Pranava Bharti लिखित उपन्यास बेगम पुल की बेगम उर्फ़ | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - उपन्यास उपन्यास बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - उपन्यास Pranava Bharti द्वारा हिंदी उपन्यास प्रकरण (101) 2.6k 7k 2 घुँघरुओं की छनछनहाट क्यों और कहाँ से उसके कानों में पिघलने लगी थी, वहाँ वह गिरजाघर के प्राँगण में खड़ा था, कॉलेज का नया लेक्चरर अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ इस गिरजाघर की ज़मीन पर आया था | ...और पढ़ेमें और कई प्रोफ़ेसर्स भी थे, न जाने उसे ऐसा अजीब सा अहसास क्यों हो रहा था ? कुछ ऐसा पहचाना अहसास जो उसे कहीं खींचे ले जा रहा था | उसे कुछ भी स्पष्ट नहीं था, न आवाज़, न ही वो धुंध जिसमें वह घिरा जा रहा था | पहले तो वह कभी यहाँ आया नहीं था फिर ? पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 1 (13) 636 1.6k 1 -- घुँघरुओं की छनछनहाट क्यों और कहाँ से उसके कानों में पिघलने लगी थी, वहाँ वह गिरजाघर के प्राँगण में खड़ा था, कॉलेज का नया लेक्चरर अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ इस गिरजाघर की ज़मीन पर आया ...और पढ़े| साथ में और कई प्रोफ़ेसर्स भी थे, न जाने उसे ऐसा अजीब सा अहसास क्यों हो रहा था ? कुछ ऐसा पहचाना अहसास जो उसे कहीं खींचे ले जा रहा था | उसे कुछ भी स्पष्ट नहीं था, न आवाज़, न ही वो धुंध जिसमें वह घिरा जा रहा था | पहले तो वह कभी यहाँ आया नहीं था अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 2 414 849 2--- वह एक ऐसा ही दिन था जैसा हर रोज़ उगता है, उसकी खिड़की के बाहर से झाँकता , उसे आवाज़ देता सूरज, न उठने पर उसे सौ-सौ लानतें-मलामतें भेज रहा था जैसे ! प्रबोध एक अनुशासित परिवार का, ...और पढ़ेअनुशासित पिता का पुत्र ! बालपन से ही समय पर पिता की एक आवाज़ पर उठ बैठना, घर के सभी नियमों-कानूनों का पालन करना |लेकिन पता नहीं क्यों प्रबोध को कुछ अजीब सा लग रहा था वो दिन ! कुछ मन भारी व शरीर थका हुआ सा लेकिन कारण कुछ पता नहीं चल रहा था | न चाहते हुए भी अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 3 231 666 3 -- दिल्ली और मेरठ के बीच गाज़ियाबाद शहर स्थित है जहाँ गौड़ परिवार का निवास था | रामनाथ गौड़ के पिता मेरठ के पास बागपत से गाज़ियाबाद में आ बसे थे |उस समय यहाँ की बस्ती काफ़ी कम ...और पढ़ेधीरे-धीरे काफ़ी लोग इस शहर में आकर बसने लगे | इसका मुख्य कारण था दिल्ली का इस शहर से सटा होना| यमुना पार की और दिल्ली में पहुँच गए | काफ़ी लोग दिल्ली में व्यापार करते और शाम होने पर गाज़ियाबाद अपने घरों में पहुँच जाते | इसी प्रकार नौकरी करने वाले भी दिल्ली से अधिक गाज़ियाबाद में बसना पसंद अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 4 222 624 4 -- मेरठ में अब भी रामनाथ गौड़ के पूर्वजों का बड़ा सा घर था जहाँ साल में दो-चार बार तो वे अपने पूरे परिवार के साथ जाते थे |अकेले पति-पत्नी तो यदा-कदा जाते ही रहते थे | जबसे ...और पढ़ेने गाड़ी ली थी, पूरे परिवार को साथ आने-जाने में सुविधा हो गई थी | जाना ज़रूरी होता था | कारण थे उनके वयोवृद्ध माता-पिता जो बहुत कोशिश करने पर भी अब उनके पास रहने के लिए तैयार नहीं थे | पहले तो वे गाज़ियाबाद आ भी जाते थे, घर के लिए ज़मीन खरीदना और बनवाना भी उनकी ही इच्छा अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 5 (11) 225 627 5 --- इस बार सप्ताह के अंत में यानि शनिवार की रात को रामनाथ जी का पूरा परिवार मेरठ पहुँचा | 'बेग़म पुल' से उतरते हुए प्रबोध को एक अजीब सा अहसास हुआ | वह जब से समझदार हुआ ...