Mokshdham book and story is written by बेदराम प्रजापति "मनमस्त" in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mokshdham is also popular in कविता in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मोक्षधाम - उपन्यास
बेदराम प्रजापति "मनमस्त"
द्वारा
हिंदी कविता
नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर।
मोक्षधाम 1 (मिटा सके श्मशान क्याॽ) समर्पणः- इस धरा धाम ...और पढ़ेसंरक्षण में, जिन्होंने अपना शास्वत जीवन- हर पल बिताया, उन्ही सात्विक- मुमुक्षुऔं के चरण-कमलों में सप्रेम। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867 दो शब्दः- नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त
मोक्षधाम 2 (मिटा सके श्मशान क्याॽ) समर्पणः- इस धरा धाम ...और पढ़ेसंरक्षण में, जिन्होंने अपना शास्वत जीवन- हर पल बिताया, उन्ही सात्विक- मुमुक्षुऔं के चरण-कमलों में सप्रेम। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867 दो शब्दः- नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त
मोक्षधाम 3 (मिटा सके श्मशान क्याॽ) समर्पणः- इस धरा धाम ...और पढ़ेसंरक्षण में, जिन्होंने अपना शास्वत जीवन- हर पल बिताया, उन्ही सात्विक- मुमुक्षुऔं के चरण-कमलों में सप्रेम। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867 दो शब्दः- नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त
मोक्षधाम 4 (मिटा सके श्मशान क्याॽ) समर्पणः- इस धरा धाम ...और पढ़ेसंरक्षण में, जिन्होंने अपना शास्वत जीवन- हर पल बिताया, उन्ही सात्विक- मुमुक्षुऔं के चरण-कमलों में सप्रेम। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867 दो शब्दः- नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त
मोक्षधाम 5 (मिटा सके श्मशान क्याॽ) समर्पणः- इस धरा धाम ...और पढ़ेसंरक्षण में, जिन्होंने अपना शास्वत जीवन- हर पल बिताया, उन्ही सात्विक- मुमुक्षुऔं के चरण-कमलों में सप्रेम। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867 दो शब्दः- नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में दर्शाने का प्रयास किया गया है, जो अपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में आपके कर कमलों मे-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त