मंदिर में काफी भीड़ इकट्ठी हो चूकी थी हेमंत हाथ जोड़कर भोलेनाथ से प्राथना करने ही वाला है कि तभी अचानक हेमंत की नजर हेमाश्रि पर जाती है जो उसके ठीक बगल में खड़ी थी।
"हे...हाई...",हेमंत उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है
"हाई... तुम यहाँ कैसे... कहीं पीछा तो नहीं कर रहे ना...?",हेमाश्रि शक भड़ी निगाहें से प्रश्न करती है
"नहीं यार मैं हर सोमवार को शाम में मंदिर आता हूँ सो आज भी आया....",हेमंत मुस्कूरा कर कहता है
"अच्छा फिर पूजा पर ध्यान दो ना इधर-उधर लड़कियां क्यों तार कर रहे हो?"
"जब सामने तुम जैसी सुंदर लड़की खड़ी हो तो मन कैसे नहीं भटकेगा सुन्दरी...",हेमंत हेमाश्रि को एकटक से निहारते हुए धीरे से कहता है
"स्टूपिड...",कहते हुए हेमाश्रि हेमंत के माथे पर एक चपत मारती है
हेमंत मुस्कूरा कर उसकी प्रतिक्रिया देता है । हेमाश्रि इशारे में ही उसे पूजा पर ध्यान देने को कहती है हेमंत हेमाश्रि की बात मान तो जाता है लेकिन बार-बार हेमंत का ध्यान भटक रहा था। कुछ देर में पूजा समाप्त होती है और दोनों एक साथ मंदिर से बाहर निकलते हैं।
"अगर तुम बुरा ना मानो तो क्या हम कॉपी पिने साथ में चले...?",हेमंत मंदिर की आखिरी सीढी पर जूता पहनते हुए कहता है
"क्यों क्या मैं तुम्हें जानती हूँ या तुम मुझे जानते हो...?"
"लेकिन यार....."
"बस नहीं जा रहे....",इतना कहते हुए हेमाश्रि वहां से चल पड़ती है
"यार जरूरी तो नहीं है ना कि अगर हम एक-दूसरे को ना जानते हो तो हम कॉपी साथ नहीं पी सकते ..?",हेमंत हेमाश्रि का रास्ता रोकते हुए कहता है
"हृम्म्म्म....बात तो शायद सही है तुम्हारी...",गालो पर अंगुली रखती हुए हेमाश्रि कहती है
"सही है तो चलो ना....",कहते हुए हेमंत हेमाश्रि का हाथ खिचता है
"ओ...हेल्लो तुम मेरे पियोनसे नहीं हो... जो यूँ खिचकर ले जा रहे हो।",हेमाश्रि अपना हाथ छुड़ाते हुए कहती है
"कितनी बार एक ही बात याद दिलाओगी यार...तुम थकती नहीं क्या एक ही बात बार-बार कहते-कहते...।"
"अच्छा अगर यही सवाल मैं तुम से करूँ तो...?"
"क्या मतलब..."
"यही कि इतनी देर बहस करने से अच्छा हम जाकर कॉफी पी आएं क्योंकि बिना कॉफी पिएं तुम मेरे जान बक्सोंगे नहीं..."
"अरे! ऐसा मत कहो यार....."
"चलो अब....",कहते हुए हेमाश्रि कॉफी शॉप की तरफ बढ़ जाती है और हेमंत भी उसके पीछे-पीछे चल देता है
मन ही मन हेमंत के मन में लड्डू फूट रहे थे। वैसे तो वो अक्सर किसी ना किसी लड़की के साथ डेट पर जाता करता था लेकिन उसकी आज की फीलिंग सबसे अलग थी आज वो पहली बार दिल से खुश था किसी लड़की के साथ वरना तो हर डेट उसका टाइम पास ही हुआ करता था। उपर से शायद भगवान भी इन दोनों को साथ में देखकर खुश हो रहे थे तभी तो बिन मौसम बारिश जैसे आसार दिख रहे थे आकाश में चारों तरफ काले घनघोर बादल छा चूका था और ठंडी-ठंडी हवाएं चलने लगी। हेमाश्रि वहीं सड़क किनारे रूक कर बादलों तथा आने वाले मेघ का फोटो लेने लगती है एक के बाद एक...एक के बाद... यह दृश्य देखकर हेमंत कुछ हैरान था।
"पागल लड़की है बादलों का फोटो ऐसे ले रही है जैसे मानो कभी बादलों के दर्शन ही ना किए हो...",हेमंत हेमाश्रि को काफी देर देखने के बाद कहता है
"हेमंत मौसम कितना अच्छा है ना, तुम्हें नहीं लगता हमें आज कॉफी पर ना जाकर इस मौसम का मजा उठाना चाहिए।"
"पागल हो तुम... ऐसा भी कुछ खास नहीं है... मैं गाँव से हूँ और ऐसे मौसम में होने वाले परेशानियों को भी खूब झोल चूका सो आई डॉन लाइक इट...."
