इश्क़ - 4 ArUu द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ - 4

"आरोही उठो बेटा तुम्हे स्कूल के लिए देर हो जायेगी"
"हाँ माँ बस उठ गयी आप खाना लगा दो"
हे भगवान कितनी बार बोला है इस लड़की से रात को जल्दी सो जाया करे पर इसको तो पढाई से फुर्सत मिले तब तो सोये
कहते हुए जीवा अपने काम में लग जाती है
आरोही का आज नई स्कूल में पहला दिन है
पहले घर के पास स्कूल थी बस थोड़ा सा चल के स्कूल पहुँच जाते
पर दसवी के बाद उसे नई स्कूल में दाखिला लेना पड़ा
घर से स्कूल दूर थी तो जीवा ने आने जाने के लिए बस करवा दी थी
इतने सालों मे आरोही जीवा से घुल मिल गयी थी
तभी बस घर के आगे रुकती है जीवा उसे बस मे बैठा के फिर से काम पर लग जाती है

बस में बैठी आरोही अपने अतीत में खो जाती है
भले ही जीवा ने इतने नाज़ों से उसे पाला पर बचपन का उपेक्षित व्यवहार उसके जेहन में आज भी जिन्दा था
चंचल आरोही सबका दिल जीत लेती
जीवा उसे देखते ही बड़ी सी मुस्कान बिखेर देती
सांवली आरोही आज भी वैसी ही थी बाहर से चंचल अंदर से खामोश
उसने अपने दिल में किसी को झांकने नहीं दिया
जीवा को भी नहीं
ऐसा नही था की वो जीवा से बाते शेयर नहीं करती
पर बचपन को वो बस अपने तक ही कैद कर के रखती
बस स्कूल के आगे रुकती है
आरोही किसी से पूछ कर अपनी क्लास में जा कर बैठे जाती है
साइंस को बतौर उसने अपना सब्जेक्ट लिया था
पहला दिन स्कूल में सारे चेहरे नये थे
तभी उसे अहसास होता है की किताब के पीछे चुपी दो आँखें उसे तकटकी लगाये देख रही है
उसने ध्यान दिया .. वो एक लड़का था उससे थोड़ा कम सांवला
हाथ में एक घडी पहन रखी थी
आरोही ने पहली बार किसी लड़के को इतने ध्यान से देखा
एक नजर में उसने आरोही के दिल के तार को झंझोर दिया था
वो चाहती थी की किताब हटा के वो उसका चेहरा देख ले
पर उसे बस उसकी आँखें दिखाई दे रही थी
उसका आईब्रो पुरा मिला हुआ था थोड़ी सी भी जगह नही थी
वो उन आँखों में खो गयी
तभी क्लास में टीचर आते है
वो मुड़ के उसे देखना चाहती है पर नहीं देख पाती
पूरे दिन इसी कोशिस में निकल जाता है और छुट्टी की घंटी बजती है
टन
टन
टन

घर पहुँच कर आरोही अपना बैग टीवी के पास रख देती है और टीवी देखने लग जाती है
तभी जीवा भी घर आ जाती है
जीवा भी एक टीचर है
वो अपना घर और अपना स्कूल दोनों बहुत अच्छे से संभाल लेती है
"आरोही कैसा रहा तुम्हारा पहला दिन"
ये सुनते ही आरोही को लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो
वो उन आँखों के ख्याल में डूबना चाहती थी
किताब हटा के उस चेहरे को देखना चाहती थी
ऐसा नहीं था की उसे कभी किसी लड़के ने देखा नहीं
सुंदर नैन नखसे वाली आरोही को लड़को ने खूब प्रेम प्रस्ताव दिये पर उसने कभी किसी में दिलचस्पी नहीं दिखायी।
दबंग स्वभाव की आरोही सबकी बोलती बन्द कर देती
पर आज सिर्फ एक नजर से वो कैसे हार गयी... ।
कुछ भी हो कल तो मे उसका चेहरा देख के ही रहूँगी
बडबडाते हुए आरोही अपने कमरे मे चली गयी
जीवा उसे जाते हुए देखती रही