मैं फिर आऊंगी - 7 - छोटी सी भूल Sarvesh Saxena द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मैं फिर आऊंगी - 7 - छोटी सी भूल

बाबा महाकाल अंदर आए तो देखा कि सुभाष सामने की दीवार पर किसी तस्वीर की तरह लटका हुआ था, उसके शरीर पर घाव थे, महाकाल बाबा ने अपनी आंखें बंद कर ली और मंत्र पढ़ना शुरू किए, मंत्र पढ़ते ही कमरे में तूफ़ान सा आने लगा, सुभाष जोर-जोर से ताली बजाने लगा, माँजी उसका ये भयानक रूप देखकर डर कर बेहोश हों गईं | बाबा ने अपने हाथ में कुछ भभूत निकाली और सुभाष के शरीर पर लगा दी, भभूत के लगते सुभाष फर्श पर गिर पड़ा और तड़पने सा लगा कुछ देर बाद कमरे में शांति छा गई | सुभाष उठ कर बैठ गया और बोला, "य य़.. ये सब क्या है बाबा"? तभी सुभाष तेजी से चिल्लाया, "बाबा.. पीछे.." |
बाबा ने तुरंत अपनी गर्दन झुका ली क्योंकि पीछे माँजी चाकू लेकर बाबा के गर्दन पर वार करने वाली थी, उनकी आंखें किसी पिशाचीनी सी लग रही थी, बाबा ने जल्दी से भभूत अपनी झोले से निकाली और माँ जी के ऊपर डालनी चाहिए क्योंकि अब रज्जो की आत्मा माँ जी के अंदर आ चुकी थी |
माँ जी ने चिल्लाते हुए भभूत के ऊपर पानी से भरा जग उड़ेल दिया और हंसने लगी और बोली, "क्यों बाबा.. क्या हुआ?? रज्जो को पकड़ने चला था, हाहा.. हाहा.. हाय हाय.. रज्जो को कोई काबू नहीं कर पाया, अरे तू क्या कर पाएगा बुड्ढे" |
सुभाष - लेकिन तुम यह सब क्यों कर रही हो, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा.. छोड़ दो मेरी मां को, तुम मुझे मारना चाहती हो तो मुझे मार दो, मां को छोड़ दो" |
रज्जो जोर से हंसने लगी और नाचने लगी, वह जोर जोर से गाना गाने लगी, कुछ देर नाचने के बाद सुभाष के पास आई और बोली," रे डॉक्टर.. अब दे...दे ना... ला... "|
सुभाष हैरानी से माँ जी को देखने लगा, जो बिल्कुल किन्नरों की तरह बोल रही थी |
माँ जी के अंदर बसी रज्जो की आत्मा फिर बोली, "बोलना.. देता है या.." |
सुभाष - "क्या"?
रज्जो जोर जोर से हंसते हुई बोली- "अपनी मां मुझे दे दे .. मैं तुझसे इस बार ज्यादा नहीं मांग रही हा हा.. हा.." |
तभी माँ जी ने चाकू उठाया और अपने गले पे रखा बिल्कुल सपने की तरह, सुभाष दौड़ा तभी बाबा जी ने मां जी को पकड़ा और उन्हें फ़र्श पे पड़ी गीली भभूत में लिटा दिया, रज्जो चिल्लाने लगी फड़फड़ाने लगी, सुभाष और बाबा ने मिलकर उसके चारों ओर गीली भभूत से गोला बना दिया और बोले, "अब बोल.. तू आखिर क्या चाहती है? माँजी के शरीर से बाहर निकल" |
बाबा ने मंत्र पढ़ना चालू किया तभी वो गोला जलने लगा और माँ जी एकदम से चीखी और गिर पड़ी | सुभाष उन्हें उठाने के लिए दौड़ा लेकिन महाकाल बाबा ने रोक लिया और बोले, "बताओ.. वरना इस आग में जलाकर तुझे भी राख कर दूंगा"|
रज्जो अब माँ जी के शरीर से बाहर निकल आई थी और माँ जी बेहोश थीं |
रज्जो राक्षसी हंसी हंसने लगी और बोली," मुझे जलायेगा, ठीक है जला, खुशी-खुशी जला लेकिन पहले तो तेरी माँ जलेगी" |
सुभाष हाथ जोड़कर - "मुझे माफ कर दो मुझसे भूल हो गई थी लेकिन उस छोटी सी भूल की इतनी बड़ी सजा मत दो"|
ये सुनकर रज्जो जोर-जोर से ताली बजाने लगी और बोली, "छोटी सी भूल हां.. किसी की आंखों का सौदा करना, उसका इलाज ना करना, यह छोटी सी बात है, सब कुछ तेरे ही कारण हुआ है" |
सुभाष को कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसने कहा," कैसा सौदा? तुम ये क्या कह रही हो ठीक से बताओ" |