Utsuk kavy kunj book and story is written by Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Utsuk kavy kunj is also popular in कविता in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
उत्सुक काव्य कुन्ज - उपन्यास
Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar
द्वारा
हिंदी कविता
नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिसे जीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही।
सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे देखते ही कहने लगे ‘’आप गौरी बाबा के दर्शन के लिये तड़पते रहते हो मुझे सोमवती के दिन शाम को पांच बजे जब मैं बाजार से साइकिल से लौट रहा था, बाबा बीच सड़क पर सामने से आते दिखे। उनके दर्शन पाकर मैं भाव विभोर हो गया। साइकिल से उतरने में निगाह नीचे चली गई, देखा बाबा अदृश्य हो गये हैं।
उत्सुक काव्य कुन्ज कवि नरेन्द्र उत्सुक प्रधान सम्पादक – रामगोपाल भावुक सम्पादक – वेदराम प्रजापति मनमस्त, धीरेन्द्र गहलोत धीर, ओमप्रकाश सेन आजाद सम्पादकीय नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है ...और पढ़ेजीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही। सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे देखते
उत्सुक काव्य कुन्ज 2 कवि नरेन्द्र उत्सुक प्रधान सम्पादक – रामगोपाल भावुक सम्पादक – वेदराम प्रजापति मनमस्त, धीरेन्द्र गहलोत धीर, ओमप्रकाश सेन आजाद सम्पादकीय नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम ...और पढ़ेजिसे जीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही। सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे
उत्सुक काव्य कुन्ज 3 कवि नरेन्द्र उत्सुक प्रधान सम्पादक – रामगोपाल भावुक सम्पादक – वेदराम प्रजापति मनमस्त, धीरेन्द्र गहलोत धीर, ओमप्रकाश सेन आजाद सम्पादकीय नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम ...और पढ़ेजिसे जीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही। सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे
उत्सुक काव्य कुन्ज 4 कवि नरेन्द्र उत्सुक प्रधान सम्पादक – रामगोपाल भावुक सम्पादक – वेदराम प्रजापति मनमस्त, धीरेन्द्र गहलोत धीर, ओमप्रकाश सेन आजाद सम्पादकीय नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम ...और पढ़ेजिसे जीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही। सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे
उत्सुक काव्य कुन्ज 5 कवि नरेन्द्र उत्सुक प्रधान सम्पादक – रामगोपाल भावुक सम्पादक – वेदराम प्रजापति मनमस्त, धीरेन्द्र गहलोत धीर, ओमप्रकाश सेन आजाद सम्पादकीय नरेन्द्र उत्सुक एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम ...और पढ़ेजिसे जीवन भर अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार होता रहा। परमहंस सन्तों की जिन पर अपार कृपा रही। सोमवती 7 सितम्बर 1994 को मैं भावुक मस्तराम गौरीशंकर बाबा के दर्शन के लिये व्याकुलता के साथ चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करता रहा। जब वापस आया डॉ. राधेश्याम गुप्त का निधन हो गया। श्मशान जाना पड़ा। उत्सुक जी भी श्मशान आये थे। वहां मुझे