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इश्क़ - उपन्यास
ArUu
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
झमुरे के घर आज फिर एक किलकारी गूंजी उसके माथे पर चिंता की लंबी लकीर खींच गई। तभी अम्मा आ गयी। परेशान झमूरे की परेशानी अब उसके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी.. अम्मा आ कर उसके पास बैठे गयी। अम्मा की खामोशी झमुरे को और परेशान कर रही थी। तभी अम्मा बोल पड़ी.. लल्ला भगवान की मर्ज़ी पर आज तक किसी का बस कोनी चला। तु ऐसे परेशान मत हो। झमुरा समझ गया था। रतना ने फिर से एक छोरी को जनम दिया है। वो बिना कुछ बोले अपना गमचा और लाठी हाथ में ले कर घर से बाहर निकल गया उधर रतना अपने आप को कोस रही थी जाने किसकी नजर लग
ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत की जिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते है किस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते है आरोही ...और पढ़ेजिंदगी की खाली जगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती है
ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत कीजिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते हैकिस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते हैआरोही की जिंदगी की ...और पढ़ेजगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती हैPart-2झमुरा अपने आप को पूरी तरह अकेला कर देता हैउसे किसी भी चीज में अब दिलचस्पी नहीं रहतीआज वो अकेला खेत में बैठा हैअपने दो बैल के साथ खेत की जुताई में लगा हैआम तौर पर वो अपना काम जल्दी निपटा के
ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत कीजिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते हैकिस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते हैआरोही की जिंदगी की ...और पढ़ेजगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती हैPart 3 गाँव में रही आरोही 7 साल की हो गयीपढ़ाई में अव्वलमुख चंचल मन खामोशहर क्लास मै अपने भाई बहनो से अव्वल आती पर बाबा है की उसकी तरफ आज भी ध्यान नही देतेमन में दबे सवाल अब उसके मन मे ही
"आरोही उठो बेटा तुम्हे स्कूल के लिए देर हो जायेगी""हाँ माँ बस उठ गयी आप खाना लगा दो"हे भगवान कितनी बार बोला है इस लड़की से रात को जल्दी सो जाया करे पर इसको तो पढाई से फुर्सत मिले ...और पढ़ेतो सोयेकहते हुए जीवा अपने काम में लग जाती हैआरोही का आज नई स्कूल में पहला दिन हैपहले घर के पास स्कूल थी बस थोड़ा सा चल के स्कूल पहुँच जातेपर दसवी के बाद उसे नई स्कूल में दाखिला लेना पड़ाघर से स्कूल दूर थी तो जीवा ने आने जाने के लिए बस करवा दी थीइतने सालों मे आरोही जीवा
ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत कीजिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते हैकिस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते हैआरोही की जिंदगी की ...और पढ़ेजगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती हैPart 5आज आरोही का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था वो चाहती थी की जल्दी से सुबह हो और वो उसे देख पायेसोचते सोचते आँख लग गयीऔर सुबह जीवा की आवाज़ से उसकी आँखे खुली आज एक आवाज़ में वो उठ के तैयार