यह कहानी शौकीलाल जी की है, जो एक अस्थायी कर्मचारी के रूप में कंपनी में काम कर रहे थे। शौकीलाल जी चाय के बड़े शौकीन थे और वे चाय के बारे में हर छोटी बात जानते थे। एक दिन, जब मौसम बहुत ठंडा था, वे घर लौटने के बाद एक कप गरमागरम चाय की तलब महसूस करते हैं। उन्होंने अपनी पत्नी से चाय मांगी, लेकिन चाय आने में देर होने लगी। शौकीलाल जी चिंतित हो गए और अपनी पत्नी से पूछा कि चाय का क्या हुआ। उनकी पत्नी ने बिना चाय के ही उन्हें देखा, जिससे शौकीलाल जी की चिंता और बढ़ गई। पत्नी ने उनकी चिंता का कारण पूछा, और इस तरह कहानी आगे बढ़ती है, जिसमें घर के माहौल और रोजमर्रा की जिंदगी के छोटे-छोटे तनावों को दर्शाया गया है।
एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग-1
Krishna manu
द्वारा
हिंदी हास्य कथाएं
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विवरण
किस्सा उन दिनो का है जब बिल्ली के भाग से सिकहर टूटा था। कम्पनी के एक कर्मचारी को लम्बी अवधि के लिए अवकाश जाने के कारण रिक्त हुए स्थान पर छह महीने की अस्थायी नौकरी पर हमारे शौकीलाल जी का पदास्थापना हुआ था। कहते हैं-एक दिन घूरे के दिन भी फिरते हैं, शौकीलाल जी के भी दिन फिरे। जब से दफ्तर का इजाद हुआ होगा शायद तभी से बाबू, फाइल और चाय की तिकड़ी जमी होगी। यही कारण है कि शौकीलाल जी बाबू बनते ही चाय के शौकीन हो गए। उत्पत्ति से लेकर चाय की अद्यतन स्थिति की जानकारी यदि
किस्सा उन दिनो का है जब बिल्ली के भाग से सिकहर टूटा था। कम्पनी के एक कर्मचारी को लम्बी अवधि के लिए अवकाश जाने के कारण रिक्त हुए स्थान पर छह महीने की अ...
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