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नमकीन चाय; एक मार्मिक प्रेम कथा - उपन्यास
Bhupendra Kuldeep
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
अध्याय - 1हैलो रमेश हैप्पी बर्थडे। चंदन बोलाहैलो चंदन थैक्ंस यार। कब आया भाई ?बस अभी थोड़ी देर ही हुआ, बड़ी जोरदार पार्टी दी है तुमने। चंदन बोला।हाँ यार, पापा पैसा खर्च करने के लिए मान गए नहीं तो मैं मेडिकल रिप्रेसेंटेटिव इतना कहाँ कर पाता।अच्छा है यार कम से कम तेरे पिता तो है मेरा तो यार आगे पीछे कोई नहीं। अनाथालय ने पाल पोसकर पढ़ा दिया यही बड़ी बात है। चंदन बोला।तूने कुछ ड्रिंक लिया कि नहीं ?नहीं यार तुझे तो पता है मैं नहीं पीता, हाँ केक जरूर खा लूंगा।अच्छा तो पहले पेट पूजा कर ले या
अध्याय - 1हैलो रमेश हैप्पी बर्थडे। चंदन बोलाहैलो चंदन थैक्ंस यार। कब आया भाई ?बस अभी थोड़ी देर ही हुआ, बड़ी जोरदार पार्टी दी है तुमने। चंदन बोला।हाँ यार, पापा पैसा खर्च करने के लिए मान गए नहीं तो ...और पढ़ेमेडिकल रिप्रेसेंटेटिव इतना कहाँ कर पाता।अच्छा है यार कम से कम तेरे पिता तो है मेरा तो यार आगे पीछे कोई नहीं। अनाथालय ने पाल पोसकर पढ़ा दिया यही बड़ी बात है। चंदन बोला।तूने कुछ ड्रिंक लिया कि नहीं ?नहीं यार तुझे तो पता है मैं नहीं पीता, हाँ केक जरूर खा लूंगा।अच्छा तो पहले पेट पूजा कर ले या
अध्याय - 2रिया भी एक मार्डन ख्यालों वाली लड़की थी उसे आधुनिकता में अपने संस्कारो को संरक्षित करना आता था। वो अपना सामान लेकर आ गई। दूसरे दिन रिया ने चंदन को घर पर फोन किया।बताईये महोदय, कहाँ पढ़ाई ...और पढ़ेऔर क्या पढ़ना है ?तुम बताओ, मैं वहीं आ जाता हूँ। संविधान पढ़ते हैं। चंदन ने कहा आ सकते हो परंतु यहाँ पूरी फैमिली है अलग से कोई रूम नहीं, जहाँ बैठकर पढ़ सकें। रिया बोली।देखो, अगर तुमको कोई आपत्ति ना हो तो मेरे फ्लैट पर आ जाओ।हाँ वो भी ठीक है मैं आती हूँ तुमको पढ़ाकर वापस आ जाऊंगी।ठीक है आ
अध्याय - 3चंदन वापस घर आया तो प्रसन्न भी था और दुखी भी था। उसे लग रहा था कि उसको प्यार मिला और मिलते ही बिछुड़ गया।भरे मन से उसने नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल गया।रमेश उसके ...और पढ़ेमें ही बैठा था।क्यों भाई आज फील्ड में नहीं जाना क्या ?चुपचाप दिखाई दे रहा है। क्या बात है रमेश ने पूछा ?कोई बात नहीं है रमेश।नहीं, कुछ तो बात है रिया का क्या हालचाल है। बात बनी कि नहीं ? रमेश पूछा ?अरे यार! बात बनी भी और नहीं भी। चंदन बोला।कैसे ?हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते
अध्याय - 4इधर रायगढ़ के अस्पताल में रिया के दादाजी जहाँ एडमिट थे रिया पूरे मन से उनके देखभाल में लगी थी। सुबह जब डॉक्टर राऊंड पर आये तो बताया अब दादाजी का बी.पी. थोड़ा कंट्रोल में है और ...और पढ़ेभी उतर गया है पर कम से कम एक दिन आब्जर्वेशन में रखना पड़ेगा। रिया की चिंता थोड़ी कम हो गई थी, वो दादाजी का खाना लेकर आई थी।रिया बेटा आओ मेरे पास बैठो। जब से तुम आई हो तुमसे बात करने का मौका ही नहीं मिला है। दादाजी बोले।जी दादाजी। रिया ने मुस्कुराते हुए कहा।तुमको ठीक से देख तो
अध्याय – 5 इधर चंदन दूसरे दिन सुबह फिर से रिया के फोन का इंतजार करता हरा परंतु दिन भर फोन नहीं आया। वह बिना नाश्ता किए ही ऑफिस चला गया। ऐसे ही उसके दो दिन बीत गए।क्या भाई ...और पढ़ेदो तीन दिन से देख रहा हूँ, न तो तू कुछ बात करता है खोया रहता है, आखिर बात क्या? रमेश पूछा।कुछ नहीं यार बस मन खराब है।क्यों ?आज तीन दिन हो गए रिया का फोन नहीं आया है यार। मैं परेशान हो गया हूँ वो इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है। उसे मेरी कोई फिक्र नहीं है।हो सकता है किसी