Nadan Mohabbat - Nahi yah pyar nahi - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

नादान मोहब्बत - नही यह प्यार नही - 1

नही यह प्यार नही
भाग-1
सोफिया सागर को समझा रही थी । वह कह रही थी -" क्यों इतना नाराज होते हो सागर ? जो तुम समझ रहे हो वैसा कुछ भी नही है ।
सागर ने कहा- तुम्हे क्या मालूम सोफिया ? सच्चाई सिर्फ मैं और शशि ही जानते हैं । तुम मुझे अपने हाल पर छोड़ दो ।
सोफिया - नही ! सागर तुम गलत समझ रहे हो , शशि तुम्हे प्यार करती है । न जाने तुमने कौन सा शक पाल लिया है । उसने मुझे बताया कि तुम आजकल उससे बात भी नही करते । वह तुम्हे लेकर बहुत परेशान है , एक बार उससे बात तो कर लो ।
सागर- सोफिया ! तुम बहुत भोली हो । तुम्हारी तरह सब लड़कियां नही हैं कि जिनका मन उनकी ख़ूबससुरती की तरह साफ हो । तुम जितनी ख़ूबसूरत हो उतनी ही साफ दिल भी , इसीलिए तुम शशि की चाल नही समझ पाई । वह मुझे प्यार नही करती बस मेरी भावनाओं को सहलाने का प्रयास कर रही थी । वह मेरे मोहब्बत के ख़्वाब को तोड़ना नही चाहती थी । इसलिए मुझसे प्यार का नाटक करती रही ।
सोफिया- उसने मुझे सब कुछ बताया है , तुम एक बार उससे बात तो कर लो , हो सकता है तुम्हारी ग़लतफ़हमी दूर हो जाये । इयूँ दूर दूर भागने से प्यार थोड़े ही न होता है । अभी तुम्हारे प्यार की शुरुवात को कितने दिन हुए ही हैं । शुरू शुरू में गलतफहमियां हो ही जाती हैं । जब एक दूसरे को समझने लगोगे, तब सब ठीक हो जाएगा । मेरे और शादाब के बीच भी शुरू शुरू में गलतफहमियां हुईं, लेकिन तुमने देखा है शादाब मुझ पर कितने भरोसा करते हैं ।
सागर- उससे क्या बात करूँ ? उसको फुर्सत ही कहाँ है मुझसे मिलने की ? तुम्हे शायद नही पता , आजकल वह वीरू सर के साथ ज्यादा वक्त बिताती है ।
सोफिया-तुम लड़कों की यही कमी है । अगर लड़की किसी दूसरे आदमी से बात करे , उसके साथ उठे बैठे, तो बस एक ही मतलब निकालते हो ।
सागर- ऐसा नही है सोफिया, मुझे उस पर शक कभी नही रहा । मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ । लेकिन उसके और बीरू सर के बारे में मैंने जो सुना , उसके बाद शशि से बात करने का मन नही करता ।
सोफिया ने जिद की तो सागर शशि से मिलने को तैयार हो गया । सागर ने सोफिया से पूछा -वह कब और कहाँ मिलेगी । सोफिया ने बताया, आज ही दोपहर को लंच टाइम में, के-पार्क में हम सब एक साथ लंच करेंगे और उस समय तुम दोनों थोड़ी दूर बैठकर बात कर लेना । वह पिछले दो दिनों से बहुत परेशान है, जब से तुमने बात करना बंद किया है । आज सुबह ही उसने मुझसे अपने दिल का हाल बताया है ।
दोपहर हुई और रोज की तरह सभी टीमें के-पार्क में इकट्ठा हुईं । रोज की तरह आज भी सबने अपना अपना लंच बॉक्स खोला और सारा भोजन एक दूसरे से शेयर किया । सागर, जिसने दो दिनों से शशि से कोई बात नही की थी । अब भी उससे बात करने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था । शशि और सागर दोनो पास पास ही बैठे थे लेकिन दोनों की जुबां खामोश थी । अक्सर ही लंच टाइम में जब सब इकट्ठे होते, तो समय बिताने के लिए वीरू सर सबसे उनकी आवाज में कोई गीत सुनाने को कहते । इस प्रकार जिन बेसुरों को शर्म नही आती या कुछ ठीकठाक गा पाते, उन्हें अपने हुनर के कुछ कद्रदान मिल जाते । सागर अक्सर ही अपनी बेशुरी कला का प्रदर्शन जरूर करता था ।
सोफिया के अनुसार सागर और शशि अलग जाकर कुछ बात करें कि तभी वीरू सर ने रोज की भाँति सबसे गीत सुनाने को कहा । वीरू सर सभी टीमों के सुपरवाइजर थे, और उम्र में भी सीनियर थे । सागर को वे अपना छोटा भाई मानते थे । सागर भी उनका बहुत सम्मान करता था , परन्तु कुछ बात ऐसी हुईं, कि वह उन्हें नापसन्द करने लगा था ।
गाने के मामले में कुछ लोग तो आवाज ठीक न होने का बहाना बनाकर आनाकानी करते थे, इसलिए शुरुआत सागर को ही करनी पड़ती थी । फिर उसके बाद सभी का नंबर आता , चाहे वह दो लाइने ही गाए । सागर ने गाना शुरू किया ......
सागर गीत गाते हुए......

