अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 6 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 6

अपने ताऊ जी जगदीश प्रसाद को गोद मे उठाकर राजेश कार की तरफ भागा और उसके पीछे पीछे मैत्री और सरोज भी कार की तरफ दौड़ पड़े, सरोज ने फटाफट घर का मेन गेट लॉक किया इसके बाद कार तक पंहुच कर मैत्री ने कार की पिछली सीट वाला गेट खोला तो राजेश ने बड़े आराम से बदहवास जगदीश प्रसाद को कार की पिछली सीट पर लेटा दिया इसके बाद हद से जादा घबराई हुयी मैत्री अपने पापा के सिर की तरफ बैठ गयी और उनका सिर अपनी गोद मे रख लिया और सरोज उनके पैरो की तरफ बैठ गयीं और उनके पैरो के तलवो को रगड़ने लगीं, उन तीनो को कार मे बैठाकर राजेश ने फटाफट अपनी कार स्टार्ट की और बड़ी तेज स्पीड मे हॉस्पिटल की तरफ अपनी कार दौड़ा दी, रास्ते मे रोते हुये मैत्री अपने पापा के सिर को सहलाते हुये बोली- सब मेरी वजह से हो रहा है, मै ही मनहूस हूं पहले रवि को खा गयी और अब पापा के पीछे पड़ी हूं, सब मेरी ही वजह से हो रहा है..!!

अपने पापा की ये हालत देखकर मैत्री बस रोये जा रही थी और बदहवासी की हालत में बस खुद को कोसे जा रही थी, करीब दस मिनट बाद राजेश सबको लेकर हॉस्पिटल पंहुच गया, हॉस्पिटल पंहुचते ही राजेश ने फटाफट अपने ताऊ जी जगदीश प्रसाद को एडमिट करा दिया चूंकि जगदीश प्रसाद की हालत बिगड़ती जा रही थी तो हॉस्पिटल मे उपस्थित वॉर्ड बॉयज़ ने जब उन्हे ऐसे तड़पते देखा तो एडमिट कराने से पहले ही उनका फर्स्ट एड शुरू कर दिया, ड्यूटी डॉक्टर को इमरजेंसी विजिट पर बुलाया गया और फटाफट सारी फॉर्मैलिटी पूरी करके उन्हें आईसीयू मे एडमिट कर दिया गया, इसके बाद फटाफट से सारे टेस्ट करवाये गये और एक न्यूरो स्पेशलिस्ट और हार्ट स्पेशलिस्ट को इमरजेंसी विजिट के लिये हॉस्पिटल बुला लिया गया, थोड़ी देर बाद हार्ट स्पेशलिस्ट ने आकर जगदीश प्रसाद का अच्छे से चेकअप किया और सारी रिपोर्टस देखी तो हार्ट अटैक की संभावनाओ से मना करते हुये उन्होने कहा- किसी बात का स्ट्रेस होने की वजह से इनका बीपी एकदम से हाई साइड मे शूट कर गया है, जिसकी वजह से इन्हे सांस लेने मे तकलीफ हो गयी थी और इनकी शुगर भी चार सौ के करीब है, ईसीजी देखकर समझ आता है कि इनका हार्ट ठीक से काम कर रहा है, ये न्यूरो का केस है...!!

हार्ट स्पेशलिस्ट के जगदीश प्रसाद का हाल बताने के बाद ये तो क्लियर हो गया था कि उन्हे हार्ट अटैक नही आया था, हार्ट स्पेशलिस्ट के जगदीश प्रसाद को देखकर जाने के कुछ देर बाद न्यूरो स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी आ गये और सारी रिपोर्ट्स देखने के बाद उन्होने कहा- बिल्कुल सही समय पर आप इन्हे हॉस्पिटल ले आये, थोड़ी देर और हो जाती तो पूरी तरह से इन्हे पैरालिसिस का अटैक पड़ जाता हालांकि अटैक पड़ना शुरू हो चुका था लेकिन टाइम सेे ट्रीटमेंट मिल जाने के कारण जहां तक उसका असर हुआ था पैरालिसिस वहीं रुक गया है जादा नुक्सान नही पंहुचा पाया है, अब इन्हे कम से कम एक हफ्ते तक हॉस्पिटल मे रहना होगा क्योंकि पैरालिसिस एक ऐसी बीमारी है जो शुरुआती दिनों में बाउंस बैक कर सकती है और शुरू के कम से कम दो दिन इन्हे गहन ऑबजर्वेशन मे रखना होगा लेकिन चिंता वाली कोई बात नही है ये जल्दी ठीक हो जायेंगे...!!

