हर तरफ बस एंबुलेंस के सायरन का शोर सुनायी दे रहा था,लोग बदहवास से होकर इधर उधर अपने अपनों को बचाने के लिये भाग रहे थे, पूरी पूरी रात लाइनों मे लगने के बाद भी बहुत से ऐसे लोग रह जाते थे जिन्हे ऑक्सीजन का सिलेंडर नही मिल पाता था!! जहां एक तरफ अपने प्रियजनों की उखड़ती हुयी सांसो की चिंता वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर ना मिल पाने की खिसियाहट, जहां देखो वहीं बस लोग आंखो मे आंसू लिये फड़फड़ाते, खिसियाये होंठो के साथ जगह जगह हाथ जोड़कर मिन्नते करते खड़े दिख रहे थे कि "भगवान के नाम पर प्लीज प्लीज बस एक सिर्फ एक ऑक्सीजन सिलेंडर दे दो लेकिन ऐसा लग रहा था मानो पूरा का पूरा मेडिकल सिस्टम, सरकारी तंत्र और सरकार फेल हो चुके थे..!!

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday, Thursday & Saturday

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 1

हर तरफ बस एंबुलेंस के सायरन का शोर सुनायी दे रहा था,लोग बदहवास से होकर इधर उधर अपने अपनों बचाने के लिये भाग रहे थे, पूरी पूरी रात लाइनों मे लगने के बाद भी बहुत से ऐसे लोग रह जाते थे जिन्हे ऑक्सीजन का सिलेंडर नही मिल पाता था!! जहां एक तरफ अपने प्रियजनों की उखड़ती हुयी सांसो की चिंता वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर ना मिल पाने की खिसियाहट, जहां देखो वहीं बस लोग आंखो मे आंसू लिये फड़फड़ाते, खिसियाये होंठो के साथ जगह जगह हाथ जोड़कर मिन्नते करते खड़े दिख रहे थे कि "भगवान के नाम पर ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 2

बाबू जगदीश प्रसाद अपनी पत्नी सरोज के साथ अपने दामाद रवि के तबियत को लेकर चिंता मे डूबे सोफे बैठे ही थे कि तभी उनके फोन की रिंग बजने लगी, फोन की रिंग बजते ही उन्होने सामने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया तो देखा कि फोन उनकी बेटी मैत्री का था, उन्होने फोन की स्क्रीन पर अपनी बेटी मैत्री का नाम देखते ही झट से फोन उठाया और फोन उठाते ही बोले- हां गुड़िया कैसी तबियत है अब दामाद जी की...? जगदीश प्रसाद अपनी बेटी मैत्री से ये सवाल करने के बाद उसके जवाब का इंतजार करने लगे ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 3

मैत्री के साथ हुये इस हादसे को पूरे 6 महीने बीत चुके थे, कोरोना की दूसरी लहर कई परिवारो खुशियो को बर्बाद करने के बाद लगभग खत्म हो चुकी थी और मैत्री पर इतनी कम उम्र मे दुखो के टूटे इस पहाड़ के बाद एक और झटका जिंदगी ने उसे दे दिया था और वो ये कि उसके ससुराल वालो ने रवि की असमय हुयी मौत के लिये उसे ही जिम्मेदार ठहरा कर उसे अपने मायके वापस जाने के लिये मजबूर कर दिया था, अब वो अपने मायके मे ही रहती थी..!! उम्र के इस पड़ाव मे अपनी इकलौती, ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 4

अगले दिन सुबह से ही जगदीश प्रसाद और सरोज के मन मे इस बात को लेकर बेचैनी थी कि कैसे मैत्री से उसकी दूसरी शादी को लेकर बात करें, वो दोनों बस एक सही मौके की तलाश मे थे पर घर के काम मे लगी हुयी मैत्री का उदास और उतरा हुआ चेहरा देखकर उनकी हिम्मत बार बार टूट सी रही थी, सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गयी थी लेकिन जगदीश प्रसाद और सरोज को समझ मे नही आ रहा था कि वो मैत्री से दूसरी शादी को लेकर बात की शुरुवात कैसे करें...? फिर शाम ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 5

मैत्री को उसके बचपन की यादो को याद करके खुश होते देख जगदीश प्रसाद को लगा था कि यही मौका है मैत्री से उसकी दूसरी शादी के लिये बात करने का लेकिन शादी की बात सुनकर मैत्री ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी उसकी उम्मीद ना तो सरोज को थी ना ही जगदीश प्रसाद को!! उन्हे लगा था कि मैत्री उनकी बात को इत्मिनान से सुनेगी और शायद इस बारे मे सोचने के लिये समय मांगेगी लेकिन उसके सीधे सीधे तल्ख लहजे मे मना करने से जगदीश प्रसाद आहत से हो गये थे.. वो मैत्री को समझाते हुये बोले- ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 6

