उसे केवल रेखा की चिंता थी ।
और फिर अचानक एक आदमी चीखता हुआ लान पर ढेर हो गया। उसने अपने बाल मुट्ठियों में जकड़ लिये थे और सर के बल खड़ा होने की भी चेष्टा करने लगा था।
यह आदमी और कोई भी नहीं बल्कि स्वयं हारिस था उसने एक हाथ जमीन पर रख कर उछलने की कोशिश की और फिर जमीन पर गिर पड़ा। किसी के दिल और दिमाग में यह बात नहीं थी कि यह नशे की प्रतिक्रिया हो सकती है। सभी यही सोच रहे थे कि हारिस भी पहले वाले लोगों के समान अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है, और उनका ऐसा सोचना ठीक ही था, क्योंकि हरिस जो कुछ कर रहा था वह पागलपन के अतिरिक्त और कुछ नहीं था और कुछ नहीं कहा जा सकता था।
लोग धीरे धीरे खिसकते गए, मगर हरिस वहीँ पड़ा रहा।