Meri Mohabbat koun book and story is written by Swati Kumari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Meri Mohabbat koun is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी मोहब्बत कौन...? - उपन्यास
Swati Kumari
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
सुबह के 9:30 या 10 का समय हो रहा था बस कुछ देर पहले ही कॉलेज की गेट खुली ही थी हेमंत और हिमाशु किसी बात को लेकर बहस करते हुए कॉलेज के अंदर प्रवेश करते हैं । इन दोनों के बीच ऐसी लड़ाईयां लगभग दिन में दस बार हुआ करती थी । आखिर दोनों बेस्ट फ्रेंड जो थे... दोनों एक-दूसरे से बात किए बिना भी नहीं रह सकते थे और बीना लड़े भी नहीं रह सकते थे उनकी बहस या लड़ाई आधे से अधिक बीना मतलब मंनोरंजन के लिए हुआ करती है और आज की लड़ाई भी कुछ ऐसी ही है बेमतलब....
सुबह के 9:30 या 10 का समय हो रहा था बस कुछ देर पहले ही कॉलेज की गेट खुली ही थी हेमंत और हिमाशु किसी बात को लेकर बहस करते हुए कॉलेज के अंदर प्रवेश करते हैं । इन ...और पढ़ेके बीच ऐसी लड़ाईयां लगभग दिन में दस बार हुआ करती थी । आखिर दोनों बेस्ट फ्रेंड जो थे... दोनों एक-दूसरे से बात किए बिना भी नहीं रह सकते थे और बीना लड़े भी नहीं रह सकते थे उनकी बहस या लड़ाई आधे से अधिक बीना मतलब मंनोरंजन के लिए हुआ करती है
हेमंत बार-बार उस लड़की से नाम पूछ रहा था लेकिन, वह बार-बार उसे टाले जा रही थी और यह क्रम काफी लम्बे समय तक चलता है "नॉट फेयर यार... इतनी देर बहस करने से अच्छा आप अपना नाम ही ...और पढ़ेदेती मोहतरमा.....",हेमंत चिढ़ते हुए कहता है "नाम का क्या अचार डालोगे...",वह लड़की घूरते हुए कहती है "हाँ कभी-कभार माँ सब्जी टेस्टी नहीं बनाती तो चावल दाल के साथ खा लिया करूंगा।" हेमंत की यह बात सुन वह लड़की खुद को हँसने से नहीं रोक पाती है और ठहाके लगाकर हँसने लगती है "हा हा हा हा....तुम ना सच में पागल
मंदिर में काफी भीड़ इकट्ठी हो चूकी थी हेमंत हाथ जोड़कर भोलेनाथ से प्राथना करने ही वाला है कि तभी अचानक हेमंत की नजर हेमाश्रि पर जाती है जो उसके ठीक बगल में खड़ी थी।"हे...हाई...",हेमंत उसके कंधे पर हाथ ...और पढ़ेहुए कहता है"हाई... तुम यहाँ कैसे... कहीं पीछा तो नहीं कर रहे ना...?",हेमाश्रि शक भड़ी निगाहें से प्रश्न करती है"नहीं यार मैं हर सोमवार को शाम में मंदिर आता हूँ सो आज भी आया....",हेमंत मुस्कूरा कर कहता है"अच्छा फिर पूजा पर ध्यान दो ना इधर-उधर लड़कियां क्यों तार कर रहे हो?""जब सामने तुम जैसी सुंदर लड़की खड़ी हो
मेरी मोहब्बत कौन...?(भाग 04)बारिश लगभग बंद हो चूकी थी । हेमाश्रि झोपडी के बारह बैठी रो रही थी। हेमंत भी हेमाश्रि को बाहर बैठे देखकर वहाँ जाता है। हेमाश्रि ने अभी चश्मा नहीं लगया हुआ था। उसकी आँखों में ...और पढ़ेकी मोटी-मोटी बूदें थी । हेमंत एकटक से हेमाश्रि को बस देखते रह जाता है। वह बिना चश्मे में ओर भी ज्यादा खुबसूरत लग रही थी उसकी बड़ी-बड़ी आँखें उसमें लगा मोटा काजल उसकी खुबसूरत में चार चांद लगा रहा था ।"त..त..तुम कब आएं....?",अचानक हेमाश्रि अपने आँखों से आँसू पोछते हुए कहती हैहेमाश्रि
मेरी मोहब्बत कौन (भाग 05)वक़्त के साथ हरिओम धीरे-धीरे मेरे परिवार के करीब आता गया और मुझे ना तो इस बात को लेकर कभी जलन हुई और ना ही कभी बुरा लगा बल्कि मैं बहुत खुश थी । अब ...और पढ़ेबहुत जल्द तीसरी कक्षा में जाने वाले थे परिक्षा के दिन काफी नजदीक था अब हरिओम मेरे ही घर पर रहता था और यही से पढ़ाई भी करता था क्योंकि हमारे स्कूल से उसका गाँव बहुत दूर था। अब तो मैं ओर भी खुश थी क्योंकि अब हम रात-दिन हर पल साथ