Insaaniyat - EK dharm book and story is written by राज कुमार कांदु in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Insaaniyat - EK dharm is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
इंसानियत - एक धर्म - उपन्यास
राज कुमार कांदु
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
राखी और रमेश अपनी कार में बैठे बड़ी तेजी से अपने घर की तरफ बढे जा रहे थे । शाम का धुंधलका फैलने लगा था और रमेश की कोशिश थी कि अँधेरा गहराने से पहले अपने घर पर सकुशल पहुँच जाये इसके लिए कार अपनी पूरी गति से कुशलता पूर्वक चला रहा था । अभी कुछ दिनों पहले इसी इलाके में घटी सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड से इलाके के सभी लोग दहल गए थे और दिन डूबने के बाद यह सड़क सुनसान हो जाती थी ।गाड़ी चलाते हुए वह मन ही मन राखी पर खीझ भी रहा था । मैडम
राखी और रमेश अपनी कार में बैठे बड़ी तेजी से अपने घर की तरफ बढे जा रहे थे । शाम का धुंधलका फैलने लगा था और रमेश की कोशिश थी कि अँधेरा गहराने से पहले अपने घर पर सकुशल ...और पढ़ेजाये इसके लिए कार अपनी पूरी गति से कुशलता पूर्वक चला रहा था । अभी कुछ दिनों पहले इसी इलाके में घटी सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड से इलाके के सभी लोग दहल गए थे और दिन डूबने के बाद यह सड़क सुनसान हो जाती थी ।गाड़ी चलाते हुए वह मन ही मन राखी पर खीझ भी रहा था । मैडम
आलम की गिरफ्त से छूटने के लिए कसमसाती राखी की तरफ बढ़ते हुए मुनीर ने अपनी शंका आलम से साझा की ” लेकिन साहब ! चलो मान लिया कि मुंडा मर जायेगा तो सबूत नहीं रहेगा । लेकिन इस ...और पढ़ेका क्या करेंगे ? नहीं साहब ! मैं बाल बच्चे वाला आदमी हूँ । कहीं फंस गया तो ……..? ”उसकी बात सुनकर आलम एक ठहाका लगाकर हँस पड़ा ” अबे साले ! तू बेकार में पुलिस में भर्ती हो गया । न तेरे पास अकल है और न ही हिम्मत । अबे गधे मैं क्या कोई फंसने वाला काम करूँगा
सिपाही यादव के पकड़ने के बावजूद असलम उसके काबू में नहीं आ रहा था । वह यादव को धकेल कर लगातार आलम पर वार पर वार किये जा रहा था और जब वह उसे मारते मारते थक गया ...और पढ़ेहाथ से डंडा फिसल कर निचे गिर पड़ा । अब उसे अपनी सही स्थिति का भान हुआ । अब तक राखी खुद को संभाल चुकी थी । आलम की गिरफ्त से छूटते ही वह जमीन पर निढाल पड़े रमेश की तरफ भागी थी । अँधेरे में भागते हुए वह किसी पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ी थी । लेकिन अपने दर्द
असलम ने सामने से आ रहे नायब दरोगा पाण्डेय जी को सलूट किया और उनसे कुछ कहने की इजाजत मांगी ।पांडेयजी ने मुस्कुराते हुए बताया ” मुझे अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि एक कोई मारपीट का मामला अस्पताल ...और पढ़ेइलाज के लिए आया है । मैं इसीकी जांच के लिए यहाँ आया हूँ । तुम यहाँ पहले से ही मौजूद हो तो तुम्हें जरुर इस केस के बारे में कुछ जानकारी होगी । बताओ ! तुम इस केस के बारे में क्या बताना चाहते हो ? ”असलम ने कहना शुरू किया ” साहब ! मैं भी रामनगर थाने से
रामनगर से प्रताप गढ़ की तरफ जानेवाले राजमार्ग पर शहर से नजदीक ही उस जगह पर जहाँ रमेश और राखी के साथ यह भयानक वारदात हुयी थी पाण्डेय जी असलम और यादव के साथ अपने दल बल को लिए ...और पढ़ेगए थे । घटना स्थल पर अब तक कोई बदलाव नहीं आया था । शायद सड़क के किनारे मृत पड़े आलम के शव पर किसी की नजर नहीं पड़ी होगी ।पाण्डेय जी ने वहां रवाना होने से पहले ही अपने उच्चाधिकारियों को वारदात की सुचना दे दी थी और फिर इसी के साथ फोरेंसिक विभाग पुलिस फोटोग्राफर व एम्बुलेंस को