एक दूजे के लिए (अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एक दूजे के लिए (अंतिम भाग)

"थैंक्स।इतने बड़े महानगर में अगर तुम न होते तो
"दोस्ती मैं थैंक्स कैसा?तुम्हारा दोस्त और रूम पार्टनर के नाते मेरा फर्ज था।तुम्हारी देखभाल करना।जो मैने निभाया।कोई एहसान नही किया है,तुम पर।मुसीबत में दोस्त ही काम आते है।"
"तुम सही कह रहे हो।लेकिन अतीत में हमारे संबंध कभी भी दोस्तो जैसे नही रहे।"
"कॉलेज की बाते हमारे अतीत का हिस्सा रही है।उन्हें मैं भूल चुका हूँ।तुम भी उनको भूल जाओ,"रचना की बाते सुनकर उमेश बोला,"मेरी जगह तुम होती,तो तुम भी वो ही करती जो मेने किया।"
रचना की बीमारी ने उन्हें और करीब ला दिया था।पहले रचना उससे कम ही बोलती थी।लेकिन अब खूब बात करने लगी थी।एक रात उमेश,रचना के बिस्तर पर जा पहुंचा,तो रचना बोली,"यंहा क्यो आये हो।"
"मुझे तुम से प्यार हो गया है
"उमेश मैं भी तुम्हे चाहने लगी हूँ।प्यार करने लगी हूँ।लेकिन यह अभी नही,"रचना,उमेश का इरादा भांभते हुए बोली,"हम पति पत्नी नही है।ऐसा प्यार पति पत्नी ही कर सकते है।"
"तुम ठीक कह रही हो।हमारे समाज मे शादी के बाद ही शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत है,"रचना की बात सुनकर उमेश उसे विश्वास दिलाते हुए बोला,"हम जल्द ही शादी भी कर लेंगे।"

उमेश ने उसे विश्वास दिलाना चाहा तो रचना को अपनी सहेली रीना की याद आ गयी।
रीना और दीपक कॉलेज में साथ पढ़ते थे।कॉलेज कैंपस में ही उनकी पूना की एक कंपनी में नोकरी लग गई।वे दोनों साथ ही पूना गए और एक मकान किराये पर लेकर लिव इन रिलेशन में रहने लगे।एक छत के नीचे रहते हुए कब तक एक दूसरे से दूर रह सकते थे।एक रात दीपक ने रीना का हाथ पकड़ा तो वह बोली,"यह क्या कर रहे हो?"
"प्यार
"अभी हमारी शादी नही हुई है।यह सब शादी के बाद--
"तुम भी दकियानूसी बाते करती हो।हम एक दूसरे से प्यार करते है।शादी का वादा भी कर चुके है।फिर क्या फर्क पड़ता है।हम शारीरिक रिश्ते शादी से पहले बनाये या बाद मे।"
रीना ने पहले तो दीपक का विरोध किया था।लेकिन दीपक के समझाने पर मां गई थी और उसने शादी से पहले ही समर्पण कर दिया था।
रीना आज़ाद ख्यालो की मॉडर्न लड़की थी।वह भी मानने लगी थी कि अगर मर्द औरत एक दूसरे को चाहते है।प्यार करते है,तो जरूरी नही दुनिया को दिखाने के लिए शादी कर।वे बिना शादी भी पति पत्नी बन सकते है।
एक बार समर्पण करने के बाद उसने कभी भी इंकार नही किया।
दीपक की कम्पनी मे नई लड़की शीतल आयी थी।वह उसे चाहने लगा।प्यार करने लगा।शीतल को भी दीपक से प्यार हो गया।रीना को इस बात की भनक लगी,तो उसने दीपक को समझाया।जब वह प्यार से समझाने पर नही माना, तो वह उससे लड़ने झगड़ने लगी और शादी की जिद्द करने लगी।रोज रोज के झगड़े से बचने के लिए दीपक ने शादी कर ली।लेकिन रीना से नही उसने शीतल से कोर्ट मैरिज कर ली।
रीना दीपक पर विश्वास करके बुरी तरह ठगी गई थी।
रचना को पूरा विश्वास था।उमेश,दीपक जैसा नही है।फिर भी वह शादी से पहले समर्पण को तैयार नही थी।
"किस सोच में पड़ गई।"?रचना को सोच में डूबा देखकर उमेश बोला।
"पहले शादी फिर यह सब कुछ"रचना बोली,"मुझसे प्यार करते हो तो मेरी बात मानोगे।"
और उमेश ने अगले ही दिन रचना से कोर्ट मैरिज कर ली।
जो कॉलेज में एक दूसरे के दुश्मन थे।वास्तविक जीवन मे जीवनसाथी बन गए थे।