Ek Duje ke liy book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek Duje ke liy is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक दूजे के लिए - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
"कुंवारे मर्द को मैं मकान किराये पर नही देती।"इतना कहकर उस बुढ़िया ने दरवाजा बंद कर लिया था।उमेश की मुम्बई मे एक कंपनी में नौकरी लगी थी।दस दिन पहले ही वह मुुमंबई आया था।इस महानगर में उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार नही था।होता भी तो?यहाँ के लोग किसी को अपने यहाँ ठहराने की भूल नही करते।दोष उन लोगो का भी नही है।वे स्वयं ही कम जगह में जैसे तैसे गुज़रा करते है।ऐसे मे किसी रिस्तेेेदार या परिचित को अपने घर मे कैसे ठहरा सकते है।उमेश एक होटल में रह रहा था लेकिन वहाँ कब तक रह सकता था।उसने
"कुंवारे मर्द को मैं मकान किराये पर नही देती।"इतना कहकर उस बुढ़िया ने दरवाजा बंद कर लिया था।उमेश की मुम्बई मे एक कंपनी में नौकरी लगी थी।दस दिन पहले ही वह मुुमंबई ...और पढ़े था।इस महानगर में उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार नही था।होता भी तो?यहाँ के लोग किसी को अपने यहाँ ठहराने की भूल नही करते।दोष उन लोगो का भी नही है।वे स्वयं ही कम जगह में जैसे तैसे गुज़रा करते है।ऐसे मे किसी रिस्तेेेदार या परिचित को अपने घर मे कैसे ठहरा सकते है।उमेश एक होटल में रह रहा था लेकिन वहाँ कब तक रह सकता था।उसने
"मै भी यहाँ---- - -उमेश ने भी रचना को अपने बारे में बताया था।"अभी कहा से आ रहै हो?""किराये के मकान की तलाश में गया था,"उमेश अपनी परेशानी रचना से शेयर करते हुए बोला,"कुंवारा हूँ इसलिए कोई मकान ही ...और पढ़ेदेता।आज भी निराश लौट रहा हूँ"।"मेरी भी यही समस्या है,"उमेश की बात सुनकर रचना बोली,"अकेली हूँ इसलिए मुझे भी मकान नही मिल रहा।"उमेश और रचना ने मुंबई आने और जगह जगह किराये के मकान तलाश करने की कहानी एक दूसरे को सुनाई थी।दोनो एक दूसरे की बात सुनकर काफी देर तक मौन बैठे रहे।उस मौन को तोड़ने की पहल उमेश
"थैंक्स।इतने बड़े महानगर में अगर तुम न होते तो"दोस्ती मैं थैंक्स कैसा?तुम्हारा दोस्त और रूम पार्टनर के नाते मेरा फर्ज था।तुम्हारी देखभाल करना।जो मैने निभाया।कोई एहसान नही किया है,तुम पर।मुसीबत में दोस्त ही काम आते है।""तुम सही कह रहे ...और पढ़ेअतीत में हमारे संबंध कभी भी दोस्तो जैसे नही रहे।""कॉलेज की बाते हमारे अतीत का हिस्सा रही है।उन्हें मैं भूल चुका हूँ।तुम भी उनको भूल जाओ,"रचना की बाते सुनकर उमेश बोला,"मेरी जगह तुम होती,तो तुम भी वो ही करती जो मेने किया।"रचना की बीमारी ने उन्हें और करीब ला दिया था।पहले रचना उससे कम ही बोलती थी।लेकिन अब खूब बात