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घरोंदा और अन्य कहानिया - उपन्यास
Prashant Vyawhare
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
! भाड़ा ! मुंबई शहर सबसे बड़ी समस्या घर की है ! इतना बड़ा शहर है और इस वजह कुछ लोग उसमे भी रास्ते निकल लेते है ! आज कल बंद पडी और बन रही ईमारत के ढांचे भी कुछ लोगो के लिए घर बन गए है ! एक ऐसी ही एक पुरानी ईमारत जिसका बनना शूरु हुआ था मगर किसे लीगल झंझट के वजह से उसका काम बंद पडा गया और फिर कुछ लोगो ने उसे जरुरत मदो के लिए घर में तब्दील कर दिया ! आज हफ्ते का पहला दिन है और वहा भाड़ा वसूली के लिए मालिक
! भाड़ा ! मुंबई शहर सबसे बड़ी समस्या घर की है ! इतना बड़ा शहर है और इस वजह कुछ लोग उसमे भी रास्ते निकल लेते है ! आज कल बंद पडी और बन रही ईमारत के ढांचे भी ...और पढ़ेलोगो के लिए घर बन गए है ! एक ऐसी ही एक पुरानी ईमारत जिसका बनना शूरु हुआ था मगर किसे लीगल झंझट के वजह से उसका काम बंद पडा गया और फिर कुछ लोगो ने उसे जरुरत मदो के लिए घर में तब्दील कर दिया ! आज हफ्ते का पहला दिन है और वहा भाड़ा वसूली के लिए मालिक
! स्टंट मैंन ! भररर…. आवाज के साथ आज तौफीक ने उसके मोटर साइकिल दौड़ाई, रास्ते पर चल रहे उस्मान चाचा को उसका धक्का लगते लगते बचा ! तौफीक ने जोर से हॉर्न बजा उन्हें एकदम से ...और पढ़ेदिया और वो झट से एक तरफ हो गए वरना आज तो आज उनकी कोई खैरीयत ही नहीं थी ! उस्मान चाचा झल्ला उठे और एक तरफ झटके से सरकते हुए उन्होंने तौफीक को बुरा भला कहा उस्मान चाचा : आज कल के बच्चे उफ़ ! अल्लाह ही बचाये इन्ह शैतानो से ! मगर तौफीक आज उसकी ही धुन में सड़क
! बुढ़िया ! सड़क के किनारे कचरे के ढेर में एक बूढ़ी औरत कचरा चुनने का प्रयास कर रही थी ! मैले कपडे, चिपके और कचरे से सने सफ़ेद बाल और मैले बदबूदार शरीर की वो बुढ़िया ६० से ...और पढ़ेकी थी मगर फिर भी फुर्ती से उस कूड़े के ढेर से उसके काम की चीज़े उस कूड़े से उठा उसके कंधे पर रखे बोर में भर रही थी ! बीच बेच में उस ढेर पर खाना ढूंढने वाले कुत्तो और सुवरो को उसके हाथ में ली हुए लकड़ी से हकलते हुए उनसे खुद को बचा उसकी भूख का इलाज