अपने ताऊ जी जगदीश प्रसाद को गोद मे उठाकर राजेश कार की तरफ भागा और उसके पीछे पीछे मैत्री सरोज भी कार की तरफ दौड़ पड़े, सरोज ने फटाफट घर का मेन गेट लॉक किया इसके बाद कार तक पंहुच कर मैत्री ने कार की पिछली सीट वाला गेट खोला तो राजेश ने बड़े आराम से बदहवास जगदीश प्रसाद को कार की पिछली सीट पर लेटा दिया इसके बाद हद से जादा घबराई हुयी मैत्री अपने पापा के सिर की तरफ बैठ गयी और उनका सिर अपनी गोद मे रख लिया और सरोज उनके पैरो की तरफ बैठ गयीं ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 7

सरोज के साथ अपने घर वापस आने के बाद नरेश अपने कमरे मे चले गये, उनकी पत्नी सुनीता ने की हिम्मत बढ़ायी और "दीदी मै थोड़ी देर मे आयी" बोलकर अपने पति नरेश के अपने कमरे मे जाने के पांच मिनट बाद वो भी अपने कमरे मे चली गयीं, सुनीता जब अपने कमरे मे गयीं तो उन्होने देखा कि नरेश अपने बेड पर पैर लटका कर सिर झुकाये बैठे हैं उनको ऐसे बैठा देखकर सुनीता उनके पास गयीं और बोलीं- मैं जानती हूं भाई साहब की तबियत देखकर आप दुखी हैं लेकिन आप परेशान मत हो वरना आपकी तबियत ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 8

अगले दिन सुबह सुबह चाय और नाश्ता लेकर सरोज और नरेश.. राजेश के छोटे भाई सुनील के साथ हॉस्पिटल गये थे, सुबह करीब साढ़े 6 बज रहे थे और हॉस्पिटल पंहुचते ही अपने पति जगदीश प्रसाद को देखने की बौखलाहट मे सरोज तेज तेज कदमों से चलकर सीधे उनके प्राइवेट वॉर्ड मे पंहुच गयीं चूंकि डॉक्टर साहब रात मे काफी देर से आये थे इसलिये घर मे किसी को पता नही चल पाया था कि डॉक्टर ने जगदीश प्रसाद की तबियत को लेकर कोई ऐसी वैसी बात नहीं कही है इसलिये सरोज और नरेश दोनो को ही जल्दी थी ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 9

मैत्री की दूसरी शादी को लेकर सब खुश थे सिवाय मैत्री के और मैत्री के खुश ना होने की साफ थी और वो ये थी कि मैत्री को लग रहा था कि अब फिर से वही सब होगा!! वही ताने तुश्की, वही सास के नखरे, वही हर समय की उलझन लेकिन परिस्थितियां जिस तरह की बन गयी थीं उन परिस्थितियों मे मैत्री के विरोध के लिये कोई जगह नही थी, मैत्री की मनस्थिति बस यही कह रही थी कि शादी के लिये "हां" बोलने के बाद खुशियो की जो धारा उसके परिवार मे बह चुकी है वो भी उसी ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 10

जॉब छोड़ने की बात को लेकर जतिन परेशान हो गया और अपने बॉस के केबिन से बाहर आकर यही कर और जादा परेशान होने लगा कि "अब मुझे क्या करना चाहिये... जॉब छोड़ना मतलब महीने की बंधी बंधायी इन्कम से हाथ धोना, लेकिन मै बिजनेस संभाल लूंगा... एक दो महीने मे सब ठीक हो जायेगा... इतने सालों से तो जॉब कर रहा हूं अच्छे खासे लोग मुझे जानते हैं... लेकिन अगर बिज़नेस मे नुक्सान हुआ तो सारा नुक्सान मुझे ही झेलना पड़ेगा... बहुत रिस्क है यार... छोड़ो जॉब ही ठीक है.... लेकिन मेरे सपनो का क्या... जॉब मे तो ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 11

अपने परिवार से मिले प्रोत्साहन से उत्साहित हुये जतिन ने अगले ही दिन ऑफिस जाकर अपने बॉस से अपना बताते हुये कहा- सर मै जॉब छोड़ने के लिये तैयार हूं पर अब मै बिज़नेस ही करूंगा..जतिन के आत्मविश्वास से भरी इस बात को सुनकर उसके बॉस ने कहा- वैरी गुड जतिन और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम कर ले जाओगे लेकिन अभी मंथली क्लोजिंग आने वाली है महीना पूरा करलो एक तारीख को जब सैलरी आ जाये तब रिज़ाइन कर लेना, बाकि रही बात इस महीने के इंसेंटिव की तो वो फुल एंड फाइनल सेटेलमेंट मे एक महीने ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 12

जतिन के साथ साथ घर के सारे सदस्य खुश थे, जतिन को मिली पहली कामयाबी की वजह से घर माहौल भी बहुत अच्छा था, सबने साथ बैठकर खाना खाया उसके बाद जतिन अपने कमरे मे सोने चला गया, आज जतिन को छोटी ही सही लेकिन पहली सफलता मिली थी इसलिये उसकी आंखो में नींद बिल्कुल नहीं थी, वो आंखे बंद करके आगे की प्लानिंग कर ही रहा था कि तभी उसे किसी चीज के टूटने की आवाज आयी, ऐसा लगा जैसे उसके घर की छत पर कोई भारी चीज आकर गिरी हो, उस चीज के गिरने की आवाज सुनकर ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 13

