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कल्पना से वास्तविकता तक। - उपन्यास
jagGu Parjapati ️
द्वारा
हिंदी कल्पित-विज्ञान
कल्पना से वास्तविकता तक!! हमने किसी सुना है कि " इस संसार में जो भी हो रहा है, और जो होने वाला है वो सब पहले से तय है। किसी के कब जन्म होगा ..से लेकर कब मृत्यु की गोद में सोना है ..,सब तयशुदा है।" आपने भी सुना ही होगा ये तो ,क्यूं सही कह रहे हैं ना हम?? लेकिन कभी सोचा है, कि अगर हम किसी दूसरे संसार किसी दूसरी दुनिया में चले गए तब ,तब क्या होगा??नहीं सोचा ना.. हमारी ये कहानी बस इसी कल्पना को छोटी सी उड़ान देती
कल्पना से वास्तविकता तक!! हमने किसी सुना है कि " इस संसार में जो भी हो रहा है, और जो होने वाला है वो सब पहले से तय है। किसी के कब जन्म होगा ..से लेकर कब मृत्यु की ...और पढ़ेमें सोना है ..,सब तयशुदा है।" आपने भी सुना ही होगा ये तो ,क्यूं सही कह रहे हैं ना हम?? लेकिन कभी सोचा है, कि अगर हम किसी दूसरे संसार किसी दूसरी दुनिया में चले गए तब ,तब क्या होगा??नहीं सोचा ना.. हमारी ये कहानी बस इसी कल्पना को छोटी सी उड़ान देती
नोट:-- इस भाग को समझने के लिए ,आप पहला भाग अवश्य पढ़ ले। आगे ....... नेत्रा अपनी किताब पढ़ने में मशगूल थी,शुरुआत से ही नेत्रा को किताबों से एक अलग ही लगाव था,उसको पढ़ना इतना ज्यादा पसंद ...और पढ़ेकि, अगर कोई किताब उसको दिख जाती थी तो भले ही वो दूर दूर तक उस किताब को समझ ना पाए ,फिर भी उसके पन्ने पलट कर देखने से वो खुद को रोक नहीं पाती थी । उसको जब भी खाली समय मिलता वो उसको अपनी किताबों के साथ बिताती। किताब पढ़ते समय कुछ शब्दों को पेंसिल से रेखांकित करने की
कल्पना से वास्तविकता तक:--3 नोट:-- 1.आप सब इस भाग को समझने के लिए पिछले वाले भाग अवश्य पढ़ लें। 2.इस भाग में प्रयोग लाई गई एक भाषा पूर्णतः काल्पनिक और हमारे द्वारा स्वरचित है किसी भी देश ,राज्य ,या ...और पढ़ेकी भाषा से मिलना सिर्फ एक संयोग मात्र होगा। 3.यह कहानी किसी भी वैज्ञानिक तथ्य की पुष्टि नहीं करती हैं। दिए गए तथ्य बस कल्पना मात्र हैं।? धन्यवाद!! अब आगे...... कल्कि जब बेहोशी से जागती है ,तब वो पहले तो चारों तरफ़ देख कर हैरान हो जाती है,लेकिन तभी उसे नेत्रा और यूवी का ख्याल आता है ,वो अपने
कल्पना से वास्तविकता तक:--4 नोट:-- 1.आप सब इस भाग को समझने के लिए पिछले वाले भाग अवश्य पढ़ लें। 2. यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है तथा किसी भी वेज्ञानीक तथ्य की पुष्टि नहीं करती है।दिए गए तथ्य हमारी ...और पढ़ेमात्र हैं। (प्यारे पाठकों ग्रमिल की दुनियां में बोली जाने वाली भाषा हिंदी से अलग है लेकिन इस भाग में, हम उसको हिंदी में ही अनुवादित कर लिख रहे हैं ताकि कहानी की सरलता बनी रहे।) धन्यवाद ?। अब आगे ...... नेत्रा ख्यालों में गोते लगाते हुए ग्रमिल के साथ साथ चल रही थी। धीरे धीरे रास्ते
कल्पना से वास्तविकता तक:--5 नोट:-- 1.इस भाग को पूर्णतः समझने के लिए आप पीछे के सभी भाग अवश्य पढ़ लें। 2.यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है,तथा किसी भी वेज्ञानिक़ तथ्य की पुष्टि नहीं करती है। प्रयोग में लाए गए तथ्य ...और पढ़ेकल्पना मात्र है। धन्यवाद?। अब आगे..... नेत्रा मैक्सी को अपनी सहमति व्यक्त करती है, जिसमें कल्कि और यूवी भी उसका साथ देती हैं। नेत्रा:" लेकिन इसके लिए मुझे क्या करना होगा सर??" मैक्सी:" पहले तो सर नहीं अंकल कहो,इतने सालों से तरस गया हूं ,अपनों से अपनी सी बातें सुनने के लिए।" मुरझाए से चेहरे से नेत्रा