Premam Pinjaram book and story is written by Srishtichouhan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Premam Pinjaram is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्रेमम पिंजरम - उपन्यास
Srishtichouhan
द्वारा
हिंदी लघुकथा
मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे जरूर , 1946 की यह कहानी हमे आज के दौर से नब्बे साल पहले के प्रेम व्यवहार को समझने के लिए लेकर चलती है, उस सफर में जहां प्रेम के अपने स्वच्छंद मायने थे और जहां प्रेम में पवित्रता हुआ करती थी, आज के मीम और सोशल मीडिया से बेहद दूर जब खातों की जुबान से प्यार की बातें लिखी होती थी।।।।।।5 दिसंबर
मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे ...और पढ़े, 1946 की यह कहानी हमे आज के दौर से नब्बे साल पहले के प्रेम व्यवहार को समझने के लिए लेकर चलती है, उस सफर में जहां प्रेम के अपने स्वच्छंद मायने थे और जहां प्रेम में पवित्रता हुआ करती थी, आज के मीम और सोशल मीडिया से बेहद दूर जब खातों की जुबान से प्यार की बातें लिखी होती थी।।।।।।5 दिसंबर
8 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाई , मधुराई9:45 , रात्रि का समय,प्रिय डायरी ,ठंड का कोहरा और भी घना हो चुका था, अब पेड़ों में पत्तें ना बचे थे, सब नंगे हो चुके थे, अब हरियाली ऐसे हो गई थी कि मानो ...और पढ़ेका चांद, हल्की सी झलक ही दिख जाया करती थी, आज की सुबह बेहद रेशमी और शुभ समाचार वाली थी, बेहद खुशनुमा और रोमांच से भरी, मैंने किसी को यह बताने के लिए नहीं कहा कि मै आज कौन सी बड़ी चीज़ को भूल रही हूं पर मुझे याद ही नहीं आया, मिशनरी स्कूल में मेरी स्कूली शिक्षा बहुत ही
12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा भ्रम है कि तुम सच मूूच में आ रहे हो? सच में! मतलब क्या यह बात सच है कि माधवन ...और पढ़े, यानी कि मिस्टर विश्वनाथन अजिथ नायर का इकलौता बेटा और मेरे हृदय के मंदिर का देवता जिसे मैंने पवित्रता और निष्ठा से प्रेम किया है, वो माधवन नायर कल पॉलंपल्लाइ में आने वाला है, मतलब मेरा माधवन आने वाला है, लंदन से वापस आने वाला है, मै आज शायद सो ना पाऊ , शायद मै इस खुशी में खाना खा नहीं
12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा भ्रम है कि तुम सच मूूच में आ रहे हो? सच में! मतलब क्या यह बात सच है कि माधवन ...और पढ़े, यानी कि मिस्टर विश्वनाथन अजिथ नायर का इकलौता बेटा और मेरे हृदय के मंदिर का देवता जिसे मैंने पवित्रता और निष्ठा से प्रेम किया है, वो माधवन नायर कल पॉलंपल्लाइ में आने वाला है, मतलब मेरा माधवन आने वाला है, लंदन से वापस आने वाला है, मै आज शायद सो ना पाऊ , शायद मै इस खुशी में खाना खा नहीं