ज्योति के सिर पर हाथ रखकर जतिन जैसे उसकी कसम खाते हुये द्रढ़निश्चय सा कर रहा था कि "बहन जो हो जाये तुझे मै काम नही करने दूंगा, अपनी पढ़ाई और अपने हुनर को साक्षात् करने के लिये तू अपनी मर्जी से जॉब करे वो अलग बात है पर जिम्मेदारियो के बोझ तले दबकर तो मै तुझे जॉब नही करने दूंगा, तेरे सिर पर जिम्मेदारियो का बोझ तो मै नही आने दूंगा फिर चाहे मुझे चौबीसों घंटे क्यों ना काम करना पड़े" ये ही सोचते सोचते जतिन ने बड़े प्यार से ज्योति और अपनी मम्मी के आंसू पोंछे और ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 14

अपने पापा को खाना खिलाने के बाद उनके ऑफिस से निकल कर घर तक के रास्ते मे जतिन यही करता रहा कि अब वो अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिये किस तरह से काम करे जो रिजल्ट मिलना शुरू हो जायें, यही सब प्लानिंग करते करते जतिन ने सोचा कि "फील्ड पर जादा घूमने का कोई फायदा नही है वो मैं कर के देख चुका हूं तो अब दुकान पर ही मेज कुर्सी डालकर बैठता हूं क्योंकि जिस सड़क पर दुकान है वो ठीक ठाक भीड़ वाली सड़क है, दुकान पर मुझे बैठा देखकर जब लोग निकलते बढ़ते ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 15

इधर आज के दिन जतिन के साथ उसके ऑफिस मे बैठकर चाय पी रहे राजेश ने चाय पीने के कहा- अच्छा जतिन भाई मै चलता हूं अभी एक दो जगह और जाना है फिर मै लखनऊ के लिये निकलूंगा...राजेश की बात सुनकर जतिन ने कहा- चलिये मै नीचे तक छोड़ देता हूं आपको, मुझे भी कुछ काम है मै वो भी कर लूंगा....इसके बाद जतिन और राजेश ऑफिस के पास बनी सीढ़ियो से होते हुये नीचे की तरफ आने लगे, सीढ़ियो से नीचे उतरते हुये जतिन की नजर अपने सीमेंट के गोदाम मे काम करने वाले एक मजदूर पर ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 16

अपने ताऊ जी से बात करने के बाद राजेश ने अपने छोटे भाई सुनील से कहा - सुनील तुम घर चले जाओ और मैत्री को भी अपने साथ ले जाओ, तुम दोनों सुबह से यहां पर हो अब मैं रुक जाता हूं ताऊ जी के साथ...राजेश की ये बात सुनकर सुनील ने कहा- नही भइया आप कल से बहुत भागदौड़ कर रहे हो इसलिये आज रात मै रुकूंगा और आप मैत्री को घर ले जाओ क्योकि ताई जी रात में रुकने की बात कह के दोपहर मे ही आराम करने घर चली गयी थीं तो आप बस रात मे ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 17

अगले दिन जहां एक तरफ राजेश कानपुर जाकर जतिन से मैत्री की बात करने वाला था वहीं दूसरी तरफ के घर मे भी उसके मम्मी पापा उसकी शादी को लेकर एक जगह रिश्ते की बात चला रहे थे लेकिन अभी तक सिर्फ कुंडली मिलवायी गयी थी और फोटोज़ एक दूसरे के घर भेजी गयी थीं, जतिन और उस लड़की श्वेता का मिलना अभी बाकी था |जहां एक तरफ श्वेता की फोटो देखकर जतिन की मम्मी बबिता, उसके पापा विजय और बहन ज्योति ने उसे पसंद कर लिया था वहीं दूसरी तरफ जतिन ने भी सबकी मर्जी को अपनी मर्जी ...और पढ़े

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 18

मैत्री की फोटो देखकर जतिन जैसे मैत्री के चेहरे की मासूमियत मे खो सा गया था, इधर राजेश अपनी किये जा रहा था लेकिन जतिन को जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था, राजेश ने अपनी बात कहते कहते जतिन को आवाज लगाते हुये कहा- जतिन... जतिन...!! राजेश की आवाज सुनकर जतिन ऐसे चौंक के उसकी तरफ देखने लगा जैसे वो किसी गहरे खयाल मे खोया हुआ हो, राजेश के आवाज लगाने पर अपने होश मे वापस आये जतिन ने गहरी सांस ली और अपनी कुर्सी से टेक लेकर बैठ गया और राजेश की तरफ उसका मोबाइल बढ़ाते ...और पढ़े

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