Lajpat Rai Garg लिखित उपन्यास यादों के उजाले | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास यादों के उजाले - उपन्यास उपन्यास यादों के उजाले - उपन्यास Lajpat Rai Garg द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (34) 942 5.3k 1 यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (1) आज प्रह्लाद को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेणुका ...और पढ़ेपास अस्पताल में होता। आज सुबह जब वह उठा तो रेणुका को स्नानादि से निवृत्त हुआ देखकर उसने पूछा - ‘आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गयी हो?’ तो उसने उत्तर दिया था - ‘आप भी जल्दी से फ़ारिग हो लो। इतने मैं नाश्ता और दोपहर का खाना बना लेती हूँ। पिछले एक पहर से रह-रहकर ‘दर्द’ उठ रहे हैं। पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास यादों के उजाले - 1 273 1.5k यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (1) आज प्रह्लाद को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेणुका ...और पढ़ेपास अस्पताल में होता। आज सुबह जब वह उठा तो रेणुका को स्नानादि से निवृत्त हुआ देखकर उसने पूछा - ‘आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गयी हो?’ तो उसने उत्तर दिया था - ‘आप भी जल्दी से फ़ारिग हो लो। इतने मैं नाश्ता और दोपहर का खाना बना लेती हूँ। पिछले एक पहर से रह-रहकर ‘दर्द’ उठ रहे हैं। सुनो अभी पढ़ो यादों के उजाले - 2 231 921 यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (2) पीरियड समाप्त हुआ और वह क्लास से बाहर निकल गया। प्रह्लाद और विमल अभिन्न मित्र थे। दोनों में किसी प्रकार का दुराव-छिपाव नहीं था। एक जब तक अपने मन की बात दूसरे ...और पढ़ेबतला नहीं लेता था, उसको खाना हज़म नहीं होता था। वे इकट्ठे कॉलेज आते-जाते थे। दोनों के सब्जेक्ट भी एक-से थे। ऐसा कभी नहीं हुआ था कि एक कॉलेज में हो और दूसरा न हो। इसलिये जब प्रह्लाद विमल को बिना बताये क्लास से बाहर निकला तो विमल भी उसके पीछे-पीछे हो लिया। टीचिंग ब्लॉक पार करते ही उसने अपने सुनो अभी पढ़ो यादों के उजाले - 3 144 993 यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (3) ‘रवि, तुम्हारी इस बात का क्या जवाब दूँ, कुछ सूझ नहीं रहा। मैं तो नि:शब्द हो गया हूँ।’ कुछ समय के लिये चुप्पी रही। फिर जैसे कुछ स्मरण हो, उसने कहा - ...और पढ़ेएक बात तुम्हें और बतानी है.....कॉलेज में मेरे नाम फ्रीक्वेंटली रजिस्टर्ड लेटर आना अनावश्यक जिज्ञासा को जन्म देगा, इसलिये मैंने सोचा है कि आगे से तुम पत्र मेरे फ्रैंड विमल के घर के पते पर केयर ऑफ करके भेजा करना। विमल के पैरेंट्स अनपढ़ हैं और विमल मेरा अभिन्न मित्र है। इसलिये अपने बीच पत्रों का आदान-प्रदान भी विमल के सुनो अभी पढ़ो यादों के उजाले - 4 138 1.1k यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (4) विमल के उत्तर पर रवि भी अपनी हँसी रोक नहीं पायी। ऐतिहासिक स्थलों के गाइड मनोविज्ञान में पारंगत होते हैं। जिस ग्रुप में युवती या महिला होती है, उन्हें विश्वास होता है ...और पढ़ेये लोग गाइड अवश्य करेंगे। अत: जैसे ही रवि ने ड्राइवर को पैसे दिये, तीन-चार गाइड अपनी सेवाएँ देने के लिये अपने-अपने ट्रिक आज़माने लगे। रवि ने एक गाइड जिसने अढ़ाई-तीन घंटे उनके साथ रहकर जानकारी देने की बात रखी, को हामी भर दी। आमेर दुर्ग में प्रवेश करने के लिये जैसे ही ये लोग पैदल चलते हुए ऊपर पहुँचे सुनो अभी पढ़ो यादों के उजाले - 5 - अंतिम भाग 156 798 यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (5) प्रह्लाद नौकरी पाने में सफल रहा। नौकरी लगने के पश्चात् उसके विवाह के लिये रिश्ते आने लगे। वह टालमटोल करता रहा। एक रविवार के दिन विमल प्रह्लाद से मिलने उसके घर आया ...और पढ़ेथा। मंजरी ने मौक़ा देखकर बात चलायी - ‘विमल, अब तुम दोनों विवाह कर लो। बहुओं के आने से घरों में रौनक़ आ जायेगी।’ ‘दीदी, मैं तो तैयार हूँ। किसी अच्छी लड़की का रिश्ता आने की बाट जोह रहा हूँ। लेकिन, प्रह्लाद के लिये तो अभी आपको डेढ़-दो साल इंतज़ार करना पड़ेगा।’ प्रह्लाद ने विमल की तरफ़ आँखें तरेरीं, किन्तु सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Lajpat Rai Garg फॉलो