Nadan Mohabbat book and story is written by Lakshmi Narayan Panna in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nadan Mohabbat is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नादान मोहब्बत - उपन्यास
Lakshmi Narayan Panna
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
नादान मोहब्बत( प्रस्तावना-प्यार की परिभाषा )क्या प्यार समझदारों का खेल है या शारीरिक रसायनों का प्रभाव ? जब प्यार की परिभाषा भी स्पष्ट नही होती तब प्यार कैसे हो जाता है ? कम उम्र में होने वाले प्यार को क्या नाम दूँ ? जब कोई खुद को बहुत अच्छा लगने लगे , उसे देखे बगैर न रहा जा सके । मूवी में चल रहे चलचित्र के नायक नायिका में अपनी जोड़ी नजर आए । माँ के बार-बार कहने पर भी खाने का ध्यान न रहे, तो लोग इसे प्यार की संज्ञा देते हैं । परन्तु अब मेरा मस्तिष्क इसे प्यार
नादान मोहब्बत( प्रस्तावना-प्यार की परिभाषा )क्या प्यार समझदारों का खेल है या शारीरिक रसायनों का प्रभाव ? जब प्यार की परिभाषा भी स्पष्ट नही होती तब प्यार कैसे हो जाता है ? कम उम्र में होने वाले प्यार को ...और पढ़ेनाम दूँ ? जब कोई खुद को बहुत अच्छा लगने लगे , उस
तितलियों के बीच लखनऊ शहर के बीच में बसे गाँव जुगौली का दूर दूर तक फैला हुआ मैदान मुझे अब भी याद आता है । मैं और मेरे पड़ोस के सभी लड़के और लड़कियां स्कूल से लौटने के बाद ...और पढ़ेही बाहर मैदान में खेलने निकल जाया करते थे । जिस मैदान में हम खेलते थे वह कोई छोटामोटा पार्क या उपवन नही था । कुछ समय पहले तक वहाँ खेत हुआ करते थे , बलुई जमीन थी जिसमें गेंहू , सरसों, मक्का , आलू , गाजर , मूली, शलगम आदि विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती थीं । इंडियन आर्मी और
नही यह प्यार नहीभाग-1सोफिया सागर को समझा रही थी । वह कह रही थी -" क्यों इतना नाराज होते हो सागर ? जो तुम समझ रहे हो वैसा कुछ भी नही है । सागर ने कहा- तुम्हे क्या मालूम ...और पढ़े? सच्चाई सिर्फ मैं और शशि ही जानते हैं । तुम मुझे अपने हाल पर छोड़ दो । सोफिया - नही ! सागर तुम गलत समझ रहे हो , शशि तुम्हे प्यार करती है । न जाने तुमने कौन सा शक पाल लिया है । उसने मुझे बताया कि तुम आजकल उससे बात भी नही करते । वह तुम्हे लेकर बहुत परेशान
भाग-2सागर पहली बार बहुत बेचैन था । सुबह जल्दी ही जग गया, क्योंकि शशि से मिलने का उसे बेसब्री से इंतज़ार था । उससे क्या क्या कहना है , वह आएगी या नही , यदि नही आई तो क्या ...और पढ़ेआदि बहुत कुछ सोंच रहा था । वक़्त बड़ी तेजी से गुजर रहा था । घड़ी की सूइयां 9 बजा रही थीं , उसने शशि को 11 बजे का समय दिया था । वह देर करके कोई गलती नही करना चाहता था, इसलिए तैयार होकर, समय से पहले ही पहुँच गया । नवम्बर - दिसम्बर के सर्द मौसम की सुबह