Manto ki Kahaniya book and story is written by Saadat Hasan Manto in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manto ki Kahaniya is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
महाराजा ग से रेस कोर्स पर अशोक की मुलाक़ात हुई। इस के बाद दोनों बेतकल्लुफ़ दोस्त बन गए।
महाराजा ग को रेस के घोड़े पालने का शौक़ ही नहीं ख़बत था। उस के अस्तबल में अच्छी से अच्छी नसल ...और पढ़ेघोड़ा मौजूदत था। और महल में जिस के गुन्बद रेस कोर्स से साफ़ दिखाई देते थे। तरह तरह के अजाइब मौजूद थे।
जब ज़ुबेदा की शादी हुई तो उस की उम्र पच्चीस बरस की थी। इस के माँ बाप तो ये चाहते थे कि सत्तरह बरस के होते ही उस का ब्याह हो जाये मगर कोई मुनासिब-ओ-मौज़ूं रिश्ता मिलता ही नहीं ...और पढ़ेअगर किसी जगह बात तै होने पाती तो कोई ऐसी मुश्किल पैदा हो जाती कि रिश्ता अमली सूरत इख़्तियार न कर सकता।
ईदन बाई आगरे वाली छोटी ईद को पैदा हुई थी, यही वजह है कि उस की माँ ज़ुहरा जान ने उस का नाम इसी मुनासबत से ईदन रख्खा। ज़ुहरा जान अपने वक़्त की बहुत मशहूर गाने वाली थी, बड़ी ...और पढ़ेदूर से रईस उस का मुजरा सुनने के लिए आते थे।
दिल्ली आने से पहले वो अंबाला छावनी में थी जहां कई गोरे इस के ग्राहक थे। इन गोरों से मिलने-जुलने के बाइस वो अंग्रेज़ी के दस पंद्रह जुमले सीख गई थी, उन को वो आम गुफ़्तगु में इस्तिमाल नहीं ...और पढ़ेथी लेकिन जब वो दिल्ली में आई और उस का कारोबार न चला तो एक रोज़ उस ने अपनी पड़ोसन तमंचा जान से कहा। “दिस लीफ़...... वेरी बैड।” यानी ये ज़िंदगी बहुत बुरी है जबकि खाने ही को नहीं मिलता।
डाक्टर सईद मेरा हम-साया था उस का मकान मेरे मकान से ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ गज़ के फ़ासले पर होगा। उस की ग्रांऊड फ़्लोर पर उस का मतब था। मैं कभी कभी वहां चला जाता एक दो घंटे ...और पढ़ेतफ़रीह हो जाती बड़ा बज़्लासंज, अदब शनास और वज़ादार आदमी था।