कल्पना से वास्तविकता तक। - 19 jagGu Parjapati ️ द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 19

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।

जब भी आपको लगे कि आप हार रहे हैं, तब हार मान कर हथियार फेंक देना ही हमारी सबसे बड़ी हार होती है, लेकिन अगर हम हथियार ना डालकर खुद को और बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास करें तो यकीनन उस हार से बड़ी जित पर हमारे कदम एक न दिन अवश्य पड़ते हैं।


युवी और नित्य दोनों इस हद तक घबरा गए थे मानो काटो तो खून नहीं,....... उन में से किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी कि मिशेल जिन्दा भी हो सकता है..... लेकिन उनकी उम्मीद से अलग मिशेल अजीब डरावने तरीके से अपने पुरे शरीर को समेट रहा था। युवी और नित्य के साथ साथ बामी भी निचे पड़े मिशेल को ही घूर रहा था ,फर्क था तो बस इतना कि वो ये सब देखकर हैरान नहीं था..... क्यूंकि शायद कहीं न कहीं वो सब कुछ जानता ही था। हां लेकिन उसकी आंखो में एक अजीब सा अफसोस था... एक अजीब से खालीपन से वो मिशेल को घूरते हुए भी मानो शून्य में ही देख रहा था।


युवी की आँखें, डर और घबराहट से बड़ी हो गयी थी “ न…. न....नहीं ऐसा नहीं हो सकता है ? ये फिर से जीवित कैसे ? “ वो नित्य का हाथ पकड़ते हुए कहती है। नित्य युवी के ठंडे पड़ चुके हाथों का स्पर्श अपने हाथों पर महसूस कर पा रहा था...बहुत हद तक तो नित्य भी अंदर ही अंदर डर गया था, लेकिन वो जाहिर नहीं करना चाहता था क्यूंकि उसको लग रहा था कि शायद उसको टूटता देख कर युवी का हौसला और भी ज्यादा टूट जाएगा।


“ ये मरे ही कहाँ थे जो तुम इनके फिर से जिन्दा होने से इतना हैरान हो रहे हो।” बामी ने उनकी तरफ घूरते हुए कहा जो उनके पास ही खड़ा था और उनकी पूरी बात सुन चुका था, बामी की आँखें भयानक तरीके से बड़ी हो चुकी थी और देखने से लग रहा था मानो दुनिया जहान का रक्त उसकी आँखों में उतर आया हो।


दोनों बामी की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हैं और डर की वजह से उनके कदम खुद ही उन्हें बामी से दूर ले जाने लगते है।


“ डरो मत..... मैं तुम दोनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा...... बल्कि…. “ बामी बोलते बोलते रुक बीच में ही जाता है। उसको ऐसे चुप देखकर युवी थोड़ी हिम्मत करके पूछती है “ बल्कि आप क्या ?“


“ बल्कि मैं तो तुम्हारी मिशेल को मारने में मदद करना चाहता हूँ “ उसने अजीब तरीके से मिशेल को देखते हुए कहा और फिर एक झटके से अपनी आँखें बंद कर दी,उसको देखकर ही लग रहा था कि ये आखिर के शब्द कहना उसके लिए कितना मुश्किल होगा, ऐसा लग रहा था मानो दुनिया का सबसे कठिन काम किसी ने उसे ही सौंप दिया हो , और ना चाहते हुए भी उसे वो करना पड़ रहा हो।


उसकी बात सुनकर युवी हैरानी से उसकी तरफ देखती है, कुछ क्षण के लिए तो युवी को बामी के कहे शब्द सुनते तो हैं। …. लेकिन समझ नहीं आते हैं, जैसे बस वो उसके कानों के पर्दे से टकराकर ,दिमाग से मिले बिना ही वापिस लौट गए हों ।


“ क्या ? हमारी मदद “ पूरी बात समझने के बाद युवी खुद में ही खोई हुई कहती है।


“ एक मिनट , लेकिन आप हमारी मदद क्यों करेंगे ? मेरा मतलब आप तो मिशेल की तरफ थे न !!” युवी फिर से थोड़ा सोचते हुए बामी से कहती है, क्यूंकि युवी को उसकी बातों पर इतनी आसानी से भरोसा हो भी नहीं रहा था। कहीं न कहीं उसका अविश्वास जायज़ भी था क्यूंकि था तो आखिर बामी मीशेल का ही सेवक और वो भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि.. ‘खास सेवक’, इतना खास की युवी ने उसके अलावा मिशेल के ' इतना ' साथ कोई नहीं देखा था ।


