Muje ishq hua hai book and story is written by Rajesh Kumar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Muje ishq hua hai is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुझे इश्क़ हुआ है - उपन्यास
Rajesh Kumar
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
प्यार,इश्क़, प्रेम का आज कल की भाषा में लगभग एक ही अर्थ होता है। जिस प्रकार बीज को उगने के लिए सही समय व पर्याप्त वातावरण चाहिए होता है ठीक वैसे ही इश्क़ को पनपने के लिए एक उम्र एक एक सख्स चाहिए होता है। किशोर अवस्था में हमउम्र के साथ ही ये पनपता है। यूं तो इस अनोखे से रस को मैंने भी चखा है ये बात अलग रही कि मेरा इश्क़ मुक़म्मल न हो सका। उन्हीं लम्हों को मैं यहां साझा करूँगा। 9th क्लास की बात थी मैं घर से बाहर पढ़ने के लिए गया एकदम अलग माहौल
प्यार,इश्क़, प्रेम का आज कल की भाषा में लगभग एक ही अर्थ होता है। जिस प्रकार बीज को उगने के लिए सही समय व पर्याप्त वातावरण चाहिए होता है ठीक वैसे ही इश्क़ को पनपने के लिए एक ...और पढ़ेएक एक सख्स चाहिए होता है। किशोर अवस्था में हमउम्र के साथ ही ये पनपता है। यूं तो इस अनोखे से रस को मैंने भी चखा है ये बात अलग रही कि मेरा इश्क़ मुक़म्मल न हो सका। उन्हीं लम्हों को मैं यहां साझा करूँगा। 9th क्लास की बात थी मैं घर से बाहर पढ़ने के लिए गया एकदम अलग माहौल
पिछले भाग से आगे- किसी भी प्रेमी का इससे ज्यादा इशारा और कुछ नही हो सकता था, लेकिन मैं इस मामले में अपरिपक्व था। मुझे हमेशा डर रहता कि, उसके ...और पढ़ेमें मेरे लिए वो अहसास, वो चाहत, वो प्यार नही हुआ, जो उसके लिए मेरे दिल में है। ऐसे में मैंने उससे अपने दिल की बात की, और अपनी महोब्बत का इज़हार किया तो, क्या होगा? बस यही सोचकर मेरे क़दम रुक जाते और मेरे लफ्ज़ मेरा साथ नही देते। फिर भी मेरी जिंदगी के हर लम्हें में, वो समा गई। अब
ये सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता गया। अभी कोई ज्यादा उम्र तो थी नही, प्यार महोब्बत के बारे में जानकारी इतनी तो नही थी। मगर जो मेरे साथ चल रहा था वो बहुत ही हसीन चल रहा था। हम ...और पढ़े9 वीं क्लास में थे मैं अपने गांव से दूर शहर में जाकर पढ़ रहा था। तो थोड़ा इन चीजों से डरता भी, मगर जब कोई दिल में बस जाए और ख़्वावों पर कब्ज़ा कर ले तो फिर क्या कहने। ना जाने कब एक चेहरा मुझे दिखा और धीरे धीरे मैं उस चेहरे में खुद को तलाशने लगा और आंखे