और पढ़ेतब से बेग़म पुल को रचता-बसता देख रहा था |बेग़म पुल उसे एक अजीब सी मनोदशा में पहुँचा देता | उसे पार करने के बाद फिर से उसके दिमाग़ में उसकी एक धुंध भरी स्मृति रह जाती | उसके मस्तिष्क के पीछे एक अलग चित्र बन गया था जो उसे समझ में नहीं आ रहा था | मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 6 195 606 6 -- अगले दिन शाम के समय सारे बच्चे स्टैला के पीछे पड़ गए कि उसे उनके साथ घूमने चलना ही होगा |दादी जी तो पहले ही प्रबोध से उसे ले जाने के लिए कह चुकी थीं | इस ...और पढ़ेसब बेग़म -पुल से होकर गुज़र रहे थे | "एक अजीब सी फ़ीलिंग क्यों होती है यहाँ पर आकर ---" प्रबोध धीरे से जैसे स्वयं से बोल पड़ा | " घटनाओं का वातावरण पर प्रभाव पड़ता ही है | आप इस जगह के बारे में नहीं जानते ---?" स्टैला ने अचानक आश्चर्य से पूछा | "क्या--कुछ हुआ है क्या ?" अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 7 (11) 156 492 7 -- दिवाली की छुट्टियों में बच्चों ने बहुत आनंद किया | पता ही नहीं चला दिन कब गुज़र गए ? रामनाथ की माँ अब काफ़ी ठीक हो गईं थीं | स्टैला की सेवा व व्यवहार ने उनमें एक ...और पढ़ेजान डाल दी थी | घर की बेटी जैसी हो गई थी वह ! बच्चे तो उसके दीवाने हो ही चुके थे |जब रामनाथ जी के परिवार की गाज़ियाबाद लौटने की तैयारी शुरू हुई तभी स्टैला ने भी कहा कि अब दादी जी बिलकुल ठीक हैं, उसे भी लौट जाना चाहिए किन्तु रामनाथ व दयानाथ ने उसे कुछ दिन और अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 8 159 483 8-- प्रो.सिन्हा अपनी पत्नी को सहारा देकर भीड़ भरे रास्ते से सँभालकर निकालने की कोशिश कर रहे थे | अधेड़ उम्र के प्रोफ़ेसर सिन्हा के चेहरे पर चिंता की लकीरें पसरी हुईं थीं |उनकी पड़ौसन ने अपने बड़े से ...और पढ़ेके साथ उनकी पत्नी का पर्स भी उठा लिया था | ख़रीदे हुए सामान के पैकेट्स उठाए शो-रूम का लड़का पीछे-पीछे चला आ रहा था | प्रबोध ने पीछे की सीट पर से अपनी फ़ाइल्स , लैपटॉप व पुस्तकें हटाकर दोनों महिलाओं के लिए जगह बनाई | भीड़ इतनी अधिक थी कि गाड़ी से उतरकर डिग्गी खोलना संभव ही नहीं अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 9 (11) 171 474 9-- चाँदनी -चौक के घुँघरू प्रबोध के मनोमस्तिष्क में बजते ही जा रहे थे | कैसे पीछा छुड़ाए उस छनछनाहट से, उस आवाज़ से ? स्टैला सिंह को फ़ोन किया प्रबोध ने जिसका कोई उत्तर उसे नहीं मिल पाया ...और पढ़ेमेरठ के सिटी हॉस्पिटल में फ़ोन करके पता चला, वहाँ स्टैला सिंह नाम की कोई नर्स ही नहीं थी, बहुत बरसों पहले कभी हुआ करती थी, वह एंग्लोइंडियन थी और बाद में वहाँ से इंग्लैण्ड चली गई थी | लेकिन इस समय तो इस नाम की वहाँ कोई नर्स नहीं थी | "क्या-----?????" उसके मुख से बेसाख़्ता निकला | उसका अभी पढ़ो बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 10 - अंतिम भाग (11) 180 549 10-- प्रबोध की गाड़ी गाज़ियाबाद की ओर मुड़ने के बजाए सरधना की ओर कब और क्यों मुड़ने लगी उसे पता ही नहीं चला | रविवार का दिन था, मेला लगा था वहाँ |उस सरधने के चर्च की बहुत मान्यता ...और पढ़े| लोग न जाने कहाँ-कहाँ से अपनी मानताएँ लेकर आते थे | लगभग दो घंटे बाद वह सरधना के उसी चर्च के सामने खड़ा था जिसके प्राँगण में उसे पहली बार घुंघुरुओं की छनक के साथ 'नहीं ऐसो जनम बारंबार' सुनाई दिया था | अच्छा - ख़ासा हुजूम जुड़ा था उस दिन , खूब लोग जमा थे | वह गिरजाघर अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Pranava Bharti फॉलो