“ मैं सिर्फ खुद की तरफ हूँ, और देखा जाए तो मैं तुम्हारी नहीं बल्कि अपने गोलक्ष की मदद कर रहा हूँ, और मेरे लिए मिशेल से भी कही ज्यादा बढ़कर मेरा गोलक्ष है तो अगर मुझे मौका मिल रहा है तो मैं कायरों की भांति एक बार फिर से पीछे हटना नहीं चाहता हूँ। “ बामी ने एक अजीब से तल्ख़ भरे लहजे से कहा।


“ आप कहना क्या चाहते है ? मैं कुछ भी समझ नहीं पा रही हूँ , और हम आप पर कैसे भरोसा कर लें कि आप हमारी मदद करेंगे ? अगर आपकी ये कोई चाल हुई तो ?” युवी ने थोड़ी कठोर आवाज में कहा।


“ देखो लड़की ज्यादा समझाने का वक़्त न तो मेरे पास है और ना समझने का वक़्त तुम्हारे पास है क्यूंकि कुछ ही देर बाद मिशेल फिर से जीवित हो जायेगा… और रही बात भरोसे या साज़िश की तो कुछ देर बाद तुम वैसे भी मर ही जाओगे... तो तुम्हे मारने के लिए मुझे कोई चाल चलने की जरूरत नहीं है। " इस बार बामी ने थोड़े कठोर तरीके से कहा।


युवी को उसकी बात में दम लगा था... क्यूंकि सच भी था कि अगर मिशेल जीवित हो उठा तो वो वैसे भी मारे ही जायेंगे।


“ ठीक है तो क्या करना होगा हमें ? और आप हमारी कैसे मदद करोगे ?” युवी ने थोड़ा सोचते हुए कहा। बामी ने उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखा।


“ ठीक है तो तुम इस से कहो कि ये रेयॉन से बात करे अभी और जैसा जैसा मैं कहता हूँ उसको वैसा वैसा करने को कहे। “ बामी ने नित्य की तरफ इशारा करते हुए कहा।


“क्या रेयॉन अंकल ? उनसे भला हम दोनों कैसे बात कर सकते हैं , वो तो पता नहीं कहाँ ही होंगे ?” युवी ने दबी सी आवाज के साथ अपने कंधे उठाते हुए कहा।


“ देखो अगर तुम्हे मुझपर विश्वास ही नहीं है तो मरो मिशेल के हाथों मुझे क्या ?” बामी ने थोड़ा गुस्से के लहज़े से युवी को घूरते हुए कहा।


“ ये आप क्या कह रहे है ?” युवी ने अपनी कही बात से अनजान होते हुए कहा।


“ सही तो कह रहा हूँ मैं…..…तुम्हे क्या लगता है कि हमें कुछ नहीं पता है, हमारी नजरों से कोई भेद नहीं छुपता है पागल लड़की, तुम भले ही झूठ बोल लो लेकिन खुद से झूठ नहीं बोल सकती हूँ, और जब तुम खुद से सच बोलती हो तो वो सच यहाँ सिर्फ तुम तक सिमित नहीं रहता है समझी ? “बामी ने युवी की तरफ अपनी ऊँगली से इशारा करते हुए कहा , बामी की आँखें हल्की लाल हो गयी थी जिसकी वजह से अब वो थोड़ा डरावना लग रहा था।


“ इसका मतबल इसको भी...... “ युवी ने निचे पड़े मिशेल की तरफ डर के साथ देखते हुए कहा।


“हाँ मिशेल शुरू से ही जानता था कि तुम उसके सामने नाटक कर रही हो, और उसको ये भी पता था कि तुम बाहर अपने साथियों से बात कर रही हो, लेकिन उसको ये नहीं पता था कि तुम इतनी जल्दी उस पर वार करोगी, और यही उसकी भूल थी कि उसने तुम्हे कम आँका था। “ बामी ने सोचते हुए कहा।बामी की बात सुनकर युवी को एक जोरदार झटका लगा था, पूरी बात सोचकर उसके पुरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे..... उसको अब अंदाजा हुआ था कि उसने खुद को कितनी बड़ी मुसीबत में डाल लिया था।

" अब इतना सोचने का वक़्त नहीं है ... इसलिए अगर मैं साथ दे रहा हूं, तो बदले में मैं तुम दोनों से भी यही उम्मीद करता हूं। " बामी ने युवी को खोया हुआ सा देखकर कहा।