न्यूरो डॉक्टर से अपने पापा जगदीश प्रसाद का हाल जानकर मैत्री को रोना आ रहा था लेकिन सबके बीच मे होने के कारण उसने जैसे तैसे अपने आप को रोका हुआ था चूंकि राजेश ने हॉस्पिटल पंहुचते ही अपने पापा नरेश को अपने ताऊ जी की तबियत के बारे मे बता दिया था तो नरेश, उनका छोटा बेटा सुनील और नरेश की पत्नी सुनीता समेत राजेश और सुनील की पत्नियां नेहा और सुरभि भी हॉस्पिटल पंहुच गये थे, जगदीश प्रसाद और उनके छोटे भाई नरेश के परिवारो के बीच बहुत अच्छा तालमेल था वो रहते भले अलग अलग घरो मे थे लेकिन मुसीबत के समय सब के सब साथ आकर खड़े हो जाते थे और मुसीबत के समय मिला ये साथ हर बार जगदीश प्रसाद और उनके परिवार के लिये बहुत बड़ी ताकत बन जाता था चाहे वो मैत्री के पति रवि की म्रत्यु का बुरा समय हो, कोई और परिस्थिति हो या आज जो परिस्थिति उत्पन्न हुयी वो हो....!!

डॉक्टर के जगदीश प्रसाद का हाल बताके वहां से जाने के बाद राजेश ने अपने पापा नरेश और बाकी लोगो से कहा- आप लोग घर चले जाओ और अपने साथ मैत्री और ताई जी को भी ले जाओ क्योंकि ये लोग भी काफी देर से परेशान हैं, घर जायेंगे तो खाना खा के ये लोग भी थोड़ा आराम कर लेंगे...

राजेश के ऐसा कहने पर उसके पापा नरेश ने कहा- नही बेटा भइया के साथ मै रुकूंगा तुम सबको लेकर घर चले जाओ...

सरोज भी बोलीं - नही भाई साहब मै रुकूंगी इनके साथ वरना मुझे रात भर नींद नही आयेगी इन्हे देखे बिना...

इन सबकी बाते सुनकर पास ही खड़े एक वार्डबॉय ने कहा- देखिये आप मे से सिर्फ दो लोग ही रुक सकते हैं रात में चूंकि आज ही मरीज को भर्ती किया गया है और डॉक्टर साहब बोल के गये हैं कि दो दिन तक गहन ऑबजर्वेशन मे मरीज को रखना पड़ेगा तो वो रात मे कभी भी एक विजिट कर सकते हैं और उस समय कोई दवा या इंजेक्शन लाना पड़ा तो आप बुजुर्ग लोग कैसे दूसरी मंजिल से बार बार ऊपर नीचे करोगे... (राजेश की तरफ देखकर वार्डबॉय ने कहा) भइया जी आप ही रुक जाओ बाकी लोगो को जाने दो, रात में रात की शिफ्ट के वार्डबॉय, अटेंडेंट और नर्से तो रहेंगी ही ना और डॉक्टर साहब भी बहुत अच्छे हैं आप लोग चिंता ना करो आराम से घर जाओ और सुबह आ जाना..

वॉर्डबॉय की बात सुनने के बाद नरेश ने सरोज से कहा- सही बात है भाभी रात मे दवा लेने के लिये जाना पड़ा तो हम लोग कैसे ऊपर नीचे भागदौड़ कर पायेंगे, रात की ही बात है राजेश को रुक जाने देते हैं हम लोग सुबह सुबह चाय नाश्ता लेकर आ जायेंगे...

नरेश के कहने के बाद बाकी लोगो ने भी सरोज को घर जाने के लिये जब समझाया तो वो इस शर्त पर मान गयीं कि "ठीक है सुबह सुबह आ जाउंगी लेकिन"...

सरोज तो मान गयीं अपने देवर और मैत्री के चाचा नरेश के घर जाने के लिये लेकिन मैत्री नही मानी, वो जिद पर अड़ गयी कि दो लोग रुक सकते हैं तो राजेश भइया के साथ मै भी यहीं पर रुकूंगी पापा के पास, मैत्री के इस तरह जिद करने पर बाकी लोगो ने भी उसे रुकने की परमीशन दे दी, सारी बाते कर लेने के बाद राजेश और मैत्री के अलावा सारे लोग घर चले गये...

घर जाने के बाद नरेश ने सरोज से कहा- भाभी आप बिल्कुल भी चिंता मत करिये हम सब लोग हैं एकसाथ और भइया भी जल्दी ठीक हो जायेंगे, आप बस अपना ध्यान रखिये...

अपनी भाभी सरोज को सांत्वना देकर समझाने के बाद नरेश अपने कमरे मे चले गये, उनके अपने कमरे मे जाने के बाद सुनीता ने सरोज से कहा- दीदी आप आराम कर लीजिये आप इतनी देर से इतनी जादा परेशान हैं अभी चाय पी लीजिये तो थोड़ा आराम मिलेगा...

क्रमशः