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भेद द्वारा  Pragati Gupta in Hindi Novels
प्रगति गुप्ता ------ 1. "माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|.....
भेद द्वारा  Pragati Gupta in Hindi Novels
2. एक रात जब सृष्टि नींद न आने की वज़ह से दादी के बगल में लेटी हुई करवटें ले रही थी| तो दादी का उस पर लाड़ उमड़ पड़ा और उन्...
भेद द्वारा  Pragati Gupta in Hindi Novels
3. “जब शादी होकर आई तो मेरा अधिकतर समय जेठुतियों के काम करने और उनको लाड़-प्यार करने में गुजरता था| महेंद्र भी मेरी...
भेद द्वारा  Pragati Gupta in Hindi Novels
4. दादी के मुंह से मम्मी की तारीफ़ सुनकर सृष्टि को कुछ और नया सोचने को मिला। दादी कभी माँ की बुराई नही करती थी। दरअसल उन...
भेद द्वारा  Pragati Gupta in Hindi Novels
5. शायद यही वज़ह थी जब दादाजी ने दूसरी स्त्री के साथ नाता जोड़ा, तो उनको यह बात बहुत अख़र गई| कोई भी औरत ख़ुद के जीते-जी...