" अ... हां.. समझ गई ।" युवी ने उलझे से शब्दों में कहा।

" तो अब मेरी बात ध्यान से सुनो....!" बामी ने युवी की तरह देखते हुए कहा।

बामी की आवाज सुनकर युवी मानो एक गहरी नींद से जागी थी... उसने एक नजर भर अपने चारों तरफ़ देखा... वो अब भी उस अदृश्य दीवारों के जाल में उलझी हुई थी... उस से कुछ दूर ही अधमरा सा मिशेल पड़ा हुआ था और उसके बाई ओर नित्य खड़ा हुआ था और ठीक सामने बामी खड़ा हुआ था जो लगातार उसे सब बताए जा रहा था... युवी के अंदर ही अंदर एक द्वंद युद्ध चला हुआ था। हजारों उलझनों को दिमाग से बाहर की ओर धकेलते हुए युवी एक झटके से अपनी आंखें बन्द कर लेती है।

" नेत्रा..." युवी ने मन ही मन कहा।

★★★

वहीं दुसरी ओर.....

धीरे धीरे मिशेल के छह के छह हिस्से भी अपने आप में ही कुलबुलाने लगे थे.... मानो अंदर ही अंदर उनमें को जीवन फूंक रहा हो... उनके आस पास खड़े सभी गोलक्षियों के मन में एक बार फिर से उनके हार जाने का विचार हावी होने लगा था... क्यूंकि उन्हें याद था कि जब उन्होंने पिछली बार मिशेल को मारने की कोशिश की थी... तब भी तो ऐसा ही कुछ हुआ था .. उन्हें बहुत बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी..... और मिशेल...उसका व्यवहार तो गोलक्षियो की इस साजिश के बाद उन के लिए और भी ज्यादा भयानक हो गया था... हर पुरानी बात एक बार फिर से उनके पूरे शरीर में एक सिरहन पैदा कर रही थी। पूरे माहौल को देखकर लग रहा था मानो उनका इतिहास एक बार फिर से खुद को दोहरा रहा है।

छह के छह गुट बुरी तरह घबरा गए थे... सबका मनोबल टूट रहा था। नेत्रा ,कल्कि और ग्रमिल को तो कुछ समझ ही नहीं अा रहा था। उन सबने मिलकर अभी बस कुछ समय पहले ही एक चमकते पत्थर के अनगिनत टुकड़े किए थे, जो बड़े ही विचित्र तरिके से जीवित लग रहा था। ...जो देखने में किसी अलग से ही गहरे रंग का दिख रहा था... उन्होंने आज से पहले कभी ऐसा कोई ना तो रंग ही देखा था और ना ही ऐसा कोई पत्थर... उस पत्थर की रोशनी हमेशा कुछ देर के बाद अपना रंग बदल देती थी... जो पहले वाले से भी ज्यादा अनोखा होता था... लेकिन एक रंग से दूसरे रंग में बदलने के बीच एक छोटा सा अंतराल होता था जब उस पत्थर की रोशनी हल्की धीमी पड़ जाती थी..... और बस वही समय होता था जब वो पत्थर कमजोर होता था.... गोलक्षी यह बात पहले से जानते थे। इसी बात का फायदा उठाते हुए उन्होंने उसी समय पर एक साथ मिलकर उन छह पत्थरों पर तब तक वार किए थे जब तक की वो अनगिनत टुकड़ों में नहीं बदल गया था।

उन पत्थरों को नष्ट करने के बाद, सबके चेहरों पर एक अलग सी जीत का नूर आसानी से देखा जा सकता था। लेकिन शायद वो नूर क्षणिक था... क्यूंकि कुछ ही देर बाद वो टुकड़े अब फिर से धीरे धीरे हिल रहे थे.... और गोलाक्षी इस हलचल को भली भांति पहचानते थे... क्यूंकि वो एक बार पहले भी इस हलचल से गुजर चुके थे। चारों तरफ़ मानो बेमौसम सी हवा चल रही थी जिसका असर सिर्फ और सिर्फ उन चमकते पत्थर के टुकड़ों पर पड़ रहा था और वो सब बड़े ही असमान्य ढंग से हिल रहे थे।

" ये सब क्या हो रहा है?" नेत्रा ने उलझन से इधर उधर हिलते हुए टुकड़ों को देखते हुए कहा।

" ये अपने आप कैसे हिल रहे हैं?" कल्कि ने भी दबे से स्वर में उन टुकड़ों की तरह उंगली से इशारा करते हुए जिली से पूछा।

