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कोरोना प्यार है - उपन्यास
Jitendra Shivhare
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
*"मैं* तुम जैसे लड़को को बहुत अच्छे से जानती हूं, जो जानबूझकर लड़कीयों की मोपेट को टक्कर मारते है।" चंचला दहाड़ रही थी। सड़क पर भीड़ जमा होने लगी।
"देखीये मैडम! अनजाने में आपकी गाड़ी से मेरी बाइक टकरा गई।" धीरज बोला।
"अनजाने में दो बार गलती नहीं होती।" चंचला ने कहा।
"आप कहे तो इसे यही मजा चखा दे!" लोगों की भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा।
"हां हां! सही कहा।" एक अन्य आदमी ने सपोर्ट किया।
"देखीये भाई लोग! समझने का प्रयास करे। कल आप में से कोई भी मेरे जगह हो सकता है।" धीरज ने कहा।
"ये बातों में हमें उलझा रहा है। कोई पुलिस को बुलाव।" चंचला पुनः चीखी।
"जाने दो बेटी! जरा-सी बात है। तुम्हारी गाड़ी सही सलामत है।" एक बुजुर्ग बोले।
जितेन्द्र शिवहरे (1) *"मैं* तुम जैसे लड़को को बहुत अच्छे से जानती हूं, जो जानबूझकर लड़कीयों की मोपेट को टक्कर मारते है।" चंचला दहाड़ रही थी। सड़क पर भीड़ जमा होने लगी। "देखीये मैडम! अनजाने में आपकी गाड़ी से ...और पढ़ेबाइक टकरा गई।" धीरज बोला। "अनजाने में दो बार गलती नहीं होती।" चंचला ने कहा। "आप कहे तो इसे यही मजा चखा दे!" लोगों की भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा। "हां हां! सही कहा।" एक अन्य आदमी ने सपोर्ट किया। "देखीये भाई लोग! समझने का प्रयास करे। कल आप में से कोई भी मेरे जगह हो सकता है।"
(2) "आपको मुझे जो सज़ा देना हो वो बाद में दे देना। अभी अंकल जी को हॉस्पिटल ले जाना ज्यादा जरूरी है।" धीरज ने कहा। अनमने मन से चंचला सहमत हुयी। धीरज ने आलोकनाथ को थामे रखा था। वे ...और पढ़ेसे नीचे आये। धीरज ने आलोकनाथ को वैन में बैठाया। चंचला और अंजना भी बैठ गयीं। वैन हॉस्पिटल की ओर दौड़ पड़ी। ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल में आलोकनाथ का प्रारंभिक चेकअप हुआ। जहां इस बात की पुष्टि हुई कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। वहां आईसीयू बैड खाली नहीं था। धीरज ने आलोकनाथ को अन्य हॉस्पिटल में ले जाने के लिए
(3) "धीरज! मैंने देखा की तुम गरीबों को खाना बांट रहे हो।" चंचला फोन पर धीरज से बात कर रही थी। "हां! चंचला। हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग है जो इस लाॅकडाउन में भुखे है। हम कुछ दोस्त ...और पढ़ेये काम कर रहे है।" धीरज ने बताया। "मगर धीरज ये खतरनाक है। प्लीज घर में रहो। ये काम बाकियों को करने दो।" चंचला ने प्रार्थना की। "चंचला। मैं तुम्हारी चिंता समझता हूं। मगर ऐसे समय में समर्थ लोगों को आगे आकर देश की सेवा करनी चाहिए। जो समर्थ नहीं है वे अपनी क्षमता अनुसार दान देकर भुखे गरीब लोगों
(4) बालिग होते ही दोस्तों में सबसे पहले बंदे का विवाह हुआ। क्योंकि प्रेम में असफल हुआ था। किन्तु ग़म में नहीं डूबा। अच्छा बेटा तो था ही, अच्छा ड्राइवर भी बना और अच्छा पति बनने का प्रयास भी ...और पढ़ेलगन से करने लगा। संतान सुख हेतू दूसरा विवाह भी किया। मगर घर में किलकारियां सुनने की प्रतिक्षा, प्रतिक्षा ही बनी रही। कुछ चेतना जागी तो मन को काम में व्यस्त करने का निश्चय किया। फिर क्या! स्वयं की ट्रक लेकर संपूर्ण लाभ अकेले भोगने का मन बनाया। बड़े वाहन पर फाइनेंस सरल नहीं था। एक मित्र से वित्तीय सहयोग
(5) व्हाहटसप पर आये इसे पत्र को पढ़कर आलोकनाथ दुखी थे। उनकी चिंता अंजना समझ गयी थी। उसने भी विनोद का पत्र पढ़ा। सुपर्णा शुरू से ही ऐसी थी। मन मर्जी के कार्य करना उसकी आदत थी। आलोकनाथ अपनी ...और पढ़ेसुपर्णा को समझाने में असफल रहे थे। अंजना भी चाहती थी कि सुपर्णा और विनोद हंसी-खुशी रहे। मगर सुपर्णा ने कभी किसी की नहीं सुनी। सुपर्णा अपनी छोटी बहन चंचला की जरूर सुनती थी मगर मानती वो अपनी दिल की ही थी। अंजना चाहती थी कि वह अपनी बेटी की गृहस्थी में क्लेश समाप्त करने के लिए वह सुजाता की