Mai fir aaungi book and story is written by Sarvesh Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mai fir aaungi is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मैं फिर आऊंगी - उपन्यास
Sarvesh Saxena
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
"अरे बेटा...दही चीनी तो खा ले, फिर जा क्लिनिक पर" माँ ने सुभाष को रोकते हुए कहा |
सुभाष - "क्या माँ..तुम भी ना, दही चीनी से किसी का दिन शुभ नहीं होता, मुझे देर हो रही है, मैं जा रहा हूं" |
यह कहकर सुभाष दरवाजे से निकलने लगा तो मां किचन से दौड़ कर आई और सुभाष को दही चीनी खिलाकर मन ही मन कहने लगी," आजकल के बच्चे भी ना जरा सा पढ़ लिख क्या लेते हैं, किसी की बात ही नहीं सुनते" |
सुभाष अपने आई क्लीनिक पर आ जाता है, सुभाष अपनी मां के साथ मढ़पुर में आराम से रहता है, दो साल पहले ही सुभाष ने अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करके अपना नया आई क्लीनिक खोला था और ईश्वर की कृपा से सब खूब अच्छा चल रहा था |
"अरे बेटा...दही चीनी तो खा ले, फिर जा क्लिनिक पर" माँ ने सुभाष को रोकते हुए कहा |सुभाष - "क्या माँ..तुम भी ना, दही चीनी से किसी का दिन शुभ नहीं होता, मुझे देर हो रही है, मैं जा ...और पढ़ेहूं" | यह कहकर सुभाष दरवाजे से निकलने लगा तो मां किचन से दौड़ कर आई और सुभाष को दही चीनी खिलाकर मन ही मन कहने लगी," आजकल के बच्चे भी ना जरा सा पढ़ लिख क्या लेते हैं, किसी की बात ही नहीं सुनते" | सुभाष अपने आई क्लीनिक पर आ जाता है, सुभाष अपनी मां के साथ मढ़पुर में आराम
रात के करीब दो बजे सुभाष को कुछ आहट सी सुनाई दी जो मां के कमरे में हो रही थी | सुभाष दौड़कर मां के कमरे में आया तो देखा वो बिस्तर की बजाय जमीन पर पेट के बल ...और पढ़ेथी और उनके हाथ में चाकू था, जिसे वह जमीन पर बार-बार मार रही थी, उस चाकू के जमीन पर टकराने से ऐसी तेज आवाज निकल रही थी जैसे कोई लोहे पर हथौड़े मार रहा हो, इस आवाज से सुभाष का सर फटने सा लगा, वह घबरा गया और बोला, "क्या हुआ माँ"? उसने डरते डरते मां को उठाया तो
दो साल पहले…. "अरे जल्दी करो माँ, सब वहां आ गए हैं, हम ही लोग सबसे लेट पहुंचेंगे", सुभाष ने कार निकालते हुए कहा | मां - "बेटा बस आई.. हनुमान अष्टक मंदिर का प्रसाद और फूल रख लूँ" ...और पढ़ेयह कहकर मां सुभाष के साथ जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गई और दोनों आई क्लीनिक पर पहुंच गये आज सुभाष के आई क्लीनिक का उद्घाटन है, काफी सारे लोग आए हैं, पूजा होने के बाद सबको प्रसाद और मिठाई बांटी गई | वो आज बहुत खुश था क्योंकि आखिरकार उसका सपना पूरा हो गया, धीरे धीरे काफी लोग
तीन महीने बाद… आई क्लिनिक में ... "डॉक्टर साहब… मेरी दीदी को बचा लो, आज सुबह से इन्हें कुछ साफ नहीं दिख रहा, कल सोई थी तब तो ठीक थी लेकिन न जाने रात भर में क्या हो गया, ...और पढ़ेरहीं हैं कि मुझे कुछ दिख ही नहीं रहा है", एक किन्नर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा | सुभाष ने उठकर देखा और बोला, "ओ हो.. तो तुम हो... क्या बोला था तुमने उस दिन कि मैं भी तुम्हारी तरह हूं, हां.."| किन्नर -" अरे डॉक्टर साहब वह तो हम सब को मजबूरी में कहना पड़ता है, हमारी आदत है वरना
" बेटा सुभाष...उठो कब से जगा रही हूं, तुम ठीक तो हो" माँ ने घबराते हुए पूछा |सुभाष एकदम से हड़बड़ा कर उठा और मां को देखकर उसकी जान में जान आई, उसके अतीत में हुई सारी घटनाएं आज ...और पढ़ेसपना बनकर दिख गईं, उसने एक ठंडी सांस ली और बोला "हां मां मैं ठीक हूं, तुम नाश्ता तैयार करो, मैं नहा धोकर आता हूं, आज कुछ अर्जेंट केस है" |माँ ने नाराज होते हुए कहा, "तू आज कहीं नहीं जाएगा, आज मैं तुझे महाकाल बाबा के पास ले चलूंगी, तू घर में ही रहेगा " |सुभाष ने मां को