" आख़िर वही हुआ जिसका डर था।" जिली ने मायूस होते हुए कहा।

" मतलब! आप कहना क्या चाहते हैं? कहीं मिशेल का आखिरी हिस्सा..." नेत्रा ने किसी डर से अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए कहा।

" हां, तुम बिल्कुल सही समझ रही हो... मिशेल का आखिरी हिस्सा वो खतम नहीं कर पाएं हैं और अब कुछ ही देर तक ये सब हिस्से भी खुद ब खुद ही जी उठेंगे.... और टूटकर जब ये उठते हैं तो कुछ ही समय बाद इनकी शक्तियां भी पहले से दोगुनी हो जाती हैं।" जिली ने निराशा से भारी हो चुके अपने दांतों को संभालते हुए कहा... गौर से देखने पर उसकी आंखों का काला हो चुका रंग भी आसानी से देखा जा सकता था।

वो सब जिली की बातें सुनकर उन सबकी आजादी की चाहत पर एक बार फिर से पानी फिर गया था... उनकी हिम्मत भी अब जवाब दे रही थी... सबको ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनकी उस मंजिल से एक कदम पहले खाई में धकेल दिया था जिसके लिए वो ना जाने कितने ही सालों से उस पहाड़ को चढ़ रहे थे जिसकी आखिरी ऊंचाई पर उन्हें सांस भी रुक रुक कर अा रही थी।

नेत्रा और कल्कि के मन में एक बार फिर से युवी को खोने का डर घर कर गया था। बाहर से वो भले ही शांत थी लेकिन उनके अंदर एक अलग ही तूफ़ान चल रहा था। उनको देखकर लग रहा था मनो आस पास के माहौल का उनपर कोई असर ही नहीं हो रहा है।नेत्रा जब अपने ही ख्यालों में गुम थी तभी उसके कानों में जानी पहचानी सी आवाज गूंजती है।

“ नेत्रा ,मैं युवी क्या तुम तक मेरी आवाज पहुंच रही है ? “ एक बार फिर से नेत्रा को आवाज आती है और नेत्रा सुनते ही अपनी आँखें बंद कर लेती है।

“हाँ युवी मैं सुन पा रही हूँ, और वहां क्या हुआ ? और तुम दोनों ठीक तो हो ना ? “ नेत्रा ने एक साथ कई सवाल दागते हुए युवी से कहा।

“ हाँ यहाँ सब ठीक है नेत्रा , अच्छा ये सब बातें करने का समय नहीं है मैं बस जो तुम्हे बता रही हूँ वो ध्यान से सुनो, हमने जैसा सोचा था वैसा कुछ नहीं है, मिशेल को हमने खत्म जरूर किया था लेकिन वो खत्म नहीं हुआ है। “

“ हाँ जानती हूँ, और ये भी जानती हूँ कि कुछ ही समय बाद वो फिर से जीवित हो जायेगा। “ नेत्रा ने युवी की बात पूरी करते हुए कहा।

“हाँ ,लेकिन अबकी बार हम उसको मार सकते है , तुम सभी को एक बार फिर से सभी को कह दो कि एक बार फिर से उसपर वार करके उनको जिन्दा होते ही खत्म कर देना है...... और रेयॉन अंकल क्या तुम्हारे साथ है ?” युवी ने पूछा।

“ हाँ क्यों ? “

“क्यूंकि वही है जो हमारी मिशेल को मारने में मदद कर सकते है। “

“ मतलब “

“ मतलब मैं समझाती हूँ। … देखों जो मिशेल है ना उसने अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए….......” इतना कहते हुए युवी नेत्रा को शुरू से अंत तक की सब बता देती है। उसी बातें सुनकर नेत्रा के चेहरे पर कई भाव आते जाते है…. जिनको उसके आस पास खड़े रेयॉन और कल्कि ने भी महसूस किया था।

“ ठीक है , मैं सब समझ गयी हूँ और अबकी बार हमसे कोई भूल नहीं होगी। “



क्रमशः

तो दोस्तों ये था हमारी कल्पना का अगला भाग..... उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा। तो अगर पसंद आये या कुछ भी कमी लगे तो आप सब समीक्षा लिखकर जरूर बताएं।आपकी समीक्षाओं का इंतज़ार रहेगा। तो मिलते है अगले भाग पर तब तक पढ़ते रहिये ,समीक्षाएं लिखते रहिये और स्नीकर्स देते रहिये।


© jagGu prajapati ✍️