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एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - उपन्यास
Krishna manu
द्वारा
हिंदी हास्य कथाएं
किस्सा उन दिनो का है जब बिल्ली के भाग से सिकहर टूटा था। कम्पनी के एक कर्मचारी को लम्बी अवधि के लिए अवकाश जाने के कारण रिक्त हुए स्थान पर छह महीने की अस्थायी नौकरी पर हमारे शौकीलाल जी का पदास्थापना हुआ था। कहते हैं-एक दिन घूरे के दिन भी फिरते हैं, शौकीलाल जी के भी दिन फिरे। जब से दफ्तर का इजाद हुआ होगा शायद तभी से बाबू, फाइल और चाय की तिकड़ी जमी होगी। यही कारण है कि शौकीलाल जी बाबू बनते ही चाय के शौकीन हो गए। उत्पत्ति से लेकर चाय की अद्यतन स्थिति की जानकारी यदि
किस्सा उन दिनो का है जब बिल्ली के भाग से सिकहर टूटा था। कम्पनी के एक कर्मचारी को लम्बी अवधि के लिए अवकाश जाने के कारण रिक्त हुए स्थान पर छह महीने की अस्थायी नौकरी पर हमारे शौकीलाल जी ...और पढ़ेपदास्थापना हुआ था। कहते हैं-एक दिन घूरे के दिन भी फिरते हैं, शौकीलाल जी के भी दिन फिरे। जब से दफ्तर का इजाद हुआ होगा शायद तभी से बाबू, फाइल और चाय की तिकड़ी जमी होगी। यही कारण है कि शौकीलाल जी बाबू बनते ही चाय के शौकीन हो गए। उत्पत्ति से लेकर चाय की अद्यतन स्थिति की जानकारी यदि
-' संबंध है। इसलिए तो मैं कह रही हूं कि यदि आप टीवी,रेडियो, अखबार आदि से नाता रखते तो चाय जैसी बेकार चीज के लिए फिजूलखर्ची करने के बारे में सोचते तक नहीं बल्कि प्रधान मंत्री राहत ...और पढ़ेमें अपने वेतन का दस प्रतिशत रकम कटवाकर भेज चुके होते।' -' ऐसा क्यों?' आश्चर्यचकित हो शौकीलाल जी ने पूछा। -' क्योंकि आप को देश के नाजुक आर्थिक स्थिति का पता होता। एक सच्चे नागरिक की तरह आप देश की समस्याओं के प्रति जागरूक होते। देश की आर्थिक हालत में सुधार के लिए आप सारी फिजूलखर्ची बंद कर देते। पैसे बचाकर आप
बीवी का प्रस्ताव सुन शौकीलाल जी भीतर तक कांप उठे। हजार रुपए बड़ी मुश्किल से उन्होंने घर खर्चे में कटौती कर बचाये थे ताकि कई महीने पूर्व शर्मा जी से लिये कर्ज का भुगतान कर सकें किन्तु श्रीमती द्वारा ...और पढ़ेरकम पर भी डाका डालने की साजिश से वाकिफ होते ही चिंतित हो उठे। -' उठिये न जी, अब देर मत कीजिए। देखिए, मैं तैयार हूं। सिर्फ आप को तैयार होना है।' आदेश देकर पत्नी जी घर के बाकी काम निपटाने चली गई। शौकीलाल जी आज श्रीमती की चंचलता देख हैरान थे। और दिन तो तैयार होने में घंटो लगा