गीत:-
तेरे दर्द से दिल आबाद रहा , कुछ भूल गए कुछ याद रहा ।…………..........दिल कह रहा है , दुआ दूँ ।
यह गीत गाते गाते सागर के दिल की बात आँखों में उतर आई । शशि ने देखकर भी अनदेखा कर दिया ! सागर को ऐसा ही लगा ।
परन्तु ऐसा नही था ! भृमर के भाव पुष्प न समझे ऐसा कभी हुआ है क्या ?
गीत का एक एक बोल शशि के जहन से उतरता चला गया । सब ने सागर की तारीफ की लेकिन, शशि ख़ामोश रही । शायद वह अभी भी सागर के भवनात्मक जाल में कैद थी । जब शशि का नंबर आया तो उसने सागर के अंदाज में ही जबाब दिया । उसने अपने गीत से वह कहने की कोशिश की जो वह शायद ही सागर से कह पाती ।
शशि ....
गीत :----
मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया
जो लिखा था आंसुओं के संग बह गया ....………......,
शशि गाते गाते रुक गई , लोगों ने तारीफ की , तालियां बजाईं लेकिन शायद किसी ने उसके भाव नही पढ़े । सागर ने भी तारीफ़ में तालियां बजाईं । परन्तु सागर ने एक बार फिर शशि के जज्बातों को अनदेखा कर दिया ।
इस तरह लंच टाइम बीत गया शशि और सागर के लब ख़ामोश ही रहे । सब फिर अपनी-अपनी टीम के साथ पोलियो उन्मूलन अभियान में जुट गए ।
अगले दिन .....
अगले दिन जब टीम बनाई गई तो वीरू सर ने शशि और सागर को एक ही टीम में रखा । शायद वह शशि और सागर की आँखों की भाषा समझ गए थे । फिर भी यह नई बात नही थी , वीरू सर तो अक्सर टीम मेम्बर बदलते रहते थे । लेकिन उनके लिए यह एक अच्छा मौका था । न चाहते हुए भी उन्हें बात करने की वजह मिल गई थी । जिसकी सम्भावना थी वही हुआ । शशि और सागर में धीरे-धीरे बातचीत शुरू हो गई , लेकिन यह बात काम तक ही सीमित थी । दोनो में से कोई भी प्यार की बात को आगे बढ़ाने का प्रयास नही कर पा रहा था । शायद दोनों ही अपनी अपनी कमियों से और गलतियों से परिचित थे, इसीलिए चाहकर भी हिम्मत नही जुटा पाए ।
नजदीकियां धड़कनों के जरिए दिल के जज़्बात बयाँ कर ही देती हैं । उनकी ख़ामोशी नज़दीकी के कारण नोक झोंक में बदल गई , वे अपना गुस्सा एक दूसरे से जाहिर करने लगे । कहते हैं कि किसी से जितना प्यार होता है, उस गुस्सा भी उतना ही आता है । इस नोक झोंक ने एक बार फिर मोहब्बत के बीज बो दिए ।
उनके बीच से कुछ पर्दे हटने लगे थे । अभी तक सागर और शशि अपने जज्बातों को बयाँ करने के लिए फिल्मी गीतों का सहारा लिया । उनकी गलतफहमियों ने झिझक के पर्दे हटा दिए । सागर ने शशि से आज वह कह दिया, जो शशि उसकी आँखों में महसूस करती थी ।