"बट आई लाइक इट... हम ना कभी ओर कॉफी पर चलते हैं ओके..."
"बट यार आज हमारी पहली डेट थी ना..."
"व्हाट्...डेट वो भी तुम्हारे साथ...गांजा फूक कर आए हो",हेमाश्रि अपने चश्मे को नीचे सड़काते हुए हेमंत को घूरते हुए कहती है
"मुझमें खराबी क्या है.... तुम्हारी तरह मैं भी यंग हूँ।"
"खराबी तुम में नहीं है । एक्चुअली मैं किसी ओर से प्यार करती हूँ।"
यह सुनते ही हेमंत के तो मानो होश ही उड़ गया हो अभी दो मिनट पहले जो वो इतना खुश था अब वही खुशी छन भर में उदासी में बदल गई हो।
"यार प्लीज मजाक मत करो..."
"आई एम सीरियस...."
"कौन है वो....?"
"लम्बी कहानी है बॉस बताऊंगी कभी आराम से, अभी तलाब किनारे चलें..."
"तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम पर गुस्सा नहीं होगा किसी ओर के साथ देखकर..."
"ओ हेल्लो पहली बात तो वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है, प्यार करती हूँ मैं उससे ओके ना..."
"अब तो चक्कर आ रहे हैं यार...ये लड़की पागल कर देगी मुझे तो...",हेमंत अपने सिर को पकड़ते हुए कहता है
"ऐसा क्या कर दिया मैं ने ...",हेमाश्रि हेमंत को घूरते हुए कहती है
"इइइइ...यार तुम ना दिमाग का थर्ड क्लास मत करो प्लीज... कॉफी पर चलना है तो चलो वरना...."
"इतना खूबसूरत मौसम छोड़कर कौन जाएगा, आज तुम अकेले चले जाओ कभी ओर मैं साथ चल लूंगी।",कहते हुए हेमाश्रि पुनः बादलों का फोटो लेने में मस्त हो जाती है
एक पल के लिए हेमंत को बहुत गुस्सा आता है लेकिन वह किसी तरह वह अपने गुस्से पर काबू करते हुए दिखावटी मुस्कान के साथ कहता है
"अब तुम्हारे साथ ही समय बिताऊंगा वैसे भी अकेले कॉफी पर जाना मतलब जहर पिने के बराबर होगा..."
"ठीक है चलो फिर हम तलाब किनारे चलते हैं।"
"पागल हो क्या ऐसे मौसम में कौन जाता है तलाब किनारे...?"
"मैं जाती हूँ तुम्हें आना है तो आओ वरना घर जाओ।",कहते हुए हेमाश्रि अपने कैमरे से पिक्चर किलिक करते हुए आगे बढ़ जाती है
हेमंत भी उसके पीछे-पीछे चल देता है । तालाब किनारे पहुँचने के बाद दोनों खूब सारी एक दूसरे की फोटो लेते हैं और फिर जब बारिश शुरू हो जाती है तो दोनों एक झोपड़ी की तरफ भागते हैं जो शायद कई महिनों से यूँ ही खाली पड़ा था।
"मैं ने तुम से कहा था कॉफी पिने चलते हैं लेकिन तुम तो सुनती ही नहीं, अब इस उजड़े चमन में भूतों की तरह बैठकर क्या होगा?"
हेमाश्रि हेमंत के बातों का कोई जवाब नही देती है वो बस उसे एक नजर घूरती है और अपने फोन में फोटोस देखने लगती है
"हेल्लो मिस घूरन... तुम से बात कर रहा हूँ मै....",हेमंत हेमाश्रि के आँखों के सामने हाथ हिलाते हुए कहता है
"भगवान ने कान दिया है सब सुन रही हूँ मैं...."
हेमाश्रि के इतना कहने के बाद कुछ देर के लिए दोनों खामोश हो जाते हैं, बारिश भी काफी तेज हो जाती है जिस कारण वो बाहर कही जा भी नहीं सकते थे और साथ ही बिजली भी इतनी जोड़ की कड़क रही थी कि ब्रजपात का डर था। हेमंत वहीं झोपड़ी के अंदर जमीन पर अपना कुछ धान का पुआल डालता है और चेहरे को रूमाल से ढकते हुए लेट जाता है
कुछ देर बाद जब हेमंत की नींद खुलती है तो वह देखता है बाहर बारिश बिल्कुल रूक चूकी थी। हेमाश्रि झोपड़ी के बाहर पड़े एक पत्थर पर बैठी थी। उसके आँखों से आँसू आ रहे थे । हेमंत भी झोपड़ी के बाहर जाता है । हेमाश्रि अभी चश्मे में नहीं थी हेमंत एक बार फिर हेमाश्रि को देखता है और बस देखते ही रह जाता है।
क्रमशः........
Swati kumari