सागर :- शशि न जाने मुझे तुम पर इतना गुस्सा क्यों आ रहा था । शायद मैं अपने प्यार में बहक गया था । सॉरी !
शशि:-कोई बात नही ! लेकिन जब तुमने बात करना छोड़ दिया, तो मुझे बहुत दुःख हुआ था । सागर, अपने साथ साथ दूसरों की भावनाओं का भी ख्याल रखो, तो तुम एक बहुत अच्छे इन्शान हो ।
सागर:-सॉरी ! मुझे ऐसा नही करना चाहिए था । आई लव यू शशि ।
शशि:-सागर तुम एक अच्छे दोस्त हो , अगर मेरी वजह से तुम्हे तकलीफ़ हुई, तो इसके लिये मुझे माफ़ कर दो ।
इस तरह सागर ने तो इज़हार कर दिया, लेकिन शशि की तरफ से अभी भी संदेह था । वह सागर से प्यार करती है या सिर्फ दोस्ती तक सीमित है , उसने स्पष्ट नही किया था । सागर यह जानने के लिए बेक़रार था । शशि के इज़हार करने का इंतजार कर रहा था । सागर ने प्यार के जो तीन शब्द बोले थे उसके उत्तर में शशि ने कुछ भी तो नही कहा । सागर को मन ही मन लग रहा था , कहीं वह वाकई वीरू सर के कारण ही तो निर्णय नही ले पा रही । हो सकता है, वह उन लड़कियों में से हो जो सिर्फ पैसे वाले लड़कों के साथ प्यार का नाटक करके घूमती फिरती हैं । सच क्या है , क्या नही ? सागर इस बात से अनजान था, फिर भी शशि को प्यार करता था । शशि का जबाब जानने के लिए उसने पूछ ही लिया ....
सागर:-शशि मैं जानना चाहता हूँ कि तुम मुझसे प्यार करती हो या नही ?
शशि:-क्या हर बात कहनी जरूरी है ?
सागर:-हाँ ! तब जरूरी हो जाती है जब ज़ुबान कुछ कहे और आँखें कुछ और ।
शशि:-तुम्हे क्या लगता है ? मैं तुम्हे प्यार करती हूँ या नही ?
सागर:-मैं तो तुमसे सिर्फ यही सुनना चाहता हूँ कि मेरी तरह तुम भी प्यार करती हो या सिर्फ दोस्त समझती हो ?
शशि :- तुम जो समझ लो तुम्हारी मर्जी ।
शशि ने सागर को फिर जज्बातों के अंधेरे में छोड़ दिया । शशि के बेआल्फ़ाज़ लब कुछ तो छुपा रहे थे या वह खुद पर कोई दोष नही लेना चाहती थी । वीरू सर और शशि के बीच कुछ तो ऐसा हुआ है, जो वह सागर से कह नही पा रही थी । शायद वह सागर के प्यार को खोने से डर रही थी, इसलिए वह कोई सच्चाई छुपा रही थी । सागर को भी कुछ शक अभी भी था, इसलिए उसने कहा :-ठीक है शशि , मैंने तो कह दिया अगर तुम भी मुझे प्यार करती हो तो कल से काम खत्म हो रहा है और हम दोनों कहीं मिलते हैं ।
शशि:- कहाँ ?
सागर:-कल हम पहले वहीं मिलते हैं जहाँ रोज सारी टीमें मिलती हैं । वहीं पर सोंचेंगे कहाँ मिलना है ।
शशि:-ठीक है । कल मिलते हैं ।
अगले दिन:-...........

शेष अगले भाग में ...

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